कर्नाटक में BJP की बड़ी हार, सर्वे की रिपोर्ट उड़ा देगी मोदी के होश
बेंगलुरु। लोकसभा चुनावों के आगाज में सिर्फ 13 दिनों का समय बाकी रह गया है। देश में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए मतदान सात चरणों में होना तय हुआ है। जिसमें पहले चरण का मतदान आगामी 19 अप्रैल को ही होना है। ऐसे में चुनाव अब पूरी तरह से सिर पर हैं। इसलिए पूरे देश का सियासी पारा भी हाई है और पूरे देश में चुनावी मौसम चरम पर है। इस बीच अबकी बार 400 पार के सपने देख रही भाजपा पूरे देश में काफी मेहनत कर रही है। और अपने इस लक्ष्य के ज्यादा से ज्यादा करीब पहुंचना चाह रही है। हालांकि, ये भाजपा भी जानती है कि 400 सीटें पाना या उसके करीब भी पहुंचना आसान नहीं है। इसलिए भाजपा जीतोड़ मेहनत कर रही है ताकि वो इस लक्ष्य के करीब ही पहुंच सके। इसके लिए खुद पीएम मोदी व पूरी पार्टी साम दाम दंड भेद सभी अपना रही है।
अपने इस लक्ष्य को पाने के लिए भाजपा साउथ पर काफी जोर लगा रही है। साउथ में भाजपा की उम्मीदें कर्नाटक पर लगी हुई हैं। लेकिन जिस तरह से मौजूदा हालात कर्नाटक में बन रहे हैं उससे तो यही लगता है कि कर्नाटक में भाजपा की दाल इस बार गलने वाली नहीं है। और यहां पार्टी को सफलता तो दूर एक बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि एक तो पार्टी के अंदर मची अंदरूनी कलह व बगावत ने भाजपा व पीएम मोदी की नीदें उड़ा रखी हैं। तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की मजबूत स्थिति और कांग्रेस की प्रदेश इकाई के मेहनत के आगे बीजेपी और भी कमजोर पड़ती दिख रही है।
यही वजह है कि बीजेपी के लिए कर्नाटक में राह मुश्किल होती जा रही है। अब तो कई सर्वे भी ये दिखाने लगे हैं कि कर्नाटक में भाजपा की बत्ती गुल होने वाली है और वो यहां एक बड़ी हार की ओर बढ़ रही है। जाहिर है कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को कर्नाटक की 28 में से 25 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। लेकिन इस बार के जो वर्तमान हालात हैं व मौजूदा परिस्थितियां उनको देखते हुए ये साफ जाहिर है कि इस बार के चुनाव में भाजपा को कर्नाटक में भारी नुकसान होने वाला है। अब कुछ सर्वे भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं।
अपने 400 पार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी पूरी कोशिश कर रही है। हिंदी पट्टी में अपनी पकड़ मजबूत करने के बाद अब बीजेपी की नजर साउथ पर है। माना जा रहा है कि अगर बीजेपी 400 सीट के लक्ष्य तक पहुंचना चाहती है तो उसे दक्षिण भारतीय राज्यों में शानदार प्रदर्शन करना होगा। यह ही कारण है कि पीएम मोदी से लेकर अमित शाह तक बीजेपी के दिग्गज नेता दक्षिण भारतीय राज्यों में रैलियां कर रहे हैं और अपनी पकड़ बनाने में लगे हैं। दक्षिण भारत के 5 राज्यों में केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु ऐसे सूबे हैं। जहां बीजेपी का कोई जनाधार नहीं है। पिछली बार इन तीनों राज्यों में बीजेपी का खाता नहीं खुल सका था। जबकि दक्षिण भारत में कर्नाटक एकलौता ऐसा राज्य है, जहां बीजेपी एक बड़ी राजनीतिक ताकत बनकर उभरी। हालांकि, इस बार यहां भी परिस्थितियां बदल चुकी हैं। इस बीच अब लोक पोल ने कर्नाटक का सर्वे किया है।
इस सर्वे में बीजेपी को बड़ा झटका लगता नजर आ रहा है। सर्वे के मुताबिक, आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां सिर्फ 10 से 12 सीटें मिलती दिख रही हैं। जबकि पिछले चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की 28 में से 25 लोकसभा सीटों पर सफलता हासिल की थी। तो वहीं लोक पोल के सर्वे में इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 12 से 14 सीटों पर जीत हासिल होती दिख रही है। वहीं भाजपा के साथ गठबंधन करके लड़ रही जनता दल सेक्युलर के खाते में सिर्फ 1-2 सीट जाने की संभावना है। यानी साफ है कि इस बार कर्नाटक में भाजपा को भारी नुकसान होता दिख रहा है। इससे भाजपा की 400 की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगने वाला है।
पिछले चुनाव में यहां बीजेपी ने बेहद शानदार प्रदर्शन किया था। 28 लोकसभा सीट वाले कर्नाटक में बीजेपी 2019 में एनडीए ने 26 सीट जीतीं थी। यहां बीजेपी ने अकेले 25 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, कांग्रेस ने और जेडीएस महज 1-1 सीट पर सिमट कर रह गई थीं।
वहीं इस बार प्रदेश में आए दिन भाजपा की हालत पतली ही होती जा रही है। कहीं न कहीं भाजपा को अपनी पतली हालत का अंदाजा पहले ही लग गया था। तभी उसने पिछले लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट हासिल करने वाली जेडीएस से भी इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन कर लिया। जेडीएस से भाजपा का गठबंधन ये दर्शाता है कि भाजपा को पहले से ही कर्नाटक में अपनी करारी हार और भारी नुकसान का अंदाजा हो गया था। इसीलिए उसने जेडीएस से गठबंधन करके हाथ मिलाया है। हालांकि, भाजपा और जेडीएस के दलों का तो गठबंधन हो गया है लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं के दिलों का गठबंधन नहीं हो सका है। तभी बीच में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प की खबरें भी आई थीं। तो वहीं आए दिन कुछ न कुछ बयान ऐसे आते रहते हैं जो ये दर्शाते हैं कि भाजपा जेडीएस गठबंधन में ऑल इज़ वेल नहीं है।
अब एक बार फिर जनता दल (सेक्युलर) के नेता एच डी कुमारस्वामी ने कुछ ऐसा कहा है जो भाजपा के खेमे में खलबली मचा सकता है। एच डी कुमारस्वामी ने कहा है कि वह लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बेहतर प्रदर्शन के लिए ईमानदारी से काम कर रहे हैं और चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन जारी रखना इस पर निर्भर करेगा कि उनकी पार्टी और उनके नेताओं के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। इतना ही नहीं कुमारस्वामी ने अभी से अपनी इच्छाएं जता दी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मौका मिलने पर और अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन पर भरोसा हो तो वह राजग के केंद्र में सत्ता में वापस आने पर कृषि मंत्री बनना चाहेंगे। जेडीएस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हम एनडीए का हिस्सा हैं।
आगे यह (गठबंधन में बने रहने का फैसला) इस पर निर्भर करेगा कि भविष्य में हमारी पार्टी के नेताओं के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। उन्होंने कहा कि हम ईमानदारी से काम कर रहे हैं और हम भाजपा के साथ दीर्घकालिक संबंध चाहते हैं। लेकिन भविष्य अंततः इस पर निर्भर करेगा कि हमारे साथ कैसा व्यवहार किया जाता है और हमें भाजपा से कितना सम्मान मिलता है। देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी ने कहा कि मुझे केंद्रीय मंत्री के रूप में देखना न केवल मांड्या के लोगों की आकांक्षा है। बल्कि भाजपा के मेरे मित्रों का भी मानना है कि अगर मैं मंत्री बनूंगा तो यह राज्य के लिए अच्छा होगा। कुमारस्वामी ने आगे कहा कि मैं कृषक पृष्ठभूमि से आता हूं और मुझे मौका दिया जाता है तो कृषि मंत्री बनना चाहता हूं और सरकार का नाम रोशन करना चाहता हूं।
अगर प्रधानमंत्री को भरोसा हो कि मैं अच्छा काम कर सकता हूं और अगर मुझे मौका दिया जाए तो मैं कृषि क्षेत्र में काम करना चाहूंगा। कुमारस्वामी ने आगे कहा कि हमने कर्नाटक की बेहतरी के लिए भाजपा के साथ गठबंधन किया है, न कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए। यह भाजपा और जद (एस) दोनों के लिए पारस्परिक रूप से फायदेमंद होने वाला है। कांग्रेस ने हमारे बीच मत-विभाजन का फायदा उठाया। पिछले विधानसभा चुनाव में, हमें गलती का एहसास हुआ और हमने मिलकर कांग्रेस से लड़ने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि भाजपा जद (एस) की स्वाभाविक सहयोगी है, न कि कांग्रेस। कुमारस्वामी ने कहा कि उनकी पार्टी ने पिछले 50 वर्षों से हमेशा कांग्रेस से मुकाबला किया है।
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली पार्टी जद (एस) पिछले साल सितंबर में भाजपा नीत राजग में शामिल हो गई थी। सीट-बंटवारा समझौते के तहत कर्नाटक में भाजपा 25 निर्वाचन क्षेत्रों में और जद (एस) तीन सीटों मांड्या, हासन और कोलार में चुनाव लड़ेगी।
यानी जाहिर है कि कर्नाटक में इस बार भाजपा की हालत काफी खराब है और अब सर्वे भी इस बात की ओर इशारा करने लगे हैं कि कर्नाटक में भाजपा को बड़ा नुकसान होने वाला है। जिससे भाजपा के 400 पार की उम्मीदों को भी तगड़ा झटका लगने वाला है।