यूपी में बीजेपी की हालत खराब, ओबीसी वोटर्स ने बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया!

लोकसभा चुनाव के नतीजे ने ओबीसी वोट को लेकर बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है.... ओबीसी और दलित मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा बीजेपी से खिसक गया है.... इन सबके बीच उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी काफ़ी सक्रिय हो गए हैं.... देखिए खास रिपोर्ट...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही उत्तर प्रदेश में राजनीतिक गहमागहमी लगातार बढ़ रही है… बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने के लिए बहुमत हासिल करने में नाकाम रही… और इसमें सबसे बड़ी भूमिका उत्तर प्रदेश की रही…. बता दें कि एक समय उत्तर प्रदेश में अपना वर्चस्व स्थापित करने वाली बीजेपी इस लोकसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर खिसक गई…. और समाजवादी पार्टी ने बीजेपी से ज़्यादा सीटें हासिल की…. इसी के साथ बीजेपी में समीक्षा और चिंतन का दौर शुरू हुआ… और कहीं न कहीं निशाने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी  आदित्यनाथ आ गए…. वहीं लोकसभा चुनाव के नतीजे ने ओबीसी वोट को लेकर बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है…. ओबीसी और दलित मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा बीजेपी से खिसक गया है…. इन सबके बीच उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी काफ़ी सक्रिय हो गए हैं…. वहीं माना जा रहा है कि बीजेपी के अंदर ओबीसी नेता काफ़ी चिंतित हैं….

आपको बता दें कि हाल ही में यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की एक चिट्ठी वायरल हो रही है…. जिसमें मौर्य ने कार्मिक विभाग से जानकारी मांगी है… कि संविदा और आउटसोर्सिंग के ज़रिए भर्ती किए जा रहे कर्मचारियों में किस तरह आरक्षण दिया जा रहा है… बता दें कि ये विभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास है…. और माना जा रहा है कि मौर्य ने आरक्षण के ज़रिए मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है…. हालांकि केशव प्रसाद मौर्य के सवाल के बाद यूपी के सूचना विभाग ने आंकड़े जारी किए हैं….  इसमें बताया गया है कि पांच सौ बारह आउटसोर्स्ड कर्मचारी विभाग में लिए गए है…. जिसमें पचहत्तर फ़ीसदी यानी तीन सौ चालीस ओबीसी वर्ग के हैं…. मौर्य के ऑफ़िस में विरोधी ख़ेमे के नेताओं का जमावड़ा लग रहा है…. मिलने वालों में विधायक, मंत्री, सांसद और पूर्व सांसद हैं…. बीजेपी के सहयोगी ओम प्रकाश राजभर… और संजय निषाद भी मौर्य से मिले हैं…. इसके अलावा दारा सिंह चौहान ने भी मौर्य से मुलाक़ात की है…. इसके जवाब में योगी आदित्यनाथ अपने ख़ेमे के ओबीसी नेताओं से मुलाक़ात कर रहे हैं… आपको बता दें कि बुधवार को सीएम योगी ने नरेंद्र कश्यप से मुलाक़ात की जो पिछड़ा वर्ग मंत्री हैं…. इसके अलावा वे राज्य मंत्री रामकेश निषाद और रानीगंज के विधायक राकेश कुमार वर्मा से भी मिले हैं…. वहीं चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी के ओबीसी नेताओं में बेचैनी है…. वजह स्पष्ट है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी से ग़ैर यादव ओबीसी छिटक गया है….

बता दें कि योगी विरोधी ओबीसी नेता लामबंद हो रहे हैं…. और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य खुलकर बैटिंग कर रहे हैं…. और उनके निशाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं…. क्योंकि ओबीसी नेता हार के लिए योगी को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं…. और अपनी साख बचाने में लगे हैं…. जानकारी के मुताबिक बीजेपी के कुर्मी, मौर्य, राजभर और पासी समाज के नेता परेशान दिखाई दे रहे हैं…. बीजेपी से इस चुनाव में ये वर्ग ख़ासा दूर हुआ है…. जिसका नतीजों पर असर पड़ा है…. बता दें कि ये वर्ग साल दो हजार चौदह से बीजेपी के साथ था…. और साल दो हजार बाइस एकजुट तरीक़े से बीजेपी के जीत में अहम भूमिका निभाता रहा….. लेकिन अब ये वर्ग दूर हो रहा है…. बीजेपी और इन नेताओं के सामने चुनौती है कि कैसे इस वर्ग को वापस लाया जाए…. बीजेपी ने ओबीसी विभाग की बैठक बुलाकर नेताओं से कहा है कि वो अपने समाज को फिर से पार्टी के साथ जोड़ें…. लेकिन ये रास्ता इतना आसान नहीं है…. लेकिन दूसरी ओर मुख्यमंत्री से मिलने वाले पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री…. और बीजेपी के ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप ने कहा कि ओबीसी बीजेपी के पक्ष में लामबंद हो रहा है…. इसके लिए ज़मीनी काम शुरू हो गया है…. और उन्होंने कहा कि उनतीस जुलाई को बीजेपी के ओबीसी विभाग की बैठक बुलाई गई है…. जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों उप मुख्यमंत्री हिस्सा लेंगे…. संगठन की पूरी क़वायद है कि साल दो हजार चौबीस के चुनाव में जो कमी रह गई है….. उसको पूरा किया जाए…. ये सतत प्रक्रिया है जो साल दो हजार सत्ताइस के चुनाव तक चलेगी…. इसके लिए हम अपने लोगों के बीच जाकर संवाद स्थापित करेंगे….. आपको बता दें कि कश्यप ने मौर्य की आरक्षण वाली चिट्ठी का जवाब देते हुए कहा कि अभी संविदा और आउटसोर्सिंग पर आरक्षण लागू नहीं है…. ऐसे में सिर्फ़ सरकारी नौकरी में ही ये लागू हो सकता है…. हालांकि अगर ऐसा होता है तो पिछड़ी जातियों के लिए अच्छा रहेगा….

आपको बता दें कि ओबीसी मतदाताओं ने दो लोकसभा चुनाव… और दो विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में अहम योगदान दिया है…. लेकिन साल दो हजार चौबीस आते-आते ख़तरे की घंटी बज गई है… वहीं अब यह ग़ैर यादव ओबीसी दूसरी तरफ़ देख रहा है…. इसकी वजह से बीजेपी के ओबीसी नेता भी बेचैन हैं…. वहीं सीएसडीएस लोकनीति के सर्वे में बताया गया है कि बीजेपी को ऊंची जातियों का वोट उन्नासी फ़ीसदी मिला…. वहीं इंडिया गठबंधन को सिर्फ़ सोलह फ़ीसदी वोट मिले….. लेकिन इंडिया गठबंधन ने ओबीसी वोट में बढ़त बनाई…. ओबीसी वोटर्स ने संविधान, आरक्षण और बेरोज़गारी के मुद्दे पर वोट किया है…. सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक़ इस चुनाव में बीजेपी को कोरी-कुर्मी का इकसठ फ़ीसदी वोट मिला लेकिन ये पिछली बार से उन्नीस फ़ीसदी कम है…. वहीं ग़ैर यादव ओबीसी का उनसठ फ़ीसदी वोट मिला है…. जो पिछली बार से तेरह फ़ीसदी कम है…. ग़ैर जाटव दलित वोट बीजेपी को उन्तीस फ़ीसदी मिला है…. जो पिछली बार से उन्नीस फ़ीसदी कम है… आपको बता दें कि साल दो हजार उन्नीस के चुनाव में बीजेपी ने बासठ लोकसभा सीट अकेले ही जीती थी…. लेकिन साल दो हजार चौबीस में सिर्फ़ तैंतीस सीट जीत पाई है….

वहीं प्रदेश में जारी कुर्सी की लड़ाई में बीजेपी के सहयोगी दल भी खूब मजे ले रहें है… और सीएम योगी की बैठक में न जाकर दूसरों से मुलाकात कर रहें हैं… इसी कड़ी में बीजेपी के सहयोगी ओमप्रकाश राजभर सीएम योगी की बैठक में नहीं गए… और वे केशव प्रसाद मौर्य से लखनऊ में मिले…. आपको

बता दें कि जल्द ही उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है…. जिनमें अयोध्या की मिल्कीपुर सीट और आंबेडकर नगर की कटेहरी सीट भी है… जहां से लालजी वर्मा सांसद चुने गए हैं… वही मिल्कीपुर से विधायक रहे अवधेश प्रसाद फ़ैज़ाबाद सीट से सांसद चुने गए हैं…. यही नहीं, समाजवादी पार्टी के पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक (पीडीए) कार्ड से सुल्तानपुर, मछली शहर, आज़मगढ़, कौशांबी और प्रयागराज में भी बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा…. गाज़ीपुर बलिया भी पार्टी के हाथ से चली गई…. बस्ती और श्रावस्ती में भी पिछड़ी जाति के नेता समाजवादी पार्टी से सांसद चुने गए…. बता दें कि केशव प्रसाद मौर्य की अपनी महत्वाकांक्षा है…. साल दो हजार सत्रह में वो प्रदेश के अध्यक्ष थे… और उनकी अगुवाई में चुनाव लड़ा गया था…. लेकिन बाज़ी योगी आदित्यनाथ के हाथ लगी…. लेकिन पांच साल में मौर्य का जलवा कम नहीं रहा…. वे पीडब्ल्यूडी जैसे विभाग के मंत्री थे…. लेकिन साल दो हजार बाइस के चुनाव में सिराथू से चुनाव हार गए…. और उनको पार्टी ने उपमुख्यमंत्री तो बनाया लेकिन मंत्रालय बदल दिया तभी से मौर्य नाराज़ है…. वहीं जितिन प्रसाद के केंद्र में मंत्री बन जाने की वजह से पीडब्ल्यूडी विभाग ख़ाली हो गया है….. लेकिन अभी तक ये मौर्य को नहीं मिल पाया है…. बता दें कि मौर्य के संगठन वाले बयान को इस चश्मे से भी देखा जा रहा है कि वो मुख्यमंत्री को दबाव में लेना चाहते है…. आपको बता दें कि केशव प्रसाद मौर्य संगठन के ही नेता हैं…. वह धीरे-धीरे संगठन के ज़रिए आगे बढ़े हैं…. वहीं योगी आदित्यनाथ महंत अवैद्य नाथ की विरासत को संभाल रहे हैं…. वह उनकी जगह सीधे सांसद चुने गए और लगातार पांच बार सांसद भी रहे….

जिसको लेकर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने ओबीसी के मास लीडर्स को ख़त्म किया है…. और संगठन के ज़रिए आए नेताओं को ज़्यादा तवज्जो दी है…. कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे नेताओं को पार्टी ने किनारे लगाया…. जिसके बाद से बीजेपी के पास जनाधार वाले कोई ओबीसी नेता नहीं हैं…. और उन्होंने कहा कि बीजेपी के सभी नेता हिंदुत्व की विचारधारा की वजह से पार्टी में किसी तरह रह रहे हैं…. और सिर्फ मुखौटे के तौर पर काम कर रहे हैं…. जनाधारविहीन होने की वजह से वो सभी पार्टी पर निर्भर हैं…. इसलिए उनके साथ कोई नहीं आ रहा है…. नहीं तो अखिलेश यादव का खुला ऑफर उनके पास था… वो चाहते तो फ़ायदा उठा सकते थे….. वहीं बीजेपी के नेताओं में मनमुटाव ज़रूर केशव प्रसाद मौर्य के बयान से शुरू हुआ है…. लेकिन यह मामला काफ़ी गंभीर है… इसलिए बीजेपी के नेताओं ने इसको दबाने की कोशिश भी की है…. पार्टी ने कई राउंड में नेताओं से बातचीत की है…. ख़ासकर प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और केशव प्रसाद मौर्य की केंद्रीय नेतृत्व से बात हुई है… और जहां सभी को साथ काम करने की नसीहत दी गई है….

हालांकि कांग्रेस के प्रवक्ता अनिल यादव ने कहा कि अब बीजेपी, ओबीसी नेताओं से जवाब मांग रही हैं…. औऱ उनका कहना है की साल दो हजार चौबीस के चुनाव में ओबीसी वोट न मिलने की वजह से बीजेपी को भारी नुक़सान हुआ है…. पार्टी के ओबीसी नेता अपने समुदाय का वोट बीजेपी को नहीं दिला पा रहे हैं…. यह वोट अब इंडिया गठबंधन के पास जा रहा है…. और उन्होंने कहा कि साल दो हजार चौदह, दो हजार सत्रह, दो हजार उन्नीस और साल दो हजार बाइस के चुनाव में बीजेपी पिछड़ों की वज़ह से चुनाव जीती…. लेकिन जब सामाजिक न्याय की बात आई तो पार्टी मुकर गई…. अब पिछड़ा वर्ग बीजेपी से जवाब मांग रहा है…. इसलिए बीजेपी और उनके ओबीसी नेता घबराए हुए हैं…. वहीं लोकसभा चुनाव के नतीजे पर गौर करें तो विपक्ष ने ज़्यादा ओबीसी प्रत्याशी खड़े किए जिसके नुक़सान बीजेपी को हुआ है…. उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन के तैंतालीस सांसद विपक्षी चुने गए हैं… उनमें करीब इक्कीस ओबीसी, नौ दलित, पांच मुस्लिम और आठ ऊंची जाति से हैं… वहीं एनडीए के छत्तीस सांसदों में सबसे ज़्यादा पंद्रह सासंद ऊंची जातियों के चुने गए हैं…. ओबीसी के तेरह और दलित समाज के आठ सांसद चुने गए हैं….

 

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