वेस्ट यूपी में जाट वोट बैंक पर भाजपा की पकड़ गठबंधन से ज्यादा मजबूत

लखनऊ। विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए गठबंधन में सहयोगी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी से ज्यादा फायदेमंद बसपा रही। बसपा का जाटव सहित दलित वोट बैंक भाजपा को हस्तांतरित हुआ है। वहीं पश्चिमी यूपी में जाट वोट बैंक पर भाजपा की पकड़ सपा-रालोद गठबंधन से ज्यादा मजबूत साबित हुई है। पार्टी की ओर से विधानसभा चुनाव-2022 को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। प्रदेश नेतृत्व ने रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्टï्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ïडा को सौंप दी है। यूपी चुनाव 2022 में बसपा ने 122 सीटों पर ऐसे उम्मीदवार मैदान में उतारे थे जो कि सपा उम्मीदवार की जाति के ही थे। इनमें 91 मुस्लिम और 15 यादव उम्मीदवार थे। मुस्लिम-यादव (एमवाई) फैक्टर के अनुसार इन सीटों पर सपा की जीत की प्रबल संभावना थी, लेकिन बसपा की ओर से सजातीय उम्मीदवार उतारने का फायदा भाजपा को मिला। नतीजन 122 में से 68 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। पार्टी का मानना है कि फरेंदा, सिराथू सहित करीब एक दर्जन से अधिक ऐसी सीटें हैं जहां कुर्मी वोट भाजपा को नहीं मिला। जबकि कुर्मी वोट बैंक की राजनीति करने वाला अपना दल (एस) भाजपा के साथ था। अपना दल ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, इसमें से 12 सीटों पर जीत दर्ज की। इनमें भी दो सीटों पर दो हजार से कम और एक सीट पर पांच हजार से कम अंतर से जीते। जबकि चार सीटें 5 पांच हजार से अधिक और एक सीट दो से पांच हजार के अंतर पर हारी।

वहीं पूर्वांचल की कुछ सीटों पर निषाद समाज का वोट भी पूरी तरह भाजपा को नहीं मिला। निषाद पार्टी ने नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था, इसमें से छह सीटें जीती।शाहगंज से निषाद पार्टी के रमेश सिंह सिर्फ 719 वोटों से जीते। तीन सीटें दो से पांच हजार और एक सीट पांच हजार से अधिक मतों से हारी। भाजपा की रिपोर्ट में सामने आया है कि पश्चिमी यूपी में जाट मतदाता शहरी और ग्रामीण में बंट गए। शहरी जाट मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ सीटों पर जाटों का रुझान सपा-रालोद गठबंधन की ओर रहा। भाजपा ने 17 जाट उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। इसमें से दस चुनाव जीते। वहीं सपा-रालोद गठबंधन ने भी 17 जाट उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उनके 7 ही जाट उम्मीदवार जीते। इनमे सपा के तीन और रालोद के चार जाट विधायक हैं। भाजपा ने रिपोर्ट में साफ किया है कि पश्चिमी यूपी में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद के प्रमुख जयंत चौधरी की जोड़ी का ज्यादा असर नहीं दिखा। पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन के गढ़ से जुड़ी 30 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी रालोद केवल 8 सीटें ही जीत सका। भाजपा ने रिपोर्ट में माना है कि सपा की ओर सवर्ण वोट शिफ्ट हुआ है। सपा ने जहां सवर्ण उम्मीदवार को टिकट दिया था, वहां उम्मीदवार की जाति का सवर्ण वोट सपा को मिला है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button