अखिलेश के दांव से बीजेपी की बढ़ी परेशानी, ब्राम्हण वोटों में भी लगा दी सेंध

उत्तर प्रदेश की राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है..... हमेशा मुस्लिम-यादव की राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी जब लोकसभा चुनाव से पहले पीडीए की बात करने लगती है.... देखिए खास रिपोर्ट...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश की राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है….. हमेशा मुस्लिम-यादव की राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी जब लोकसभा चुनाव से पहले पीडीए की बात करने लगती है…. सबको हैरानी होती है…. लेकिन जब लोकसभा चुनाव के परिणाम आते हैं….. तो उससे अखिलेश यादव की खुशी और पीडीए के प्रति उम्मीद और बढ़ जाती है…. बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद से अखिलेश यादव जोश में नजर आ रहें है… और बीजेपी की हर चाल का मात बड़े ही आसानी से करते हैं… बता दें अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति से लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पसीने छुड़ा दिए थे… जिसके बाद से अखिलेश के तेवर में कोई बदलाव नहीं देखने को मिल रहा है… यूपी में भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर लोकसभा चुनाव दो हजार चौबीस में उभरी समाजवादी पार्टी के तेवर सातवें आसमान पर है… आपको बता दें कि अखिलेय़ यादव कोई भी निर्णय बड़ी खामोशी के साथ लेते हैं… जिसकी विपक्ष को भनक तक नहीं लगती है… बता दें कि यूपी में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे थे… कि सपा की तरफ से नेता प्रतिपक्ष कौन होगा… जिस पर विराम लग गया है… आपको बता दें कि अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट से सांसद चुने गए… और उन्होंने बीजेपी के सुब्रत पाठक को हराया… जिसके बाद अखिलेश ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया… जिसके बाद से नेता प्रतिपक्ष की सीट खाली हो गई थी… वहीं इससे पहले नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव थे… और विधानसभा में जनता की बात बड़ी बेबाकी से रखते थे… वहीं सासंद बनने के बाद अखिलेश यादव को अपने विधायकी से इस्तीफा देना पड़ा… उसके बाद से सियासी गलियारों में नेता प्रतिपक्ष को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था… वहीं अखिलेश अपने बयानों में हमेशा कहते नजर आए कि वक्त आने पर पता चल जाएगा कि किसे नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी जाती है… वहीं आज सभी अटकलों पर विराम लग गया और अखिलेश यादव ने सपा के कद्दावर नेता माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बना दिया… जिससे सभी अटकलों पर विराम लग गया…

आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी ने माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बना दिया है… आपको बता दें कि रविवार को लखनऊ में हुई समाजवादी पार्टी के विधायकों की बैठक के बाद अखिलेश यादव ने यह फैसला लिया है…. माता प्रसाद पांडेय को मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता था…. माता प्रसाद पांडेय सिद्धार्थनगर के इटवा से सपा विधायक हैं…. इससे पहले वो यूपी विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं…. और सात बार के विधायक हैं…. माता प्रसाद पांडेय के नाम के ऐलान से पहले शिवपाल यादव, इंद्रजीत सरोज और तूफानी सरोज के नाम चर्चा थी…. लेकिन लखनऊ में विधायकों के साथ करीब 3 घंटे चली बैठक के बाद अखिलेश यादव ने ब्राह्मण दांव चलते हुए माता प्रसाद पांडेय को विधायक दल का नेता चुना…. बता दें कि माता प्रसाद पांडेय ने अपना पहला चुनाव साल उन्नीस सौ अस्सी में जनता पार्टी से लड़ा था…. और पहली बार विधानसभा में जगह बनाई…. इसके बाद साल उन्नीस सौ पच्चासी के चुनाव में इन्होंने लोकदल से जीत हासिल की थी….. फिर उन्नीस सौ नवासी के चुनाव में जनता दल से विजय हासिल की…. और साल उन्नीस सौ इक्यानबे में इनके विजय रथ पर लगाम लगी…. और इस साल इन्हें हार का सामना करना पड़ा… वहीं साल उन्नीस सौ छियानबे के चुनाव में भी इन्हें फिर से पराजय का सामना करना पड़ा…. इन दोनों चुनाव में ये तीसरे नंबर पर रहे…. आपको बता दें कि साल दो हजार दो के चुनाव में सपा प्रत्याशी के रूप में इन्होंने चुनाव लड़ा…. और एक बार फिर सदन में पहुंचे…. उसके बाद दो हजार सात और दो हजार बारह में माता प्रसाद पांडेय फिर से सपा से ही विधानसभा पहुंचे…..

हालांकि दो हजार सत्रह के विधानसभा चुनाव में इन्हें हार का सामना करना पड़ा था…. और साल दो हजार बाईस में अखिलेश यादव ने इन पर एक बार फिर से भरोसा जताया…. और चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया…. इस बार माता प्रसाद अखिलेश के उम्मीदों पर खरा उतरे… और जीत हासिल कर सातवीं बार विधानसभा पहुंचे…. उन्नीस सौ इक्यानबे में स्वास्थ्य मंत्री तथा दो हजार तीन में श्रम और रोजगार मंत्री बने रहे…. बता दें कि माता प्रसाद पांडेय का जन्म इकतीस दिसंबर उन्नीस सौ बयालीस को सिद्धार्थनगर में हुआ है…. छात्र जीवन से ही इनका झुकाव राजनीति की ओर था…. समाज के गरीब और वंचित लोगों के उत्थान के लिए ये कई राजनीतिक आंदोलन में भी शामिल रहे… मुलायम सिंह के जमाने से राजनीति करते आ रहे माता प्रसाद की गिनती पार्टी के कद्दावर नेताओं में होती है…. पिछले चुनाव में सिद्धार्थनगर… और उसके आसपास के जिलों की कुछ सीटों पर टिकट वितरण में भी अहम भूमिका निभाई थी…. वहीं अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडेय पर भरोसा जताते हुए नेता प्रतिपक्ष चुन लिया है… अब माता प्रसाद पांडेय में विधानसभा में लोहा मनवाने का काम करेंगे… बता दें की पीडीए की राह पर चलती हुई सपा ने बड़ा दांव खलते हुए बांम्हण चेहरे को नेता प्रतिपक्ष बनाकर ब्राम्हण वोट को अपनी तरफ खींचने का दांव चला है… जिससे बीजेपी चारों खाने चित होती नजर आ रही है… लोकसभा चुनाव में बीजेपी में कलह शुरू कराने के बाद अखिलेश यादव ने ब्राम्हणों को बड़ा संदेश देते हुए माता प्रसाद पांडेय को बड़ी जिम्मेदारी दी है… जिससे सियासी पारा बढ़ गया है… लोकसभा चुनाव से अखिलेश की रणनीति को बीजेपी भांफ भी नहीं पा रही है… और अखिलेश एक के बाद एक बड़ा दांव चलते नजर आ रहें है…

आपको बता दें कि यूपी बीजेपी में कलह शांत होने का नाम नहीं ले रहा है… लोकसभा चुनाव के बाद से सीएम को हटाने को लेकर दोनों डिप्टी सीएम ने बकगावत कर दी थी… जिसके बाद यह मामला दिल्ली तक पहुंचा जहां दोनो डिप्टी सीएम और सीएम योगी आदित्यनाथ ने मोदी समेत वरिष्ठ नेताओं के यहां हाजिरी लगाई… और बात को प्रमुखता से रखा… जिसके बाद सीएम हटाने की जगह डिप्टी सीएम हटाने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है… आपसी कलह और सीएम की कुर्सी की चाह ने डिप्टी सीएम की कुर्सी पर ग्रहण लगा दिया है… जिसके बाद से सियासी माहौल और बिगड़ गया है… बता दें कि बीजेपी की अंतर्कलह ही बीजेपी को ले डूबेगी… और उत्तर प्रदेश सहित सभी राज्यों से बीजेपी का पूरी तरह से सफाया हो जाएगा… योगी को हटाने की चाह दोनों डिप्टी सीएम को ही ले डूबने वाली है… इसी बीच उत्तर प्रदेश में जारी घमासान के बाद बिहार में भी घमासान मच गया है… तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को चारो खाने चित करने के लिए बिहार यात्रा कि शुरआत करने जा रहे है.,,.. बता दें कि तेजस्वी यादव यात्रा के माध्यम से बिहार की जनता से सीधा संवाद करेंगे… और जनता की समस्याओं को जानकर उसके हिसाब रणनीति बनाकर काम करेंगे…

आपको बता दें कि बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की प्रस्तावित बिहार यात्रा का ब्लूप्रिंट पार्टी ने तैयार कर लिया है…. यात्रा का क्या नाम होगा और इसके प्रारंभ होने की क्या तिथि होगी…. इसकी घोषणा स्वयं नेता प्रतिपक्ष जल्द करेंगे…. वहीं चर्चा है कि सत्रह अगस्त से यात्रा का पहला चरण शुरू होगा…. पार्टी के सभी विधायकों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे अभी से अपने विधानसभा क्षेत्र में बिहार यात्रा की तैयारियों…. और प्रचार-प्रसार में जुट जाएं…. और स्थानीय लोगों से संवाद करें और उन्हें यात्रा का ब्योरा दें…. आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में कड़ी मेहनत के बाद भी राजद का प्रदर्शन आशा अनुरूप नहीं रहा…. हालांकि, पार्टी ने लोकसभा में चार सीटों पर जीत जरूर दर्ज कराई…. लेकिन यह जीत उम्मीदों के अनुसार नहीं थी…. जिसको देखते हुए अभी से तेजस्वी यादव विधानसभा चुनाव की तैय़ारी में जुट गए है… बिहार में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तेजस्वी ने विधानसभा क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए पंद्रह अगस्त के बाद से बिहार भ्रमण की घोषणा की थी…. वहीं अब उस घोषणा पर अमल की तैयारी शुरू हो गई है….

आपको बता दें कि हाल ही में पार्टी विधायक दल की बैठक में यात्रा को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने वरिष्ठ नेताओं और विधायकों के साथ लंबी चर्चा की और यात्रा तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया…. जिसको लेकर पार्टी सूत्रों ने बताया कि यात्रा सत्रह अगस्त से प्रारंभ होने की संभावना है…. हालांकि, फाइनल तिथि क्या होगी…. इसका निर्णय स्वयं तेजस्वी यादव लेंगे और घोषणा करेंगे…. वहीं यात्रा के दौरान नेता प्रतिपक्ष आम लोगों से मिलकर बिहार के लिए विशेष पैकेज और मदद का मुद्दा उठाएंगे…. बता दें कि जनता को बताया जाएगा कि बीते चौबीस वर्षों से राजद बिहार के विशेष दर्जे के लिए संघर्षरत है…. इसके बावजूद केंद्र सरकार बिहार के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है…. इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी कठघरे में खड़ा करने के प्रयास होंगे…. वहीं इस मुद्दे के साथ ही महंगाई, रोजगार, आरक्षण की बढ़ी सीमा को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने, जैसे विषयों पर भी नेता प्रतिपक्ष जन संवाद करेंगे…. और एक बार राज्य में राजद की सरकार बनाने के लिए समर्थन मांगेंगे…. जानकारी के अनुसार यात्रा के दौरान पार्टी के राज्य सभा सदस्य मनोज झा, संजय यादव और पार्टी के कुछ अन्य वरिष्ठ नेता तेजस्वी के साथ चलेंगे….. यात्रा जिस जिले में होगी वहां के प्रभारी… और विधायक जुड़ेंगे…. और लोगों से संवाद स्थापित करेंगे… आपको बता दें कि सपा उपचुनाव में बीजेपी की नाराजगी का फायदा उठाना चाह रही है…जिसके चलते नेता प्रतिपक्ष के लिए ब्राम्हण चेहरे पर दांव चला है…

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