विनय पाठक के खिलाफ सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर, लखनऊ की केस फाइल को करेगी भी टेकओवर
लखनऊ। सीबीआई ने छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति रहे विनय पाठक और उनके सहयोगी अजय मिश्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। दिल्ली में हुई एफआईआर में जबरन वसूली, जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं। सीबीआई ने वादी डेविड मारियो दानिश की कमीशन लेने वाले आरोपों को आधार बनाया है। इसमें उन्होंने इंदिरा नगर में उनके खिलाफ बिल भुगतान के लिए 1.4 करोड़ रुपए कमीशन लेने की स्नढ्ढक्र दर्ज कराई थी। सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच 2 इंस्पेक्टर आज लखनऊ आकर केस की फाइल को टेक ओवर कर सकते हैं।
सीबीआई ने केस से जुड़े दस्तावेज जुटाने शुरू कर दिए है। इसके लिए एसटीएफ और थाना पुलिस से दस्तावेज तलब किए हैं। सीबीआई सबसे पहले वादी डेविड का बयान दर्ज करेगी। इसके बाद जेल में बंद अजय मिश्र, अजय जैन और संतोष कुमार के बयान के लिये कोर्ट की अनुमति लेगी।
सूत्रों के मुताबिक टीम लखनऊ, कानपुर, आगरा में जांच करेगी। इसका जिक्र उसने अपने एफआईआर में भी किया है। लेकिन बरेली में भी इसके तार जुड़े होने से वहां भी टीम के जाने की संभावना है। जहां बीएड एंट्रेंस के दौरान कोरोना किट सप्लाई का करोड़ों का ठेका वीसी के करीबी अजय मिश्र ने अपने साथी संतोष की कम्पनी के नाम पर लिया था। यहां पर सीबीआई टीम इन विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और प्रशासनिक अफसरों के फिर बयान लेगी।
अलग-अलग विश्वविद्यालयों में परीक्षा कराने वाली कंपनी के मालिक डेविड मारियो दानिश ने विनय पाठक पर कंपनी के बिलों के भुगतान के लिए अवैध वसूली की एफआईआर अक्तूबर में इंदिरा नगर थाना, लखनऊ में दर्ज कराई थी। बाद में मामला एसटीएफ को दे दिया गया था। अजय मिश्रा पाठक के जरिए विवि परीक्षाओं के पेपर छपाई का ठेका लेता था।
2 जून 1969 को कानपुर में जन्मे विनय कुमार पाठक ने 1991 में कानपुर के एचबीटीआई से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया, 1998 में आईआईटी खडग़पुर से एमटेक किया और 2004 में कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की। विनय कुमार पाठक अपने 26 सालों के कार्यकाल में विभिन्न शिक्षण संस्थानों में अहम पद पर रहे।
कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में कुलपति बनने से पहले उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (ह्र), हल्द्वानी के 25 नवंबर 2009 से 24 नवंबर 2012 तक कुलपति रहे। उसके बाद 1 फरवरी 2013 को वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी, कोटा के कुलपति रहे। उसके बाद एकेटीयू के कुलपति हुए।
इंदिरा नगर थाने में डेविड मारियो ने विनय पाठक और उसके करीबी अजय मिश्र के खिलाफ कमीशन लेने का आरोप लगाते हुये मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें बाद में धोखाधड़ी की धारायें बढ़ गई थी। विनय पाठक का बयान लेने के लिये एसटीएफ दो बार नोटिस दे चुकी थी पर वह बयान देने नहीं पहुंचे। इस बीच ही विनय पाठक की तैनाती के दौरान छह विश्वविद्यालयों में अनियमिततायें पायी गई। नियुक्तियों में 100 करोड़ से ज्यादा का खेल हुआ। ऐसे ही कई बिन्दुओं पर जांच के बाद एसटीएफ ने भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा बढ़ाई थी।
इस केस में प्रो. पाठक उनके करीबियों अजय मिश्रा, अजय जैन और संतोष कुमार सिंह को भी आरोपी बनाया जाएगा। एसटीएफ तीनों को गिरफ्तार कर चुकी है।