चंद्रशेखर ने योगी की खोल दी पोल, शिक्षा व्यवस्था की बदहाली पर उठाए सवाल
आजाद समाज पार्टी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने एक बार फिर केंद्र व यूपी सरकार पर हमला बोला है... और उन्होंने PM SHRI और यूपी सरकार की मिशन कायाकल्प योजना पर सवाल उठाया है...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है…. यूपी के सरकारी स्कूल अपनी बदहाली के आंसू रो रहे हैं…. स्कूल भवन जर्जर हाल में हैं….. बीजेपी की डबल इंजन सरकार का शिक्षा को लेकर बिल्कुल सुस्त नजर आ रही है…. जिसको लेकर नगीना सीट से सांसद और आजाद समाज पार्टी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने एक बार फिर केंद्र और योगी सरकार पर बड़ा जुबानी हमला बोला है….. आसपा नेता ने कहा कि डबल इंजन वाली केंद्र की भाजपा सरकार ने ‘प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया’ योजना….. और उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘मिशन कायाकल्प’ जैसी बड़ी-बड़ी योजनाओं का प्रचार किया…… जिनमें आधुनिक स्कूल और बेहतर बुनियादी ढांचे का वादा किया गया था….. लेकिन प्रदेश के स्कूलों की हालत इन योजनाओं की सच्चाई को उजागर करती है….. इनका लाभ न तो बच्चों को मिला…. और न ही शिक्षा के बुनियादी ढांचे को सुधारने में कोई ठोस कदम उठाया गया….. आपको बता दें कि नगीना सांसद ने कहा कि आज स्थिति यह है कि सरकारी स्कूलों में बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं….. यह विकास का नहीं….. बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ का प्रमाण है….. चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि, ‘मैं यह कहना चाहता हूँ कि हमारे बच्चों का भविष्य किसी भी सरकार के लिए केवल एक चुनावी एजेंडा नहीं हो सकता….. यह देश का भविष्य है….. लोकतंत्र के चारों स्तंभ इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करें तो इस दिशा में सकारात्मक बदलाव संभव है….. जिसकी जनता अपेक्षा करती है…..
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ जी, जिस प्रकार आप हमारे धार्मिक स्थलों पर ध्यान देते हैं…… उसी प्रकार यदि आप शिक्षा के इन मंदिरों पर ध्यान दें,…. तो हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सकता है….. इन स्कूलों में मुख्यतः आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं….. उनके भविष्य के साथ सरकार की यह लापरवाही जानबूझकर की गई साजिश प्रतीत होती है,….. जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा…. आसपा नेता कहा कि सरकार की यह प्राथमिक जिम्मेदारी है…. कि वह शिक्षा के मंदिरों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए,….. क्योंकि एक सशक्त राष्ट्र की नींव बेहतर शिक्षा पर ही रखी जाती है…. लेकिन सरकार बड़े- बड़े दावे तो करती है लेकिन उसका असर जमीनी स्तर पर नहीं दिखाई देता है…. प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से धड़ाम हो चुकी है…. स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं है….
आपको बता दें कि यूपी के प्राथमिक विद्यालयों पर सरकार को ज्यादा से ज्याभदा ध्यान देने की जरूरत है…… यहां कई प्राइमरी स्कूाल ऐसे हैं जहां कहीं पर परिसर में गाय बंधी है….. तो कहीं दुकान है….. तो कहीं एक कमरे में दो क्लास चलते हैं….. वहीं इन उपेक्षित स्कूलों के नवीनीकरण के लिए मिशन कायाकल्प के विस्तार की जरूरत है….. सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में प्राथमिक छात्रों की संख्या सबसे अधिक है…… इन बच्चों और उनके साथ पूरे राज्य का भविष्य उचित शिक्षा प्रणाली पर टिका हुआ है….. योगी सरकार के 8 साल में कक्षाएं नियमित करने, यूनिफॉर्म और किताबें उपलब्ध कराने, स्कूल भवनों के नवीनीकरण…. और हर बच्चे को मिड डे मील प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है……. लेकिन शिक्षा प्रणाली की विडंबना यह है कि प्राथमिक स्तर पर भारी कमी है….. राज्य में कई स्कूल हैं जो केवल एक शिक्षक के भरोसे काम कर रहे हैं….. राज्य सरकार, हर सच्चाई से अवगत होने के बावजूद, अभी भी एक स्थायी समाधान नहीं खोज पाई है…..
वहीं अगर हम उत्तर प्रदेश की बात करें तो 2011 की साक्षरता दर 69.72 प्रतिशत है…… वहीं, केरल की साक्षरता दर 93.91 फीसदी….. और दिल्ली की 86.34 है….. पिछली सरकार की तुलना में तस्वीर ज्यादा नहीं बदली है….. उत्तर प्रदेश की खराब शिक्षा प्रणाली का कारण इस तथ्य से भी समझा जा सकता है कि प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर तक….. और मौजूदा बुनियादी ढांचे में व्यापक स्तर पर पुनर्निर्माण मोड के तहत शिक्षकों की भारी कमी है….. वहीं आदर्श व्यवस्था के तहत, एक शिक्षक पर चालीस से अधिक बच्चों का बोझ नहीं होना चाहिए……. लेकिन सच्चाई यह है कि कई स्कूल ऐसे हैं जो केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं….. ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता की कल्पना आसानी से की जा सकती है….. जब बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार कानून बनाया गया….. तो यह माना गया कि साठ बच्चों को पढ़ाने के लिए कम से कम दो शिक्षक होने चाहिए….. हालांकि, यदि बच्चों की संख्या 121 से 200 के बीच है…. तो पांच शिक्षक बच्चों को पढ़ा सकते हैं…..
योगी सरकार का दावा है कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के संकल्प को साबित करने के लिए…. राज्य सरकार ने 1.20 लाख से अधिक सहायक अध्यापकों की भर्ती की है…… वहीं परिषदीय स्कूलों में छात्रों को प्रौद्योगिकी-आधारित सीखने की सुविधा प्रदान करने के लिए राज्य में लगभग पांच हजार स्मार्ट कक्षाएं बनाई गई हैं…… ऑपरेशन कायाकल्प के तहत परिषदीय स्कूलों का कायाकल्प करते हुए इन सभी को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जा रहा है….. वहीं विडंबना यह है कि यूपी में प्राथमिक शिक्षा के नाम पर बहुत सारा बजट खर्च किया जाता है…… लेकिन अफसरों की लापरवाही के कारण कई प्राथमिक स्कूल केवल भोजन आपूर्ति के लिए चलाए जा रहे हैं….. इन स्कूलों के पास अपने भवन नहीं हैं….
आपको बता दें कि सरकार शिक्षा को लेकर तमाम योजनाओं का दावा तो करती चली आ रही है…. मिशन कायाकल्प के तहत स्कूलों का तो कायाकल्प नहीं हुआ है…. लेकिन इस योजना से सरकार का कायाकल्प जरूर होता हुआ दिखाई दे रहा है…. सरकार का ध्यान शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने का नहीं है….. अगर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था सही कर दी गई…. तो गरीब और मध्यम वर्ग के लड़के पढ़ लिखकर जागरूक हो जाएंगे और अपने हक की मांग करने लगेंगे…. जो सरकार नहीं चाहती है….