अखिलेश यादव के गढ़ में लालू-मुलायम के दामादों में  भिड़ंत

  • भारतीय जनता पार्टी से मैदान में हैं मुलायम सिंह की भतीजी के पति
  • सपा से मैदान में हैं अखिलेश के भतीजे तेजप्रताप

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव का केंद्र तो पहले मिल्कीपुर विधानसभा थी लेकिन वहां चुनाव न होने के कारण अब सियासत का केंद्र मैनपुरी की करहल सीट बन गई है। जहां से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव विधायक थे। जो कन्नौज से सांसद होने के बाद इस सीट को छोड़ दिया। करहल का चुनाव बहुत ही रोचक होने वाला है क्योंकि बीजेपी ने जो यहां बिसात बिछाने की कोशिश की है उससे यहां की ये सीट चर्चा में आ गई है। मैनपुरी समाजवादियों का गढ़ रहा है और यहां अन्य किसी पार्टी की दाल नहीं गल पाई है। बीजेपी इस चक्रव्यूह को तोडऩे के लिए इस बार जो सियासी चाल चली है उससे परिणाम भले बीजेपी के अनुकूल न आए लेकिन चुनाव जरुर रोचक हो चुका है।
दरअसल इस उपचुनाव में करहल सीट में सियासत के दो धुरंधर लालू-मुलायम के दामाद आमने सामने आ गए हैं। लेकिन खेल देखिए मुलायम के दामाद बीजेपी से लड़ रहे हैं और लालू के दामाद समाजवादी पार्टी के टिकट से मैदान में हैं। एक तरफ अखिलेश ने अपने भतीजे को अपना भरत मानकर इस विधानसभा की कमान दी है तो वहीं दूसरी तरफ मुलायम सिंह की भतीजी के पति पर बीजेपी ने भरोसा जताकर चुनाव मैदान में उतार दिया है। दरअसल बीजेपी के इस खेल से कोई नुकसान नहीं होने वाला लेकिन समाजवादी पार्टी का नुकसान जरुर होगा। क्योकि अगर सपा इस चुनाव में जीतती है तो भी यादव परिवार का सदस्य हारेगा और तेजप्रताप को चुनाव में नुकसान होता है तो भी यादव परिवार का ही सदस्य हरेगा। लेकिन अगर बीजेपी ये सीट जीतने में कामयाब रही तो अयोध्या का दंश जो समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को दिया। उस दंश पर करहल सीट की जीत का मरहम लगाने का पूरा काम करेगी। सपा अध्यक्ष ने साल 2022 में पहली बार विधानसभा चुनाव लडऩे का फैसला किया था। जिसके लिए मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट को चुना था। करहल से वह विधायक चुने गए लेकिन 2024 में कन्नौज से सांसद बनने के बाद विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।

बीजेपी ने चला 22 साल पुराना फॉर्मूला

करहल सपा ने पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को उतारा है। जो मुलायम सिंह यादव के पोते और लालू प्रसाद यादव के दमाद हैं। ऐसे में बीजेपी ने मुलायम सिंह यादव के दामाद और सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई अनुजेश प्रताप यादव को उतारा है तो बसपा की ओर से अवनीश शाक्य प्रत्याशी हैं। इस तरह करहल सीट पर चुनावी मुकाबला सैफई परिवार यानि मुलायम परिवार के बीच है। सैफई परिवार के दामाद अनुजेश प्रताप यादव सपा सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव के पति हैं। संध्या 2015 से 2020 तक मैनुपरी जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं और अनुजेश फिरोजाबाद से जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। बीजेपी ने अनुजेश को उतारकर यादव वोटों में सेंधमारी का दांव चला है। यादव वोटों में अगर बिखराव होता है तो सपा के लिए सियासी टेंशन बढ़ सकती है।

करहल सीट का सियासी समीकरण

मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट साल 1956 में परिसीमन के बाद सियासी वजूद में आई थी। यादव बहुल सीट होने के चलते यादव समाज से ज्यादातर विधायक चुने जाते रहे हैं, सपा के गठन और उससे पहले ही मुलायम सिंह के करीबी नेता ही करहल सीट से जीतते रहे हैं। 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के पहलवान नत्थू सिंह यादव पहले विधायक बने थे, उसके बाद 1962, 1967 और 1969 में स्वतंत्र पार्टी, 1974 में भारतीय क्रांति दल और 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर नत्थू सिंह जीते, लेकिन 1980 में कांग्रेस के शिवमंगल सिंह ने जीत दर्ज की थी। करहल के सियासी समीकरण के चलते 1985 से 1996 तक बाबूराम यादव का वर्चस्व कायम रहा था। बाबूराम यादव ने तीन चुनाव जनता दल के टिकट से जीते थे। जब स्व.मुलायम सिंह यादव ने सपा का गठन किया तो बाबूराम भी उनके साथ हो गए और 1993 और 1996 में सपा उम्मीदवार के तौर पर बाबूराम ने करहल सीट से जीत दर्ज की थी। इसके बाद सपा महज 2002 में विधानसभा चुनाव हारी थी और उसके बाद से लेकर अभी तक सपा का दबदबा करहल सीट पर कायम है। साल 2002 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर अनिल यादव चुनाव लड़ रहे थे तो बीजेपी ने सोबरन सिंह यादव को टिकट देकर करहल की चुनावी लड़ाई यादव बनाम यादव की बना दी। सोबरन सिंह यादव सपा छोडक़र बीजेपी में आए थे। वह करहल सीट पर सपा की कमजोरी और ताकत दोनों से ही वाकिफ थे, मुलायम सिंह यादव से लेकर शिवपाल यादव तक ने अनिल यादव को जिताने के लिए करहल में दिन रात एक कर दिया था लेकिन यादव वोटों का बड़ा झुकाव बीजेपी के सोबरन यादव के साथ रहा।

निजी स्कूल वैन में अज्ञात बदमाशों ने किया हमला, दहशत में बच्चे

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
अमरोहा। उत्तर प्रदेश के अमरोहा से एक सनसनीखेज घटना सामने आई, जहां एक निजी स्कूल की वैन पर अज्ञात बदमाशों ने फायरिंग कर दी। उस समय बच्चे भी वैन में सवार थे। जिससे बच्चे डर गए और वैन में चीख-पुकार मच गई। वैन चालक के अनुसार तीन अज्ञात बदमाश बाइक से आए और अचानक फायरिंग शुरू कर दी।
गनीमत यह रही कि घटना में किसी को चोट नहीं आई। वहीं घटना की जानकारी होने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच शुरू की और वैन को थाने ले आए। गजरौला थाना क्षेत्र की पुलिस ने वैन चालक से भी पूछताछ की और हर पहलू को ध्यान में रखते हुए आरोपियों की तलाश में जुट गई है।

गोरखपुर पुलिस पर आरोपियों का जानलेवा हमला

  • रेप के आरोपी के परिजनों ने पुलिसकर्मियों को लाठी-डंडों से पीटा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
गोरखपुर। गोरखपुर के कैंपियरगंज में रेप के आरोपी के घर दबिश देने गए ट्रेनी दारोगा और सिपाही पर आरोपी और उसके परिजनों ने हमला कर दिया, जिससे आरोपी को पकडऩे गए दोनों पुलिसकर्मी घायल हो गए। घायल पुलिस को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है, घटना की सूचना मिलते ही गांव में बड़ी संख्या पुलिस फोर्स को तैनात कर दिया गया।
कैंपियरगंज थाना क्षेत्र के गोपालगंज के एक शख्स ने पुलिस से शिकायत की थी कि उसकी नाबालिग बेटी घर पर थी, इस दौरान पड़ोस का रहने वाला राहुल निषाद मौका देखकर घर में घुस गया और बेटी के साथ दरिंदगी की। पीडि़त ने आरोप लगाया कि आरोपी ने पहले बेटी की पिटाई की फिर उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया।

आरोपियों की तलाश में जुटी पुलिस

यही नहीं जाते समय बोला कि यदि परिजन या पुलिस को घटना के संबंध में बताया तो पूरे परिवार को जान से मार दूंगा। परिजनों ने मामले में पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद से ही पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी थी। इसी दौरान पुलिस को सूचना मिली कि आरोपी अपने घर पर मौजूद है जिसके बाद पुलिस ने दबिस देकर युवक को गिरफ्तार करने की कोशिश की तो आरोपी ने परिवार के साथ मिलकर पुलिस पर ही हमला कर दिया। शुक्रवार देर शाम प्रशिक्षु दारोगा सचिन कुमार अपने साथ सिपाही अजीत और बबलू को लेकर आरोपी को पकडऩे के लिए उसके घर पहुंचे थे। पुलिस को देखकर आरोपी भागने लगा लेकिन पुलिसकर्मियों ने दौड़ाकर उसे दबोच लिया और बाइक पर बैठाकर थाने लाने लगे। इस दौरान घर के लोग आगबबूला हो गए और पुलिसवालों पर ईंट और पत्थर से हमला कर दिया, यही नहीं घरवालों ने पुलिसकर्मियों को घेर लाठी-डंडों से पिटाई कर दी।

जस्टिस संजीव खन्ना होंगे देश के 51वें सीजेआई

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। स्टिस संजीव खन्ना देश के 51वें सीजेआई होंगे। गुरुवार को उन्हें मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया, 11 नवंबर को जस्टिस खन्ना शपथ लेंगे। इससे एक दिन पहले वर्तमान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ पद मुक्त हो जाएंगे, डीवाई चंद्रचूड़ ने 8 नवंबर 2022 को सीजेआई का पदभार ग्रहण किया था। जस्टिस संजीव खन्ना का सीजेआई के रूप में कार्यकाल छह महीने से कुछ अधिक होगा वह अगले साल 13 मई को पदमुक्त होंगे।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने कहा कि भारत के संविधान द्वारा दी गई शक्ति का इस्तेमाल करते हुए देश की राष्ट्रपति, सीजेआई से परामर्श के बाद सुप्रीम कोर्ट के जज संजीव खन्ना को 11 नवंबर 2024 से देश के प्रधान न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करती हैं।

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