विभागों को लूटकर करोड़ों बांट रहे सीएम: तेजस्वी

  • राजद नेता ने जारी किया भ्रष्टाचार का वर्ण-पत्र!

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर से सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोला है। उन्होंने अखबार में छपे विज्ञापन की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा सीएम नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के कैबिनेट मंत्री बिहार जैसे पिछड़े और गरीब राज्य के अपने विभागों को लूट कर सभी अखबारों में करोड़ों-करोड़ के फुल पेज विज्ञापन दे रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने कहा कि आश्चर्यजनक है कि यह विज्ञापन नीतीश कुमार की पार्टी जदयू, बिहार सरकार तथा सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की तरफ से आधिकारिक विज्ञापन नहीं बल्कि कैबिनेट के पांच मंत्रियों की तस्वीरों के साथ बिना किसी निवेदक के जारी किया है। यह विज्ञापन टूटते पुलों से प्राप्त कमीशन, जमीन सर्वे, स्मार्ट मीटर तथा थानों और ब्लॉक कार्यालयों में सरकारी भ्रष्टाचार के माध्यम से अर्जित अवैध काली कमाई एवं अवैध धन शोधन से दिया जा रहा है। यह विज्ञापन भी नहीं बल्कि नीतीश कुमार के भ्रष्टाचार का विवरण और शंसापत्र है।

तभी तो घटिया क्वालिटी के गिरते हैं पुल

पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि ट्रांसफऱ-पोस्टिंग के नाम पर तथा पुल-पुलिया और सडक़ बनाने में अभियंताओं से कमीशन ली जाती है। फिर उसी काली कमाई और धन-शोधन से अभियंताओं को अभियंता दिवस की बधाई दी जाती है। सीएम नीतीश कुमार और उनके मंत्री अभियंताओं और ठेकेदारों से कमीशन लेते है तभी तो घटिया क्वालिटी के पुल गिरते है।

राज्य में हो रहा पुलिस का राजनीतिकरण

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि पुलिस सत्ता संपोषित हो गई है। पुलिस का राजनीतिककरण हो गया है। उन्होंने इस मामले में पीड़ित पक्ष को न्याय मिलना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जिले के जाले विधानसभा क्षेत्र के देवरा बंधौली गांव में फर्जी मतदान के मामले में गिरफ्तार किए लोगों के घर जाकर मुलाकात की है। बता दें कि मधुबनी लोकसभा चुनाव के दिन फर्जी तरिके से मतदान करने को लेकर गिरफ्तार किया गया था। बाद में कामतौल थाने पर हमला कर सभी को ग्रामीणों ने छुड़ा लिया था। इस मामले में क्षेत्र के सभी अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिष्ठित लोगों पर एफआईआर दर्ज किया गया। पूरे तीन महीना तक लोगों ने दहशत में समय गुजारा। पुलिस के डर से गांव ही नहीं क्षेत्र के कई गांवों के अल्पसंख्यक समुदाय के लोग छुप-छुपकर जीवन जिया।

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