कमेटी ने किया शरद पवार का इस्तीफा नामंजूर
मुंबई। आज का दिन महाराष्ट्र के लिए बेहद अहम है। एनसीपी अध्यक्ष का पद छोडऩे के ऐलान के बाद आज शरद पवार अपना इस्तीफा वापस लेते हैं या नहीं, इस पर सबकी नजरें लगी हुई हैं। मुंबई में एनसीपी कार्यालय में एनसीपी चुनाव कमेटी की मीटिंग हो रही है. अजित पवार, सुप्रिया सुले, छगन भुजबल, प्रफुल्ल पटेल, हसन मुश्रिफ, जयंत पाटील, धनंजय मुंडे, अनिल देशमुख, दिलीप वलसे पाटील, जितेंद्र आव्हाड मीटिंग में मौजूद हैं। मीटिंग में प्रस्ताव पास किया गया है कि शरद पवार अपना इस्तीफा वापस लें और अध्यक्ष बने रहें।
प्रफुल्ल पटेल ने यह प्रस्ताव पेश किया जो एकमत से मंजूर हुआ। कमेटी ने दो प्वाइंट में अपना प्रस्ताव एकमत से मंजूर किया है। एक, शरद पवार के इस्तीफे को नामंजूर किया गया है। दो- शरद पवार ही अध्यक्ष पद पर बने रहें। समिति की सिफारिश शरद पवार तक पहुंचाई जा रही है। थोड़ी देर में प्रफल्ल पटेल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीटिंग के फैसलों की आधिकारिक जानकारी देंगे। शरद पवार थोड़ी देर में एनसीपी कार्यालय में पहुंचेंगे।
इस बीच अचानक एनसीपी कार्यालय के बाहर एक कार्यकर्ता ने अचानक अपने शरीर पर केरोसीन तेल उढ़ेल लिया और आत्मदाह की कोशिश की। वहां मौजूद कार्यकर्ताओं ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। कार्यकर्ता चिल्ला रहा था कि शरद पवार ने अगर इस्तीफा वापस नहीं लिया तो उसके जीने का क्या फायदा? जैसे पिता का साया उठने के बाद संतान अनाथ महसूस करती है, वैसा ही उसे आज महसूस हो रहा है। यह कार्यकर्ता भिवंडी का जिलाध्यक्ष है।
पिछले दो दिनों की तरह आज सुबह से ही बड़ी तादाद में एनसीपी कार्यकर्ता मुंबई के एनसीपी कार्यालय में जुटे हुए थे। वे यही नारे लगा रहे थे कि, ‘पूछो हमारे दिल से, शरद पवार फिर से’, ‘देश का नेता कैसा हो, शरद पवार जैसा हो’। जैसे ही अजित पवार मीटिंग अटेंड करने के लिए पहुंचे, एनसीपी कार्यकर्ता और बुलंद आवाज में यह चिल्लाने लगे कि ‘फिर एक बार शरद पवार-शरद पवार’।अजित पवार ने ना मीडिया से संवाद किया और ना ही कार्यकर्ताओं से। बता दें कि एनसीपी में अजित पवार अकेले वो शख्स हैं जिन्होंने शरद पवार के पद छोडऩे के ऐलान का समर्थन किया था।
शरद पवार के ऐलान के बाद से ही एनसीपी कार्यकर्ता और नेता बड़ी तादाद में जगह-जगह आंदोलन कर उनसे अपना इस्तीफा वापस लेने की मांग कर रहे हैं। कल शरद पवार ने कार्यकर्ताओं की भारी मांग के आगे झुकने का संकेत देते हुए कहा था कि, ‘आपकी इच्छा को नजरअंदाज नहीं करूंगा। दो दिनों बाद आपको आंदोलन के लिए यहां बैठने की नौबत नहीं आएगी।’