हरियाणा जैसी गलती नहीं करेगी कांग्रेस!
- महाराष्ट्र में चुनाव लड़ेगा ‘इंडिया गठबंधन’
- सपा का बिना कॉन्फिडेंस लिए चुनाव लड़ा तो बिगड़ेगा खेल!
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। हरियाणा व जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद अब देश की निगाह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर है। हरियाणा में हृष्ठ्र सरकार बना ले गई तो वहीं जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन ने मजबूती के साथ सरकार बनाई। लेकिन कांग्रेस का हरियाणा में जो हिसाब किताब गड़बडय़ा उससे उसका मनोबल थोड़ा गिरा जरूर है और शायद यही कारण है कि अब कांग्रेस इंडिया गठबंधन को और मजबूती के साथ एक-साथ चलने के प्रयास में है। कांग्रेस इस बार महाराष्ट्र से बड़ा मैसेज देने के मूड में है… और मैसेज बिलकुल साफ कि इंडिया गठबंधन एक साथ सामूहिक होकर महाराष्ट्र का चुनाव लड़े और इस चुनाव में बात सिर्फ महाविकास अघाड़ी की ही न रहे बल्कि बात इंडिया की हो। और शायद इन चुनाव परिणामों से अब जनता की भी यही मांग होगी!
महाराष्ट्र का चुनाव इंडिया गठबंधन ऐसे लड़े की कि इस बार इंडिया का हर बड़ा कद्दावर नेता चुनाव प्रचार करने के लिए महाराष्ट्र की जमी पर आए और उसका निशाना सीधे तौर पर बीजेपी ही हो। INDIA प्रदेश को ये अहसास कराए कि पिछली बार सरकार में होते हुए भी शिवसेना को कैसे असंवैधानिक तौर पर तोड़कर महाराष्ट्र में संविधान की धज्जियां उड़ाई गईं। इंडिया गठबंधन इस बात का भी एहसास कराए कि करप्शन बीजेपी के लिए कोई मायने रखता नहीं है और इस तरह के काम करने के लिए वो किसी भी स्तर पर जा सकती है। इंडिया गठबंधन के नेता शायद अब इसी तरह के नए रास्ते बनाने की कोशिश कर रहा है। इंडिया गठबंधन का ये फैसला हैरत अंगेज है, वो इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र का किला इंडिया गठबंधन अगर फतेह नहीं कर पाई तो फिर सवाल इस गठबंधन के अस्तित्व पर भी आ जाएगा। क्योंकि हरियाणा के चुनाव नतीजों से जनता नाखुश है लेकिन उसे उम्मीद थी कि यहां से बड़ा बदलाव होगा और एक नए युग की शुरुआत की नींव वहीं से रख उठती। जो हरियाणा से महाराष्ट्र तक, महाराष्ट्र से बिहार तक और फिर बिहार से यूपी तक पहुंचता। और जब ये काफिला यूपी तक पहुंच जाता तो वहां से एक बड़ा संदेश साफ निकलकर आता और वो संदेश 2029 के लिए इंडिया गठबंधन को बहुत मजबूत प्रदान करता। महागठबंधन के इस काफिले को बीजेपी ने हरियाणा में रोक दिया इसलिए सवाल अब इंडिया गठबंधन के अस्तित्व पर आता दिख रहा है। हरियाणा चुनाव से पहले ये माना जा रहा था कि सबसे ज्यादा राजनीतिक दलों के गठजोड़ के साथ हरियाणा ही वह राज्य होगा जहां से इंडिया गठबंधन को जीत मिलेगी और उसके बाद महाराष्ट्र में जीत मिलेगी। लेकिन हरियाणा में कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के सहयोगियों को किनारे लगा दिया और वहां अपने बल-बूते सरकार बनाने निकल पड़ी। नतीजा हुआ कि कांग्रेस को वहां बुरी तरह हार मिली लेकिन अब क्या ये गलती दोबार कांग्रेस करेगी? ये बड़ा सवाल है लेकिन राहुल गांधी ने इस बार मन बना लिया है कि जो गलती हरियाणा चुनाव में हुई है वो अब महाराष्ट्र में नहीं होनी चाहिए। महाराष्ट्र में सवाल सिर्फ उद्धव ठाकरे या शरद पवार भर का नहीं है, स्थिति यह भी है कि कांग्रेस अपने कोटे की सीट भी देने को तैयार है और यह मैसेज वह देना चाहती है कि समूचा इंडिया गठबंधन एक साथ खड़ा है और मजबूती के साथ महाराष्ट्र में चुनाव लड़ेगा । कांग्रेस कोर्स करेक्शन मोड में आ गई है। अब महाराष्ट्र चुनाव के लिए पार्टी नई रणनीति पर काम कर रही है। ऐसी खबर है कि नई रणनीति में क्षेत्रीय पार्टियों को सम्मान देना पड़ेगा, उन्हें भी साथ लेकर चलना ही होगा। और इन्ही सब चीजों को लेकर और सीट शेयरिंग को लेकर महा विकास अघाड़ी के साथ कांग्रेस मंथन करने जा रही है।
महाराष्ट्र चुनाव में सपा की क्या रणनीति?
अभी के लिए समाजवादी पार्टी तो 10 से 12 सीटों की उम्मीद लगाए बैठी है। उसका तर्क है कि पिछली बार उसके दो विधायक जीते हैं, ऐसे में इस बार ज्यादा सीटों पर उसे दांव ठोकना है। गुरुवार को लखनऊ में बयान देते हुए भी अखिलेश यादव ने कहा था कि इंडिया गठबंधन उन्हें इस बार ज्यादा सीटें देगा। उसकी कोशिश ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम बाहुल सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की है। यहां समझना जरूरी है कि मुंबई में उत्तर भारतीय मुसलमानों की संख्या बहुत है, इस वजह से भी सपा इंडिया गठबंधन से सम्मानजक सीटों की उम्मीद लगाए बैठी है लेकिन क्या समाजवादी पार्टी को 10-12 सीटें मिलेंगी इस पर संसय बरकरार है। ऐसी खबर है कि इंडिया गठबंधन सपा को दो से ज्यादा सीटें दे सकता है लेकिन जितनी डिमांड की जा रही है, उतनी देने पर गठबंधन की सहमित शायद न बनें। सबसे ज्यादा सीटों पर शिवसेना (उद्धव गुट) और कांग्रेस ही राज्य में चुनाव लडऩे वाली हैं। उसके बाद शरद पवार की पार्टी, समाजवादी पार्टी और फिर अन्य पार्टियों में बंटनी है। यहां अभी के लिए सपा ने साफ कर दिया है कि अगर उसे बिना कॉन्फिडेंस में लिए सीटों का ऐलान हुआ तो पार्टी हर मजबूत सीट पर चुनाव लड़ेगी। ऐसे में जिस तरह से हरियाणा में सीटें ना जीतकर भी कांग्रेस का खेल बिगाड़ा, वैसा ही खेल महाराष्ट्र में भी हो सकता है।
महा विकास अघाड़ी- कितनी सीटों पर सहमति?
जानकारी के लिए बता दें कि कई सीटों को लेकर पहले ही सहमति बन चुकी है। हाल ही में हुई महा विकास अघाड़ी की मीटिंग में मुंबई की 36 में से 33 सीटों पर सहमति बन गई है, एक तरफ उद्धव गुट 18 सीटों पर चुनाव लड़ेगा, 15 सीटें कांग्रेस को दी गई हैं। इसी तरह शरद पवार के गुट को 2 सीटें मिलेंगी और एक सीट सपा के लिए छोड़ी गई लेकिन अभी तक कुर्ला, भायखला और अमुशक्ति सीट पर पेच फंसा हुआ है।
महाराष्ट्र के मुताबिक यूपी में कांग्रेस से हिसाब-किताब करेंगे अखिलेश!
लखनऊ। महाराष्ट्र-झारखंड के साथ अब यूपी की भी 10 में से 9 विधानसभा सीट पर उपचुनाव का एलान हो गया। यूपी में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव को लेकर अपनी तैयारी मजबूत करते हुए समाजवादी पार्टी ने चुनाव होने वाली 9 सीटों में से 6 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। सपा ने मिल्कीपुर में भी प्रत्याशी घोषित कर दिया था लेकिन मिल्कीपुर में चुनाव अब नहीं होगा। इसलिए अजीत प्रसाद का नाम हटा दिया जाए तो सपा के 6 उम्मीदवार मैदान में अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। कांग्रेस ने अभी तक यूपी में अभी किसी भी सीट पर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं की है। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में सीटों के आधार पर ही सपा यूपी में सीट शेयरिंग के मामले में अपना रुख अपनाएगी। फिलहाल माना जा रहा है कि इंडिया गठबंधन की घटक दल समाजवादी पार्टी आठ और कांग्रेस दो सीट पर चुनाव लड़ेगी, कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से फूलपुर सीट की मांग की है लेकिन इस सीट पर समाजवादी पार्टी पहले ही उम्मीदवार उतार चुकी है। सूत्र बताते हैं कि इस सीट को लेकर प्रियंका गांधी ने भी इस बारे में अखिलेश यादव से बात की थी। अब इस मामले में कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडे समाजवादी पार्टी से बातचीत कर रहे हैं अखिलेश यादव ने कांग्रेस को गाजियाबाद सदर और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीटें ऑफर की है। माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के साथ जो रुख महाराष्ट्र में अपनाया जाएगा, अखिलेश यादव यूपी में भी उसी तरह की पारी खेलते हुए नजर आएंगे। कांग्रेस सपा को कॉन्फिडेंस में लेते हुए महाराष्ट्र में सीट शेयरिंग करेगी तो यूपी में भी सपा कांग्रेस की बात मानेगी।