दिल्ली हाईकोर्ट की चेतावनी, वेतन-पेंशन दें, नहीं तो बंद कर देंगे एमसीडी; निगम ने कहा 10 दिन में कर देंगे

नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने पूर्व और सेवारत कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और बकाये का भुगतान करने में विफल रहने पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को फटकार लगाई है। अदालत ने चेतावनी देते हुए शुक्रवार को कहा, यह कर्मचारियों का मूल वेतन है। एमसीडी भुगतान करने में विफल रहती है, तो उसे बंद करने का आदेश देने पर विचार कर सकते हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए कहा, यह मामला चार साल से खिंच रहा है। हम एक अच्छे दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जब आप अपनी वित्तीय स्थिति में वृद्धि करेंगे। हम आपको आखिरी मौका दे रहे हैं। अपना घर ठीक करें, इसे व्यवस्थित करें अन्यथा हम कहेंगे कि यह एक उपयुक्त मामला है जहां नगर निगम को बंद करने की आवश्यकता है।
पीठ ने अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया कि सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन, पेंशन और बकाया का भुगतान करना एक वैधानिक दायित्व है और यदि एमसीडी ऐसा करने की स्थिति में नहीं है, तो परिणाम भुगतना होगा। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने संसाधनों को बढ़ाने के तरीके और साधन खोजने के लिए एमसीडी का इंतजार नहीं करेगी। सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन का भुगतान करना एक वैधानिक दायित्व है।
कोर्ट की फटकार के बाद एमसीडी के स्टैंडिंग काउंसिल दिव्य प्रकाश पांडे ने हलफनामा दिया कि कर्मचारियों का वेतन और पेंशन 10 दिनों में जारी कर दिया जाएगा। पांडे ने कहा कि वह बकाया के मुद्दे पर निर्देश लेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि एमसीडी बकाया चुकाने के लिए कदम उठा रही है और एक समय बकाया में भुगतान की जाने वाली कुल राशि लगभग एक हजार करोड़ थी जो अब घटकर 400 करोड़ रह गई है।