सुप्रीम कोर्ट पहुंचा संदेशखाली विवाद, मामले की सुनवाई बंगाल से बाहर ट्रांसफर करने की मांग

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में संदेशखाली विवाद पर राजनीति गरमायी हुई है। इसे लेकर भाजपा और टीएमसी आमने-सामने हैं। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। दरअसल वकील आलोक अलख श्रीवास्तव ने संदेशखाली के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल (जनहित याचिका) दायर की है और याचिका में मांग की है कि कोर्ट की देखरेख में सीबीआई या एसआईटी की टीम मामले की जांच करें।
याचिका में संदेशखाली के पीडि़तों के लिए मुआवजे की भी मांग की गई है, साथ ही अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से न निभाने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की गई है। याचिका में संदेशखाली मामले की जांच राज्य से बाहर ट्रांसफर करने की भी मांग की है। संदेशखाली मामले की जांच तीन जजों की कमेटी से कराने की मांग भी की गई है। वहीं याचिकाकर्ता द्वारा याचिका को आज सुबह ही ईमेल करने और आज इसे शामिल करने पर नाराजगी जतायी। चीफ जस्टिस ने कहा कि आप हम पर दबाव नहीं बना सकते। हम इसे लिस्ट करेंगे और दोपहर बाद इस पर विचार करेंगे।
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में स्थित गांव संदेशखाली इन दिनों भारी विरोध प्रदर्शन का गवाह बन रहा है। दरअसल गांव की महिलाओं ने बीते दिनों आरोप लगाए थे कि टीएमसी नेता शाहजहां शेख और अन्य टीएमसी नेताओं ने उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया और कुछ महिलाओं ने टीएमसी नेताओं पर यौन शोषण के भी आरोप लगाए थे। इसे लेकर संदेशखाली में महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा कार्यकर्ता भी संदेशखाली में प्रदर्शन कर रहे हैं। शाहजहां शेख राशन घोटाले में आरोपी है और बीते दिनों ईडी टीम पर हुए हमले में भी शाहजहां शेख आरोपी है। वहीं बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भाजपा पर इस मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।

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