देवेंद्र फडणवीस का सिंहासन डोला, शरद पवार ने महाराष्ट्र में कर दिया खेला!

महाराष्ट्र में ईवीएम की सरकार का गठन हो गया है.... मंत्रिमंडल विस्तार भी हो गया है.... और 40 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ले ली है....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र में ईवीएम की सरकार का गठन हो गया है…. मंत्रिमंडल विस्तार भी हो गया है…. और 40 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ले ली है…. लेकिन बीजेपी के सहयोगियों का रोना-धोना अभी भी जारी है…. बीजेपी के सहयोगी एकनाथ शिंदे को मनमुताबिक विभाग नहीं मिला है…. जिसको लेकर शिवसेना विधायकों ने मोर्चा खोल रखा है…. और एकनाथ शिंदे भी पूरी तरह से शांत नजर आ रहें है…. बीजेपी काफी मान मनौव्वल कर शिंदे को डिप्टी सीएम पद की शपथ तो दिला दिया…. लेकिन शिंदे से वादाखिलाफी कर दिया और उनको मनमुताबिक विभाग नहीं दिया… बता दें कि एकनाथ शिंदे गृहविभाग को लेकर अड़े हुए थे…. जिसके चलते सरकार गठन करने में पंद्रह से ज्यादा दिन का समय लग गया…. लेकिन सरकार का गठन होते ही बीजेपी की दोहरी मानसिकता सामने आ गई…. और वादा करके मुकर जाने वाली फितरत फिर उजागर हो गई…. ठीक उसी तरह जैसे दो हजार चौदह में वादा करके मोदी सत्ता में आए…. और अपने कार्यकाल का दस बिता दिया… लेकिन जनता से किया एक भी वादा आज तक पूरा नहीं किया…. और आम जनता दर- दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो गई है….. महंगाई ने आम जनता कमर तोड़ दिया है….. वहीं दूसरी तरफ युवा बेरोजगारी की मार झेल रहें है…. लेकिन सरकार अपनी सत्ता के मद मदहोश है…. और उसको किसी भी प्रकार का कोई फर्क नहीं पड़ रहा है…..

आपको बता दें कि महाराष्ट्र के नसीब में जो ईवीएम की सरकार आई है….. वह किस मुहूर्त पर आई? फडणवीस की सरकार होने के नाते बेशक मुहूर्त निकाला ही गया होगा….. और इसमें कोई बुराई नहीं है…. लेकिन पहले बहुमत होने के बावजूद सरकार नहीं बन रही थी….. रूठने, मनाने, गुस्साने और लालच के चलते शपथ ग्रहण समारोह खिंचता चला गया…. और अब चालीस लोगों के शपथ लेने के बावजूद सरकार में शांति नजर नहीं आ रही है….. नाराज लोगों ने खुलकर अपनी आग उगली है….. वहीं उन अंगारों की कितनी भी चिंगारियां उड़ें….. सरकार को कोई चटके नहीं लगेंगे….. एकनाथ शिंदे और अजीत पवार के बिना, भाजपा के पास सरकार चला लेने के लिए पर्याप्त ताकत है…. और अगर यह कम हो जाती है, तो दोनों सहयोगियों को तोड़कर बहुमत के आंकड़े जुटाने के लिए ईडी, सीबीआई और पुलिस बल मौजूद है ही….

बता दें कि रविवार को नागपुर में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ….. दिल्ली से सूची को मंजूरी मिलने के बाद मंत्रियों ने शपथ ली….. जिन लोगों ने स्वाभिमान वगैरह के लिए शिवसेना और एनसीपी छोड़ी….. ऐसे शिंदे-पवार गुट की फेहरिस्त भी दिल्ली में अमित शाह की नजर से मंजूर होकर आई…. और उसी के अनुरूप मंत्रियों का शपथ ग्रहण कार्यक्रम हुआ….. छगन भुजबल, सुधीर मुनगंटीवार, रवींद्र चव्हाण जैसे प्रमुख नेताओं को बाहर कर दिया गया है…. तानाजी सावंत, दीपक केसरकर को दिल्ली के आदेश पर ‘श्रीफल’ दे दिया गया….. लेकिन पूजा चव्हाण की संदेहास्पद मृत्यु मामले के मंत्री संजय राठौड़ के शपथ ग्रहण ने साबित कर दिया कि मुख्यमंत्री फडणवीस का अपनी लाडली बहनों के प्रति प्यार एक ढोंग है…… पूजा चव्हाण की मौत को लेकर तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष फडणवीस का रवैया भी ‘कामचलाऊ’ वाला था…. और उन्होंने कहा था कि जब तक राठौड़ के इस्तीफे पर कार्रवाई नहीं होगी…. तब तक वह शांत नहीं बैठेंगे….

लेकिन अब संजय राठौड़ उन्हीं फडणवीस के मंत्रिमंडल में हैं…. फडणवीस अजीत पवार और हसन मुश्रीफ को ‘चक्की पीसने’ के लिए भेजने वाले थे….. खुद प्रधानमंत्री मोदी भी यही चाहते थे….. कि ये दोनों अब महाराष्ट्र को मजबूत करने में फडणवीस की मदद करेंगे….. बीड में हिंसा, रक्तपात, हत्या, जबरन वसूली का कहर मचा है….. जिस धनंजय मुंडे पर सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के खून के छींटे पड़े हैं….. उसे मंत्री बना दिया गया है…. इसके साथ ही पंकजा मुंडे को भी मौका मिला है…. गणेश नाईक भाजपा कोटे से मंत्री बने हैं…. और उनके चिरंजीव संदीप नाईक ने राष्ट्रवादी शरद पवार पार्टी से चुनाव लड़ा था…. तीन साल तक ऐसे ही टंगे हुए कोट शिंदे गुट के कई लोगों के शरीर पर इस बार चढ़ गए….

लेकिन उसे गुट के कई लोगों की तड़पड़ाहट मनोरंजक है….. नितेश राणे, इंद्रनील नाईक, अदिति तटकरे, आकाश फुंडकर, शंभुराजे देसाई, शिवेंद्रराजे भोसले, अतुल सावे, जयकुमार रावल, मेघना बोंडिकर, भरणेमामा, मकरंद पाटील, बावनकुले, प्रताप सरनाईक…. और दादा भुसे मंत्री पद पर विराजमान हो गए….. कुल मिलाकर यह स्पष्ट है कि वंशवाद के आलोचकों ने अपने-अपने गुट में वंशवाद का ‘सम्मान’ बनाए रखा….. अजीत पवार, एकनाथ शिंदे आदि गुट में जो लोग एकत्र हुए हैं…… वे शुद्ध स्वार्थ के लिए एकत्र हुए लोगों का एक जमावड़ा है…. इन लोगों की मानसिकता ठेकेदारी, कारखानदारी…. और मौका मिलने पर मंत्री पद या किसी महामंडल मिल जाने पर बोनस पा लेने जैसी होती है…. सिद्धांत, विचार, भूमिका आदि के मामले में यह ठनठन गोपाल होते हैं….. यही वजह है कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भाजपा समेत शिंदे और अजीत पवार गुट से भी असंतुष्टों की बाढ़ आ गई है…..

आपको बता दें कि छगन भुजबल ने खुले तौर पर नाराजगी जताई है…. और उन्होंने मनोज जरांगे पाटील से जबरदस्त पंगा लिया….. भुजबल ने इस झगड़े को इतना चरम पर पहुंचा दिया कि विधानसभा में जीत हासिल करने के बाद भी भुजबल को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी…… इसकी सिर्फ एक वजह थी, जरांगे और मराठा समुदाय को ठेस नहीं पहुंचाना….. भुजबलों को आगे बढ़ाकर खेलते हुए फडणवीस ने जरांगे के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ी…. वहीं अब भुजबल को हवा पर छोड़ दिया गया….. इस्तेमाल किया और फेंक दिया…. जिस तरह से भुजबल ने शरद पवार को छोड़ा उसका फल वे भोग रहे हैं….

वहीं दिल्ली ही जानती है कि सुधीर मुनगंटीवार, रवींद्र चव्हाण का क्या हुआ…. ‘मेरा नाम सूची में अंतिम था….. ऐसा दावा सुधीर मुनगंटीवार करते हैं…. तो फिर उनका नाम किसने और कैसे छोड़ दिया….. क्या किसी ने उनके नाम की स्याही पर पानी छिड़क दिया…. शेष बिल्डर मंगलप्रभात लोढ़ा की लॉटरी लग गई…. अगर नहीं लगती तो भाजपा की ‘शेठजी’ परंपरा को धक्का लग जाता….. मुंबई से आशीष शेलार को मौका मिला है…. यह एक कार्यकर्ता का सम्मान है….. सूबे में नई सरकार के मंत्रिमंडल का आखिरकार गठन हो गया…. लेकिन रोना-धोना खत्म नहीं हुआ है….

बता दें कि प्रकाश सुर्वे, लाड, दरेकर, राम शिंदे, शिवतारे आदि की रुलाई फूट पड़ी है…. ऐसे नाराज मंडलियों की आंखों से आंसू पोंछने के लिए नई सरकार द्वारा एक महामंडल स्थापित करने में कोई हर्ज नहीं है….. कोई कितना भी सिर पटक ले, आंसू बहा ले, सरकार ईवीएम बहुमत के दम पर मजबूत है….. इसलिए भले ही नए मंत्री बिना महकमे के हैं…. सरकार चला ही ली जाएगी…. वहीं भविष्य में शिंदे और अजीत पवार निस्तेज हो जाएंगे…. और अगर उन्होंने गड़बड़ी करने की कोशिश की तो दोनों के दरवाजे पर स्थायी रूप से ‘ईडी’ की चौकियां लगा दी जाएंगी….. वहीं अब इस तरह से नहीं महाराष्ट्र रुकेगा…..

सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति के ग्यारह प्रमुख मंत्रियों को नई सरकार से हटा दिया गया….. जिससे उनके समर्थकों में बेचैनी है….. कुछ नेताओं के समर्थकों द्वारा विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है….. खासकर छगन भुजबल के समर्थकों में काफी नाराजगी है। छगन भुजबल ने तो यहां तक कह दिया कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से बात करने के बाद भविष्य की राह तय करेंगे….. उधर, खबर है कि भाजपा के दिग्गज नेता सुधीर मुंगतीवार भी नाराज चल रहे हैं….. उन्होंने फडणवीस के उस दावे का खंडन किया कि लंबी चर्चा के बाद उन्हें मंत्रिपद नहीं मिला….. वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन के तीन घटक दलों में से सबसे ज़्यादा एनसीपी के अजित पवार गुट के पांच प्रमुख नेता छगन भुजबल, धर्मराव बाबा आत्राम, संजय बनसोडे, दिलीप वाल्से पाटिल और अनिल पाटिल को बाहर किया गया है…. भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना से भी तीन-तीन दिग्गज नेताओं को मंत्रिपद से बाहर का रास्ता दिखाया गया है….. भाजपा ने रवींद्र चव्हाण, सुधीर मुंगंतीवार और विजयकुमार गावित को हटा दिया है…. जबकि शिवसेना ने तानाजी सावंत, अब्दुल सत्तार और दीपक केसरकर को बाहर रखा है….

वहीं छगन भुजबल ने खुलेआम घोषणा की है कि वे अब विधानसभा सत्र में भाग नहीं लेंगे…. और नासिक लौट जाएंगे…. और उन्होंने कहा कि वे निराश हैं…. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें राज्यसभा सीट की पेशकश की गई है….., लेकिन अभी इसे स्वीकार करना येओला के मतदाताओं के साथ “न्यायसंगत नहीं” होगा…. आपको बता दें कि ऐसे कई लोग हैं जो फडणवीस कैबिनेट में जगह पाने की दौड़ में थे….. लेकिन खाली हाथ रह गए….. खास तौर पर शिवसेना को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है….. क्योंकि उसके एक विधायक नरेंद्र भोंडेकर पहले ही पार्टी के पदों से इस्तीफा दे चुके हैं….. पुरंदर से विधायक विजय शिवतारे ने कहा कि वह “मंत्री पद न मिलने से दुखी नहीं हैं….. बल्कि अपने साथ हुए व्यवहार से दुखी हैं….. बता दें कि मगाठाणे से विधायक प्रकाश सुर्वे ने कहा कि विद्रोह के बाद शिंदे के साथ जुड़ने वाले वह पहले विधायक हैं…. और उन्होंने कहा कि मैं एक साधारण व्यक्ति हूं…… संघर्ष के बाद मैंने सबकुछ हासिल किया है…. और आगे भी करता रहूंगा…. जिन लोगों ने मंत्रिमंडल में जगह की मांग की…. वे सभी बड़े लोगों के बच्चे हैं, मैं नहीं हूं….. शिंदे के साथ जाने के बाद मुझे अपना परिवार वहां से हटाना पड़ा….

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