धनखड़ ने विधायिका की निराशाजनक स्थिति पर जताया अफसोस
- न्यायपालिका और कार्यपालिका कर रहीं बेहतर काम
- भारत की न्याय प्रणाली बहुत मजबूत
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने विधायिका में निराशाजनक स्थिति के लिए अफसोस जताया है। धनखड़ का मानना है कि जहां न्यायपालिका और कार्यपालिका बेहतरी के लिए जरूरत से ज्यादा काम कर रही हैं, वहीं विधायिका में स्थिति निराशाजनक है। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में लोगों को राजनीति करने के सभी अधिकार हैं, लेकिन जब देश के विकास की बात आती है तो राजनेताओं को पार्टी लाइनों से ऊपर उठना चाहिए।
नई दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के 25वें वार्षिक दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि भारत की न्याय प्रणाली बहुत मजबूत है और यह सर्वश्रेष्ठ स्तर पर काम कर रही है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हमारी कार्यकारिणी काम कर रही है। हमारे पास सडक़ें, रेलवे, प्रौद्योगिकी की पहुंच है, हमारे पास विश्व स्तरीय संरचनाएं हैं। लेकिन जब विधायिका, आपके प्रतिनिधियों की बात आती है, तो दृश्य निराशाजनक है। राज्यसभा के सभापति के रूप में मैं बहस, संवाद और चर्चा नहीं देखता। मुझे व्यवधान दिखता है। उन्होंने छात्रों से कहा कि उन्हें एक ऐसी व्यवस्था बनानी होगी, जहां जो लोग काम करते हैं, जो अपना काम सही साबित करते हैं, जो संवैधानिक उम्मीदों पर खरे उतरते हैं, उनकी सराहना की जाए। उन्होंने कहा कि लोगों को उन लोगों के खिलाफ बोलना होगा, जो अपने जनादेश को पूरा करने में विफल रहते हैं।
पारदर्शिता और जवाबदेही शासन की पहचान
राज्यसभा सभापति ने कहा कि आप उच्चतम न्यायालय की स्थिति जानते हैं, आप खुश हैं कि चाहे जो भी कठिनाई हो, हमारा उच्चतम न्यायालय देश के हित में काम करता है। कार्यपालिका आपके लिए उपलब्धियां हासिल करने के लिए तत्पर है। विधायिका क्यों विफल हो? इस पर ध्यान दें। शासन के मुद्दे का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश की सत्ता के गलियारे कभी सत्ता के दलालों और बिचौलियों से भरे हुए थे। उन्होंने कहा कि सत्ता के उन गलियारों को साफ किया गया है। सत्ता के दलालों की संस्था मर चुकी है, यह कभी पुनर्जीवित नहीं हो सकती। धनख? ने कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही शासन की पहचान है। उन्होंने कहा, यह सब एक अच्छे कारण से हो रहा है। भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है।