क्या योगी ने कर लिया सेल्फ गोल !

  • सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दिया सीएम योगी को चैलेंज, लखनऊ में गोमती, कानपुर में गंगा और आगरा में यमुना नदी का पानी पी कर दिखाएं
  • बैकफुट पर बीजेपी, खुद अपने सवालों का जवाब नहीं दे पा रही पार्टी
  • आप नेता संजय सिंह और गोपाल राय ने दिया करारा जवाब

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। तो क्या यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने ही पाले में गोल कर लिया है। लगता कुछ इसी प्रकार है। कल सीएम योगी दिल्ली में चुनाव प्रचार करने गये थे। वहां उन्होंने जी भर कर केजरीवाल सरकार को कोसा। लेकिन जिन मुददों पर उन्होंने केजरीवाल सरकार को कोसा उन्ही मुददों पर विपक्ष ने उन्हें घेर लिया है।
यमुना नदी का प्रदूषण, दिल्ली की सड़के, कानून व्यवस्था और बिजली की दरों पर उठाये गये उनके सवाल अब बीजेपी को ही परेशान करने लगे हैं क्योंकि उनके सवालों के जवाब सिलसिलेवार तरीके से विपक्ष की ओर से आ गये है। सीएम योगी द्वारा रैली में दिये गये भाषण से बीजेपी बैकफुट पर आती दिखाई दे रही है। सीएम योगी के यमुना नदी पर दिये गये बयान पर आप नेता संजय सिंह ने उन्हें खुली चुनौती देते हुए कहा है कि सीएम आवास से महज एक? किलो मीटर की दूरी पर बह रही गोमती नदी में सीएम योगी डुबकी लगा कर दिखाएं।

आप के समर्थन में खुलकर सामने आये अखिलेश

सीएम योगी की इस चुनौती पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव आम आदमी पार्टी के लिए फ्रंटफुट पर आ गये हैं। अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा है कि जो लोग बाहर जाकर दूसरों को चुनौती दे रहे हैं, वो खुद क्यों नहीं अपने राज्य की यमुना में डुबकी लगा रहे हैं? समाजवादी पार्टी के आधिकारिक मीडिया हैंडल से लिखा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लखनऊ में गोमती, कानपुर में गंगा और आगरा में यमुना नदी का पानी पीना चाहिए, जब यह नहीं कर सकते तो झूठ बोलने से परहेज करना चाहिए। अखिलेश यादव ने इस बयान के जरिए न केवल योगी के बयान को पलटने की कोशिश की बल्कि यह भी साबित करने की कोशिश की कि उत्तर प्रदेश की नदियों की सफाई और उनके जल स्तर की हालत भी कोई छुपा हुआ सत्य नहीं है।

योगी से सवाल

सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान केवल एक साधारण सवाल या आलोचना नहीं था। बल्कि यह राज्य के जल, नदी और पर्यावरणीय मुद्दों को लेकर गहरे राजनीतिक संकेत दे रहा था। उन्होंने इस बयान के जरिये एक प्रकार से उत्तर प्रदेश के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाने की कोशिश थी। अब खुद भाजपा के लिए मुश्किल पैदा कर रहा है। उत्तर प्रदेश में नदियों की सफाई, जल संरक्षण, और पर्यावरणीय मुद्दों पर कई बार सवाल उठ चुके हैं, और अब विपक्ष ने इन मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाया है। जाहिर सी बात है सवाल उठाने वालों को जवाब भी देना चाहिए। पूरी आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और अन्य दल चीख-चीख कर यूपी की नदियों समेत बिजली व्यवस्था के साथ-साथ कानून व्यवस्था पर भी जवाब मांग रहे हैं।

खुद कितने गंभीर हैं योगी

भारत में नदियों की सफाई और जल संरक्षण एक अत्यंत जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। हर राज्य के लिए नदियों की स्थिति अलग होती है और उनका संरक्षण भी एक बड़ी चुनौती है। चाहे वह गंगा हो, यमुना हो या गोमती, इन नदियों के प्रदूषण को लेकर कई बार सरकारी योजनाएं और प्रयास विफल रहे हैं। ऐसे में योगी आदित्यनाथ का बयान केवल दिल्ली के मुख्यमंत्री के खिलाफ था, लेकिन यह अन्य राज्यों के लिए भी एक खुला सवाल बन गया कि वे अपनी नदियों की सफाई को लेकर कितने गंभीर हैं।

केजरीवाल ने भी दिया जवाब

दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने तुरंत ही सीएम योगी को जवाब भी दे दिया। सीएम योगी के संबोधन के बाद केजरीवाल ने अपनी एक जनसभा में कहा कि आज यूपी के सीएम दिल्ली आए हुए हैं। योगी आदित्यनाथ जी का हम तहे दिल से स्वागत करते हैं। यूपी में डबल इंजन की सरकार है। मैं बस यह पूछना चाहता हूं कि यूपी में कितने घंटे के पावर कट लगते हैं। वो कह रहे हैं भाजपा को वोट दो…क्यों दें तुमको वोट। नोएडा में 6-6 घंटे के पावर कट लगते हैं। लखनऊ में 8-8 घंटे के लगते हैं। इसके बाद आप के सोशल मीडिया हैंडल्स ने भी सीएम योगी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

संजय सिंह ने योगी को घेरा

बात जब यूपी से हो तो संजय सिंह का जवाब देना लाजमी है। आप सांसद संजय सिंह ने तुंरत सीधा चैलेंज सीएम योगी को करते हुए कहा कि योगी जी के घर से 1 किलोमीटर की दूरी पर लखनऊ में आदि गंगा माँ गोमती हैं। मैं योगी जी के साथ वहाँ चलने को तैयार हूँ वो डुबकी लगायें पूरा देश देखेगा।

कैसे डैमेज कंट्रोल करेगी बीजेपी!

सीएम योगी आदित्यनाथ का दिल्ली में दिया गया बयान न केवल एक व्यक्तिगत आलोचना थी, बल्कि वह कई बड़े राजनीतिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय सवालों को जन्म देने वाला था। विपक्ष ने उनके बयान का पूरी तरह से जवाब दिया और इसे एक और राजनीति के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। राजनीति में कभी भी एक बयान बहुत बड़ी बहस का रूप ले सकता है और यह किसी व्यक्ति या पार्टी के लिए फायदेमंद नहीं बल्कि मुश्किलें भी पैदा कर सकता है। अब यह देखना होगा कि योगी आदित्यनाथ और उनके राजनीतिक समकक्ष इस विवाद को कैसे संभालते हैं और क्या वे जल, पर्यावरण और नदी सफाई के मुद्दों पर वास्तविक कदम उठाने की दिशा में काम करेंगे।

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