फोटो विवाद में दीदी ने मानस भुइयां की पर्यावरण मंत्री के पद से कर दी छुट्टी

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंत्री डॉ मानस रंजन भुइयां से नाराज हो गई हैं। मुख्यमंत्री ने उन्हें पर्यावरण विभाग के दायित्व से हटा दिया है। ममता बनर्जी ने पर्यावरण विभाग को अपने हाथ में ले रखा है। पर्यावरण विभाग विभाग से हटाये जाने के बाद भी जल संसाधन अनुसंधान एवं विकास विभाग की जिम्मेदारी डॉ मानस रंजन भुइयां के हाथों में है। इस तरह से उनसे केवल एक विभाग का प्रभार ही छीना गया है।
बता दें कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एलईडी स्क्रीन और बैनर में कहीं भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तस्वीर नहीं होने पर न्यू टाउन के बिस्वा बांग्ला कन्वेंशन सेंटर में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आयोजित पर्यावरण दिवस समारोह के मंच पर मंत्री अपना गुस्सा जाहिर किया था।
उस घटना के 10 दिन बाद मंत्री डॉ मानस रंजन भुइयां को ‘अचानक’ पर्यावरण विभाग के मंत्री पद से हटा दिया गया है। प्रशासन के एक हलके में इस बात की चर्चा है कि इस बदलाव के पीछे फोटो विवाद ही है।
लेकिन कुछ और का मानना है कि सत्तारूढ़ पार्टी हाल के दिनों में अवैध पटाखे के कारखानों को विस्फोट को लेकर घिरी हुई है। इसे लेकर लोगों में गुस्सा है। प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। यह भी कयास सुनने को मिल रहे हैं कि अवैध पटाखे के कारखानों में विस्फोट के कारण ही डॉ मानस भुइयां से उनका विभाग छीना गया है।
हालांकि पर्यावरण विभाग के अधिकारियों के एक वर्ग ने अनुमान लगाया कि मुख्यमंत्री की कोई तस्वीर नहीं थी, लेकिन पर्यावरण दिवस के मंच पर गुस्सा व्यक्त करना ‘अतिरंजित’ था। इससे पहले तत्कालीन मंत्री ने इस मुद्दे पर रोष जताया था।
पिछले मई में, वह पश्चिम मेदिनीपुर में एक अन्य सरकारी कार्यक्रम में गए और वहां मुख्यमंत्री की फोटो न देख पाने पर नाराजगी जताते हुए जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी, जिसको लेकर विपक्ष ने हमला बोला था। इस बात पर बहस शुरू हो गई कि मुख्यमंत्री की फोटो रखना अनिवार्य है या नहीं।
राजनीतिक विश्लेषकों के एक वर्ग के मुताबिक मुख्यमंत्री पंचायत चुनाव के माहौल में अपनी छवि को लेकर विवाद नहीं चाहते हैं। इसलिए उन्होंने कहा कि पर्यावरण विभाग द्वारा पार्टी के अन्य लोगों को संदेश दिया गया था।
एक और मामला सामने आया है। यानी क्या पर्यावरण विभाग को संभालने के लिए विशेष कौशल की आवश्यकता है। कई लोगों के अनुसार, पर्यावरण विभाग और अन्य विभागों के बीच एक मूलभूत अंतर है, प्रशासनिक कार्यों की समझ होना ही काफी नहीं है। बल्कि, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, गंगा प्रदूषण, पूर्वी कोलकाता आद्र्रभूमि, ध्वनि प्रदूषण, राष्ट्रीय पर्यावरण न्यायालय के कामकाज की बुनियादी समझ होना उचित है।एक पर्यावरणविद् के शब्दों में, एक राजनीतिक हस्ती को पर्यावरण विभाग के काम को समझने में समय लगेगा अगर लगातार मंत्री बदले जाते हैं तो डर है कि विभाग का सामान्य कामकाज बाधित हो जाएगा।
हालांकि, पर्यावरण कार्यकर्ताओं के संगठन ‘सबुज मंच’ के महासचिव नवा दत्ता की राय इससे अलग है। उनके शब्दों में, विश्व पर्यावरण दिवस के तुरंत बाद पर्यावरण मंत्री में फेरबदल किया गया। इस बार कोई अपवाद नहीं है। मानस भुइया भी पर्यावरण मंत्री के तौर पर कुछ नहीं कर रहे थे।

 

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