नीतीश व मांझी में शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का दौर
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह स्वीकार किया है कि जीतन राम मांझी को उनकी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के जेडीयू में विलय का प्रस्ताव दिया गया था। 23 जून को विपक्ष की होने वाली बैठक से पहले उनको विलय पर निर्णय लेना को कहा था, लेकिन वह निर्णय नहीं ले रहे थे। नीतीश ने कहा कि वह निर्णय क्यों नहीं ले रहे थे, ये सब जगजाहिर है, क्योंकि वह विपक्ष की सारी सूचना बीजेपी को लीक कर रहे थे। बीजेपी विपक्ष की एकजुटता से घबरा गई है। बीजेपी चाहे तो समय से पहले चुनाव करवा सकती है।
नीतीश कुमार ने कहा कि हमने डिसाइड किया था कि बीजेपी से हम अलग हो जाएंगे। आप लोगों को तो पता ही है न कि सरकार में रहते हुए हमारे लोगों को बीजेपी के नेता सपोर्ट नहीं करते थे। 2014 में हम रिजाइन कर दिए थे। हमने अपनी जगह जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था। पार्टी का कोई भी नेता नहीं चाह रहा था कि हम उनको सीएम बनाएं। हमने इसीलिए सोचा कि हम हटेंगे तो एक शेड्यूल कास्ट को ही बनाएंगे। इसलिए हम बना दिए।
नीतीश कुमार ने कहा कि जीतन राम मांझी बीजेपी के लोगों से मिल रहे थे। उसके बाद हमारे यहां भी आकर कह रहे थे कि यह हुआ, वह हुआ, यह सब बात हम तो जानते ही थे। हमने उनसे साफ कह दिया कि हमने आपको बनाया है या तो आप अपनी पार्टी को मर्ज कीजिए और नहीं होना है तो अलग हो जाएं।
नीतीश कुमार ने कहा कि 23 तारीख को विपक्ष की बैठक है और अगर यह लोग उस मीटिंग में अंदर होते तो जो कुछ भी वहां पर प्लानिंग बनती, वह सब बीजेपी को खबर होती। इसीलिए हमने कहा कि या तो आप मर्ज करिए या अलग हो जाइए। हमने अपने कोटे से रत्नेश सदा को मंत्री बनाया है।
वहीं समय से पहले लोकसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार को अधिकार है, वह जब चाहे चुनाव करा सकते हैं। समय से पहले भी करा सकते हैं। जिसके पास बहुमत है, वह जब चाहे चुनाव करा सकता। जब हम लोग अटल जी के साथ थे तो उन्हीं की पार्टी वाले लोग तीन-चार महीने पहले चुनाव करवा दिए थे। हालांकि अटल जी नहीं चाहते थे।