पीपीएस अफसरों को प्रमोशन न मिलने से दिवाली रही फीकी, टल रही है डीपीसी

  • गृह विभाग के कुछ अफसरों की कारस्तानी पड़ रही है भारी
  • अंदर खाने से सेटिंग के खेल से वाकिफ नहीं है कई अफसर
  • अब मुख्य सचिव पर टिकी है पीपीएस अफसरों की निगाहें

चेतन गुप्ता
लखनऊ। आईएएस और आईपीएस की तुलना में दोयम दर्जे के व्यवहार से सूबे के पीपीएस अफसर खासे निराश है। चाहकर भी सबके सामने उनकी जुबां नहीं खुल पा रही है। कार्रवाई का डर उन्हें सताता रहता है लेकिन उन्हें अपने प्रमोशन की चिंता भी है। यही कारण है कि कई पीपीएस अफसरों ने नाम ना छापने की शर्त पर अपना दुख दर्द 4पीएम से साझा कर न्याय की गुहार लगाई है। प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) से जुड़े अफसर मौजूदा समय में प्रमोशन न मिलने से निराश है। सभी की निगाहें यूपी के चीफ सेक्रेटरी पर टिकी है। लगातार टल रही डीपीसी को लेकर पीपीएस अफसर खासे दुखी है। मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने के बावजूद भी गृह विभाग के कुछ अफसरों के सेटिंग-गेटिंग के खेल के चलते डीपीसी की बैठक नहीं हो पा रही है। वरिष्ठ अफसर भी सब कुछ जानते हुए भी प्रकरण को संज्ञान में नहीं ले रहे हैं। इन सभी को दीपावली के मौके पर पदोन्नति का तोहफा मिलने की उम्मीद थी। अक्टूबर माह में ही यूपी पुलिस को तीस नए आईपीएस अधिकारी भी मिलना तय था। कई पुलिस उपाधीक्षक अपर पुलिस अधीक्षक के पद प्रमोशन की प्रतीक्षा भी कर रहे हैं।

प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) संवर्ग के अधिकारियों को पदोन्नति की प्रतीक्षा है। इस माह के अंत तक विभागीय प्रोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक होने की उम्मीद थी। वहीं पीपीएस से आईपीएस संवर्ग में पदोन्नति के लिए डीपीसी होने के बाद अभी कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। इसके चलते माना जा रहा है कि अब पुलिस उपाधीक्षक के पद से अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे अधिकारियों को यह उपहार दीपावली बीत जाने पर अब आने वाले समय में मिल सकेगा। सात अक्टूबर को हुई डीपीसी में पीपीएस संवर्ग के 1992 व 1992 बैच के 30 अधिकारियों को पदोन्नति प्रदान किए जाने की सहमति दी गई थी, जिनकी पदोन्नति का आदेश जारी होना है। डीपीसी में अपर पुलिस अधीक्षक अमित मिश्रा व संजय कुमार यादव के लिफाफे बंद रह गए थे। वहीं पीपीएस संवर्ग की डीपीसी 11 अक्टूबर को प्रस्तावित थी, जो टल गई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि शासनादेश के तहत एक जुलाई, 2022 से 30 जुलाई, 2023 के मध्य रिक्त पदों के अनुरूप डीपीसी 30 अक्टूबर तक हो जानी चाहिए। यही वजह है कि इस माह के अंत तक डीपीसी होने की उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन गृह विभाग के अफसरों की जानबूझकर की गई लापरवाही से डीपीसी नहीं हो सकी। पीपीएस संवर्ग में पुलिस उपाधीक्षक से अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर पदोन्नति के लिए 38 पद रिक्त हैं। इनमें 2007 व 2008 बैच के 33 पीपीएस अधिकारियों को पुलिस उपाधीक्षक से अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर प्रोन्नति का लाभ मिलने की उम्मीद है।

मुख्यमंत्री की भी आंखों में झोंक दिया अफसरों ने धूल
पीपीएस अफसरों की डीपीसी के लिए डीजीपी डीएस चौहान ने डेढ़ महीने पहले शासन यानी प्रमुख सचिव गृह को प्रस्ताव प्रेषित किया था। प्रस्ताव का मिलान शासन द्वारा करने के बाद कार्मिक विभाग की सहमति से गृह विभाग में डीपीसी के लिए मुख्य सचिव से समय की मांग की गई। मुख्य सचिव ने 11 अक्टूबर को 4 बजे डीपीसी के लिए समय दिया लेकिन सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के चलते यह बैठक टल गई। पुन: इस बैठक के लिए गृह विभाग ने चीफ सेक्रेटरी से समय नहीं मांगा। गृह विभाग के विशेष सचिव से लेकर नीचे तक के अधिकारी खासकर सेक्शन ऑफिसर डीपीसी नहीं चाह रहे हैं थे। गंभीर आरोप है कि उन्होंने टलवाने के लिए पत्रावलियां भी चलाई लेकिन डीपीसी की तिथि 11 अक्टूबर ही रही। कुछ पीपीएस अफसरों को प्रोन्नत कराने का ठेका गृह विभाग विभाग के कुछ अफसरों ने ले रखा है। यह पीपीएस अफसर अगले एक-दो महीनों में प्रमोट होने के लिए न्यूनतम अहर्ता पूर्ण कर लेंगे। इसलिए सेक्शन नहीं चाहता है कि डीपीसी नियत समय पर हो। आज जब 1 नवंबर है इसलिए आज से विगत वर्ष का वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) होना जरूरी है इसके लिए पूरे प्रयास करने के बाद भी कम से कम 2 महीने का समय लगेगा। मुख्य सचिव के निर्देशानुसार सभी विभागों की डीपीसी 30 सितंबर तक तय थी लेकिन पीपीएस की डीपीसी अभी तक नहीं हो पाई। पिछले दिनों गोरखपुर मठ में सीएम से 11 पीपीएस अफसरों के प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात कर अपना प्रत्यावेदन दिया था। जिसको लेकर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट दिशा निर्देश भी दिए थे लेकिन अफसरों की हीलाहवाली के चलते प्रोन्नति की प्रक्रिया अभी तक अटकी है।

जल्द पुलिस उपाधीक्षक बनेंगे 100 निरीक्षक
इसके अलावा लगभग 119 अपर पुलिस अधीक्षकों को प्रोन्नत वेतनमान का लाभ मिलेगा। साथ ही जल्द निरीक्षक से पुलिस उपाधीक्षक के पद पर पदोन्नति प्रदान किए जाने की भी तैयारी है। लगभग 100 निरीक्षकों को जल्द पुलिस उपाधीक्षक बनने का अवसर मिलेगा।

अनुभाग अधिकारी ने अफसरों को दिखाए सब्जबाग
पीपीएस अफसरों का आरोप है कि गृह विभाग में तैनात एक अनुभाग अधिकारी पूर्व में नगर विकास विभाग में रह चुका है। जिसने गृह विभाग में अपने वरिष्ठ अफसरों को डीपीसी के नाम पर 20-20 लाख रुपए मिलने का सब्जबाग दिखाया। इसी संभावना को लेकर डीपीसी टाली जा रही है। इस पूरे प्रकरण की पत्रावलियां प्रमुख सचिव गृह यदि संज्ञान में लें ले तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

दोयम दर्जे के व्यवहार से दुखी हैं पीपीएस अफसर
आईएएस और आईपीएस का 31 दिसंबर को हर हाल में डीपीसी हो जाती है। आगामी दिसंबर तक खाली पदों में पदोन्नति भी प्रदान की जाती है। जैस-जैसे लोग रिटायर होते जाते जाते हैं वैसे-वैसे वह प्रोन्नति पाते रहते हैं। यही नियम राज्य सेवाओं में भी है। इसमें दिसंबर की जगह जुलाई से जून की रिक्तियों को लिया जाता है और डीपीसी हो जाती है। 31 अक्टूबर निकल जाने के बाद यह अपने आप वर्ष 2021 और 22 के एसीआर पूर्ण करने के बाद ही हो सकेगा। पीपीएस अफसरों का आरोप है कि कई राज्यों में उनके समकक्ष उनके बैच के अधिकारी आज कई पदोन्नति पाकर उनसे वरिष्ठ हो चुके हैं लेकिन वह आज भी वहीं के वहीं है।

यूपी के सभी पुलों के मजबूती की होगी जांच

लखनऊ। गुजरात के मोरबी जिले में केबल ब्रिज टूटने की दुर्घटना से सबक लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में सभी प्रकार के पुलों का निरीक्षण कर उनकी स्ट्रक्चरल सेफ्टी का आकलन करने का निर्देश दिया है। सीएम योगी के निर्देश के बाद प्रदेश के सभी सस्पेंशन ब्रिज, समस्त निर्माणाधीन सेतु, अन्य सभी सेतु और समस्त रोपवे का निरीक्षण कर उनकी स्ट्रक्चरल सेफ्टी का आकलन करने का आदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के क्रम में लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता कार्यालय (सेतु विंग) की ओर से विभाग के सभी जोनल मुख्य अभियंताओं और उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के प्रबंध निदेशक को इस बारे में पत्र जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि गुजरात जैसे हादसे की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए प्रदेश में सभी प्रकार के सेतुओं की स्ट्रक्चरल सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए उनका तत्काल निरीक्षण किया जाए।

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