इटावा कथावाचक विवाद पर डॉ. कुमार विश्वास की तीखी प्रतिक्रिया, बोले – भक्ति को जाति से न जोड़ें

डॅा. कुमार विश्वास ने इस विवाद को अनावश्यक बताते हुए कहा कि आस्था और भक्ति को जाति के दायरे में बांधना गलत है। उन्होंने साफ कहा कि कथावाचक का काम भगवान और भक्तों के बीच एक सेतु का निर्माण करना होता है, न कि सामाजिक विभाजन को बढ़वा देना।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह मुद्दा अब तूल पकड़ता जा रहा है और राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया है। इस बीच, मशहूर कवि और लेखक डॅा. कुमार विश्वास ने भी इस मामले पर अपनी बेबाक राय जाहिर की है।

डॅा. कुमार विश्वास ने इस विवाद को अनावश्यक बताते हुए कहा कि आस्था और भक्ति को जाति के दायरे में बांधना गलत है। उन्होंने साफ कहा कि कथावाचक का काम भगवान और भक्तों के बीच एक सेतु का निर्माण करना होता है, न कि सामाजिक विभाजन को बढ़वा देना। उन्होंने समाज से जातिवाद से ऊपर उठकर धार्मिक एकता पर ध्यान देने की अपील की। डॅा. विश्वास ने कहा कि ऐसे विवाद न केवल समाज को बांटते हैं, बल्कि हमारी आध्यात्मिक परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों को भी ठेस पहुंचाते है। इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी बहस तेज हो गई, जहां बड़ी संख्या में लोग डॅा. कुमार विश्वास के बयान का समर्थन कर रहे हैं।

कुमार विश्वास ने कहा कि आस्था और भक्ति को जाति के दायरे में बांधना गलत है. कथावाचक का काम भगवान और भक्तों के बीच सेतु बनाना है न कि सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देना. उन्होंने इस विवाद को अनावश्यक बताते हुए समाज से जातिवाद से ऊपर उठकर धार्मिक एकता पर ध्यान देने की अपील की. कुमार विश्वास ने यह भी कहा कि इस तरह के विवाद धार्मिक आयोजनों की पवित्रता को कमजोर करते हैं. उन्होंने इटावा कांड को लेकर कुछ बड़े कथावाचकों और संतों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणी को काफी समर्थन मिल रहा है.

ये है इटावा कथावाचक मामला

बता दें कि इटावा जनपद के दांदरपुर गांव में 21 जून को एक भागवत कथा के दौरान कथावाचक मुकुट मणि यादव और संत सिंह यादव के साथ मारपीट चोटी काटने और अपमानजनक व्यवहार का मामला सामने आया. आरोप है कि कथावाचकों ने अपनी यादव जाति छिपाकर ब्राह्मण बनकर कथा की, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश फैला. दूसरी ओर यजमान रेनू तिवारी ने मुकुट मणि पर छेड़खानी का आरोप लगाया.

इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया और कथावाचकों पर भी फर्जी आधार कार्ड और धोखाधड़ी के लिए एफआईआर दर्ज की. समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव ने इसे जातिवादी हमला बताया, जबकि ब्राह्मण महासभा ने कथावाचकों के व्यवहार की जांच की मांग की. सीएम योगी ने मामले की जांच झांसी पुलिस को सौंपी है. इस विवाद ने जातीय तनाव और सियासत को काफी तूल दे दिया है.

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