पितृ पक्ष में भूल कर भी न करें ये काम, नहीं तो आपके पूर्वज हो जाएंगे नाराज
हिन्दू-धर्म की मान्यता अनुसार पितृ पक्ष का प्रारंभ भाद्रपद पूर्णिमा से नहीं होता है। जबकि यह आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि से शुरु होता है...
4PM न्यूज नेटवर्क: हिन्दू-धर्म की मान्यता अनुसार पितृ पक्ष का प्रारंभ भाद्रपद पूर्णिमा से नहीं होता है। जबकि यह आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि से शुरु होता है। इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू है या 18 सितंबर से? यह सवाल काफी लोगों के मन में है क्योंकि सबसे बड़ी उलझन तिथि के कारण हो रही है। ऐसे में 17 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है क्योंकि भाद्रपद माह की पूर्णिमा की श्राद्ध तिथि आज है। लेकिन कई जगहों पर यह कहा जा रहा है कि पितृ पक्ष का प्रारंभ आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। इसलिए इसकी शुरूआत कल 18 सितंबर से होगी।
2 अक्तूबर को होगा पितृ विसर्जन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आज भाद्रपद पूर्णिमा है। आज ही पूर्णिमा श्राद्ध करने का सही समय रहा। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के 16 दिनों को पितृ पक्ष कहते हैं, जिसमें हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं। वहीं पूर्वजों का तर्पण व पिंडदान करने का दिन पितृपक्ष 18 सितंबर बुधवार से शुरू हो रहा है। हालांकि इसके एक दिन पहले 17 सितंबर का दिन मंगलवार को 11 बजे के बाद पूर्णिमा का श्राद्ध शुरू हो गया। प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर को होगी। आपको बता दें कि पितृपक्ष की अमावस्या पितृ विसर्जन 2 अक्टूबर को होगा। इसमें तिथि अज्ञात पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान किया जाएगा।
- हृषिकेश पंचाग के अनुसार 17 सितंबर को सुबह 11 बजे तक अनंत चतुर्दशी है।
- इसके बाद पूर्णिमा होने से पूर्णिमा का श्राद्ध इस दिन से लेकर 18 सितंबर सुबह 8 बजकर 41 मिनट किया जा सकता है।
- ऐसे में बहुत से लोग पूर्णिमा का श्राद्ध 17 व प्रतिपदा का श्राद्ध 18 को करेंगे।
- पितृ विसर्जन 2 अक्तूबर को होगा, इसके बाद पूर्वजों की विदाई हो जाएगी।
पितृपक्ष में क्या न करें
- गरुड़ पुराण में वर्णित है कि पितृपक्ष के दौरान तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
- ऐसे में अगर आसान शब्दों में कहें तो पितृ पक्ष के दौरान मांस-मदिरा का सेवन भूलकर न करें।
- पितृ पक्ष के दौरान साग, सत्तू, चने की दाल, चना, बेसन आदि चीजों का सेवन न करें।
- इसके अलावा, मसूर की दाल, कुलथी की दाल, गाजर, मूली आदि चीजों से भी परहेज करें।
- घर के बड़े-वृद्ध का अपमान न करें। इसके साथ ही पशु-पक्षी और जीव-जंतु को भी न सताएं।
- पितृ पक्ष के दौरान खरीदारी न करें और न ही नए रंग के वस्त्र धारण करें।
- इस पक्ष के दौरान भूलकर शुभ कार्य की शुरुआत न करें।
- ऐसा करने से व्यक्ति को पितृ दोष लगता है।
महत्वपूर्ण बिंदु
- 17 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध,
- 18 सितंबर प्रतिपदा श्राद्ध,
- 19 सितंबर द्वितीया श्राद्ध,
- 20 सितंबर तृतीया श्राद्ध,
- 21 सितंबर चतुर्थी श्राद्ध,
- 22 सितंबर पंचमी श्राद्ध,
- 23 सितंबर पष्ठी श्राद्ध,
- 24 सितंबर सप्तमी श्राद्ध,
- 25 सितंबर अष्टमी श्राद्ध,
- 26 सितंबर मातृ नवमी श्राद्ध,
- 27 सितंबर दशमी श्राद्ध,
- 28 सितंबर एकादशी श्राद्ध,
- 29 सितंबर द्वादशी श्राद्ध,
- 30 सितंवर त्रयोदशी श्राद्ध,
- 1 अक्टूबर चतुर्दशी श्रद्ध
- 2 अक्टूबर को पितृ विसर्जन