सर्दी-जुकाम से राहत के लिए करें ये योगासन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
सर्दियों के मौसम में जब तापमान गिरता है, तब सबसे पहले असर हमारे गले और फेफड़ों पर पड़ता है। बार-बार होने वाली खांसी और जुकाम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने का संकेत हैं। दवाइयां अस्थायी राहत देती हैं, लेकिन योगासन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भीतर से मज़बूत बनाते हैं। योग न केवल सांस की नलियों को खोलता है, बल्कि शरीर में ऑक्सीजन का संचार बढ़ाकर फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ाता है। अगर सर्दियों में आप नियमित रूप से कुछ खास योगासन करते हैं, तो खांसी-जुकाम जैसी समस्याओं से स्थायी राहत मिल सकती है।
सेतुबंधासन
यह आसन फेफड़ों और छाती के क्षेत्र को खोलता है और सांस लेने की प्रक्रिया को आसान बनाता है। सेतुबंधासन के नियमित अभ्यास से ठंड से होने वाली सांस की समस्या और खांसी में राहत मिलती है। इसके अलावासेतुबंधासन करने से कमर दर्द और जकडऩ कम होती है। इस आसन को करने से पोश्चर में सुधार होने के साथ ही शरीर में लचीलापन बढ़ता है। सेतुबंधासन करने के लिए आपको मैट बिछाकर सीधा लेट जाना है। अब दोनों घुटनों को उपर की ओर उठाएं पंजों को सीधा रखें। इसके बाद आपको हाथों से पैरों के पंजों को पकडऩा है और गर्दन के नीचे के हिस्से को उपर की ओर लेकर जाना है। शरीर को उपर की ओर ले जाकर नीचे लाएं। उपर की ओर जाते समय आपको सांस लेनी और नीचे आते हुए सांस छोडऩी है। इस अभ्यास को करने के दौरान कम से कम इसके 30 सेट्स लगाएं।
भ्रामरी प्राणायाम
इससे मानसिक शांति के साथ-साथ सर्दी-खांसी से जुड़ी बेचैनी भी कम होती है। यह आसन नाक और गले की जकडऩ में तुरंत राहत देता है।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम
यह सबसे प्रभावी श्वास अभ्यास है जो फेफड़ों को शुद्ध करता है और ठंडी हवा से होने वाली जकडऩ को कम करता है। इसके अभ्यास से कई लाभ मिलते हैं जैसे नाक बंद होना, साइनस, और कफ की समस्या में राहत मिलती है इसके अलावा इसके अभ्यास से संपूर्ण नाडिय़ों की शुद्धि होती है जिससे वे पूर्ण स्वस्थ कांति में एवं वरिष्ठ बनता है।
कपालभाति
यह योगासन फेफड़ों से बलगम को निकालता है और श्वसन तंत्र को साफ रखता है। इसके अभ्यास से फेफड़ों की शक्ति और ऑक्सीजन लेवल बढ़ाता है। कपालभाती प्राणायाम करने के लिए सिद्धासन पद्मासन या वज्रासन में बैठकर सांसों को बाहर छोडऩे की क्रिया करें।सांसों को बाहर छोडऩे या फेंकते समय पेट को अंदर की तरफ धक्का देना है। ध्यान रखें कि सांस लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में सांस अपने आप ही अंदर चली जाती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय मूल आधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करना होता है। इससे मूल आधार चक्र जाग्रत होकर कुंडलिनी शक्ति जागृत होने में मदद मिलती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय ऐसा सोचना है कि हमारे शरीर के सारे नकारात्मक तत्व शरीर से बाहर जा रहे हैं। कपालभाति प्रणायाम की मदद से आप अपने शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकाल सकते हैं।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन
यह आसन शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। शरीर में गर्मी बढ़ाकर संक्रमण से रक्षा करता है। इसके अलावा आपके शरीर की मांसपेशियों में लचीलापन लाता है और आपका ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन को नियमित करने से आपके शरीर के विषैल तत्व बाहर होते हैं और शरीर डिटॉक्स होता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से आप अपनी पाचन क्रिया को बेहतर बना सकते हैं।


