क्या आप नहीं चाहते कि इंडिया सेक्युलर रहे? सुप्रीम कोर्ट ने संविधान से ‘समाजवाद’, ‘धर्मनिरपेक्षता’ को हटाने के मुद्दे पर पूछा सवाल
नई दिल्ली। भारतीय संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्षता’ जैसे शब्दों को हटाने वाली याचिका को झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान संविधान से इन दोनों शब्दों को हटाने की मांग वाली याचिका पर सख्त टिप्पणी की है और सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी है. जस्टिस संजीव खन्ना ने एडवोकेट विष्णु शंकर जैन से पूछा- क्या आप नहीं चाहते कि भारत सेक्युलर देश रहे?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अपनी टिप्पणी में कहा कि ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्षता’ शब्दों की आज अलग-अलग व्याख्याएं हैं. यहां तक कि हमारी अदालतें भी इन्हें बार-बार बुनियादी ढांचे का हिस्सा घोषित कर चुकी हैं. इस टिप्पणी के बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 18 नवंबर तक के लिए बढ़ा दी.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि प्रस्तावना में इन शब्दों को जोडऩा संसद को अनुच्छेद 368 के तहत मिली संविधान संशोधन की शक्ति से परे है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में जो बदलाव हुआ है वह मूल संविधान की भावना के खिलाफ था. स्वामी ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वो अपनी दलील विस्तार से रखना चाहते हैं.