डॉक्यूमेंट्री बनाम द कश्मीर फाइल, हैदराबाद यूनिवर्सिटी में आधी रात जमकर बवाल
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद चल रहा है। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘द मोदी क्वेश्चन में तथाकथित रूप से उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों का मुख्य आरोपी बताया गया। इसके बाद से केंद्र सरकार ने बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म को देश में रोक (बैन) लगा दिया। मगर विपक्षी पार्टियां इस रोक के खिलाफ है।
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री फिल्म की प्रदर्शन को लेकर 74वें गणतंत्र दिवस पर हैदाराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में तनाव बना रहा। एक तरफ छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) कैम्पस के अंदर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री फिल्म की पार्ट-1 और 2 पर्दे पर दिखाया। वहीं दूसरी तरफ छात्र संगठन एबीवीपी ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को प्रदर्शित किया।
हालांकि पहले तो एबीवीपी के कार्यर्ताओं ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की प्रदर्शन रोकने की भरपुर कोशिश की, मगर जब रोक नहीं सके तो उस डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ ‘कश्मीर फाइल्स’ फि़ल्म को दिखाना शुरू कर दिया। वहीं बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए भारी संख्या में छात्र इक_े हुए हैं, जबकि कश्मीर फाइल्स देखने बहुत कम छात्र इक_े हुए। इस दौरान कैम्पस में तनाव का माहौल बना रहा, बाहर से किसी को भी यूनिवर्सिटी के अंदर जाने की इजाजत नहीं थी।
एसएफआई ने सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करते हुए कहा कि एसएफआई के आह्वान पर गणतंत्र दिवस पर आयोजित डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन की सफल स्क्रीनिंग की झलकियां। इसे देखने के लिए 400 से अधिक छात्र आए, जिन्होंने दुष्प्रचार और अशांति पैदा करने के एबीवीपी के प्रयासों को विफल कर दिया। एसएफआई छात्र समुदाय को सलाम करता है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और परिसर में लोकतंत्र के लिए खड़े हुए हैं।
हालांकि इसके जवाब में एबीवीपी के छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में ‘द कश्मीर फाइल्स’ का प्रदर्शन किया था। गौरतलब है कि विवेक अग्निहोत्री द्वारा लिखित और निर्देशित यह फिल्म पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी हिंदुओं की हत्याओं के बाद कश्मीर से कश्मीरी हिंदुओं के पलायन को दर्शाती है।
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में भी इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की बात कही गई थी। हालांकि बाद में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस कैंसल कर दिया और कहा कि इससे शांति भंग हो सकती है। जेएनयू प्रशासन ने सोमवार को एक परामर्श में कहा था कि छात्रसंघ ने कार्यक्रम के लिए उसकी अनुमति नहीं ली है और इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इससे शांति और सद्भाव भंग हो सकता है।
विभिन्न वामपंथी संगठनों के सदस्यों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के खिलाफ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। वामपंथी छात्रों ने दावा किया कि 2002 के गुजरात दंगों पर विवादास्पद बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के दौरान उन पर पत्थर फेंके गए। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) और अन्य संगठनों से जुड़े वामपंथी छात्रों ने एबीवीपी के खिलाफ नारे लगाए। आइसा की जेएनयू इकाई के अध्यक्ष कासिम ने कहा कि एबीवीपी के गुंडों ने स्क्रीनिंग के लिए एकत्र हुए छात्रों पर पथराव किया था। यह गुंडागर्दी है।
गौरतलब है कि बीबीसी ने इंडिया : द मोदी क्वेश्चन शीर्षक से दो भाग में एक नयी श्रृंखला तैयार की है। बीबीसी का दावा है कि यह सीरीज गुजरात में 2002 में हुए दंगों के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल करती है। गुजरात दंगे के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे।