बिहार में कैंसिल होंगा चुनाव? मनोज झा के सनसनीखेज सबूत से मोदी-ज्ञानेश के छूटे पसीने! 

बिहार में कैंसिल होंगा चुनाव? आचार संहिता के बीच पैसों की बरसात... मनोज झा के सनसनीखेज सबूत... मोदी-ज्ञानेश के छूटे पसीने...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों बिहार में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है.. अब बस कुछ ही दिन बाकी हैं.. जब राज्य की जनता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेगी.. जैसे-जैसे मतदान की तारीखें नजदीक आ रही हैं.. वैसे-वैसे राजनीतिक सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं.. पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं.. रैलियां हो रही हैं और वादों की बौछार हो रही है.. इसी बीच, राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर बिहार की एनडीए सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है.. और उन्होंने कहा है कि सरकार ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं के खातों में पैसे ट्रांसफर करके.. चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है..

आपको बता दें कि यह आरोप ऐसे समय में आया है जब बिहार में चुनावी माहौल गर्म है.. मनोज झा ने पत्र में दावा किया कि 6 अक्टूबर से आचार संहिता लागू होने के बावजूद.. सरकार ने 17, 24 और 31 अक्टूबर को महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये ट्रांसफर किए.. और उन्होंने यह भी कहा कि अगली किस्त 7 नवंबर को दी जाने वाली है.. जो दूसरे चरण के मतदान (11 नवंबर) से सिर्फ चार दिन पहले है.. इससे मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश हो सकती है.. आरजेडी नेता ने चुनाव आयोग से तुरंत कार्रवाई करने.. और शिकायत की लिखित पुष्टि देने की मांग की है..

वहीं यह मुद्दा अब राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है.. विपक्षी पार्टियां इसे आधार बनाकर एनडीए सरकार पर हमला बोल रही हैं.. जबकि सत्ता पक्ष इसे चल रही योजना बता रहा है.. 31 अक्टूबर को मनोज झा ने चुनाव आयोग को औपचारिक पत्र लिखा.. पत्र में उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बिहार सरकार ने आचार संहिता लागू होने के बाद मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को 10,000 रुपये ट्रांसफर करके एमसीसी का खुला उल्लंघन किया है.. यह निष्पक्ष चुनाव की भावना के खिलाफ है.. उन्होंने तीन तारीखों 17, 24 और 31 अक्टूबर का हवाला दिया.. जब पैसे भेजे गए.. मनोज झा के मुताबिक, इस तरह का नकद वितरण चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने जैसा है..

बता दें कि पत्र में आगे लिखा है कि योजना की अगली किस्त 7 नवंबर को प्रस्तावित है.. यह तारीख दूसरे चरण के मतदान से ठीक पहले है.. जिससे चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है.. आरजेडी सांसद ने चुनाव आयोग से मांग की कि इस पर तुरंत रोक लगाई जाए.. जांच की जाए और उन्हें शिकायत की पुष्टि दी जाए.. और उन्होंने पहले के चुनावों में आयोग द्वारा ऐसे मामलों में की गई कार्रवाई का जिक्र भी किया.. उदाहरण के तौर पर, अन्य राज्यों में एमसीसी लागू होने के बाद सरकारी योजनाओं के वितरण को रोका गया था..

मनोज झा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह रिश्वतखोरी जैसा है.. सरकार चुनाव जीतने के लिए महिलाओं के वोट खरीदने की कोशिश कर रही है.. चुनाव आयोग को सख्त कदम उठाना चाहिए.. यह आरोप बिहार की राजनीति में नया ट्विस्ट ला सकता है.. क्योंकि महिलाएं राज्य में वोटरों का बड़ा हिस्सा हैं.. कुल 7.43 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 3.5 करोड़ महिलाएं हैं..

बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना को महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए शुरू किया.. इसका मुख्य लक्ष्य ग्रामीण और शहरी महिलाओं को स्वरोजगार शुरू करने में आर्थिक मदद देना है.. योजना की शुरुआत सितंबर 2025 में हुई.. और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 सितंबर 2025 को वर्चुअल तरीके से लॉन्च किया.. जिसमें हर पात्र महिला को पहली किस्त में 10,000 रुपये मिलते हैं.. छह महीने बाद काम की प्रगति देखकर अतिरिक्त 2 लाख रुपये तक की सहायता दी जा सकती है..

सरकार का दावा है कि यह योजना महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएगी.. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लॉन्च के समय कहा कि यह महिलाओं के लिए रोजगार का बड़ा अवसर है.. हमारा लक्ष्य हर परिवार की एक महिला को स्वरोजगार से जोड़ना है.. लेकिन विपक्ष इसे चुनावी हथकंडा बता रहा है.. आरजेडी का कहना है कि एमसीसी लागू होने के बाद ट्रांसफर जारी रखना गलत है.. क्योंकि इससे वोट प्रभावित हो सकते हैं..

योजना की शुरुआत से पहले बिहार कैबिनेट ने अगस्त 2025 में इसे मंजूरी दी.. यह जीविका कार्यक्रम का हिस्सा है.. जो महिलाओं को समूहों में जोड़कर आर्थिक रूप से मजबूत बनाता है.. योजना के तहत महिलाएं छोटे व्यवसाय जैसे सिलाई, ब्यूटी पार्लर, किराना दुकान आदि शुरू कर सकती हैं.. सरकार का कहना है कि इससे बिहार में महिलाओं की बेरोजगारी कम होगी और परिवारों की आय बढ़ेगी.. लेकिन चुनाव के समय इसकी टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं..

 

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