मोदी के बयान के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इमरजेंसी बैठक
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से देशभर में समान नागरिक संहिता लागू करने की वकालत के बाद यह मुद्दा एक बार फिर से गरमा गया है. भोपाल में पीएम की ओर से की गई टिप्पणियों के कुछ घंटों के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इमरजेंसी बैठक की. ऑनलाइन हुई इस बैठक में बोर्ड ने प्रस्तावित कानून का विरोध करने और लॉ कमीशन के समझ अपनी बात को और अधिक सशक्त ढंग से रखने पर सहमत हुआ है. इसके साथ-साथ शरीयत कानूनों का ड्राफ्ट लॉ कमीशन को सौंपेने का भी फैसला किया.
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूसीसी को लेकर पीएम के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रमुख मुस्लिम धार्मिक नेताओं में से एक और बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी ने कहा है कि बोर्ड समान नागरिक संहिता का पुरजोर तरीके से विरोध करेगा. लॉ कमिशन के सामने पूरी मजबूती से अपनी बात रखेगा और सरकार के प्रस्तावित कदम का मुकाबला करने के लिए रणनीति बना रहा है.
उन्होंने आगे कहा, पिछले कई सालों से राजनेता चुनाव से ठीक पहले समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाते रहे हैं. अब यह मुद्दा 2024 के चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर से सामने आया है. यूसीसी न केवल मुसलमानों को बल्कि देश में रह रहे हर धर्मों के साथ-साथ अल्पसंख्यकों को भी प्रभावित करेगा. भारत एक ऐसा देश है जहां पर हर 100 किलोमीटर पर भाषा बदल जाती है. तो फिर ऐसे में सभी समुदाय के लिए एक समान कानून कैसे बना सकते हैं.
मौलाना ने कहा है कि इस देश में हर धर्म और संप्रदाय के लोगों में प्रार्थना करने, विवाह जैसे समारोह करने का अपना एक अलग तरीका है. संविधान में देश के हर नागरिक को अपनी आस्था और जीवन शैली का पालन करने की स्वतंत्रता मिली हुई है. ऐसे में सरकार एक देश एक कानून कैसे बना सकती है.
ऑनलाइन हुई इस अहम बैठक में बोर्ड के अध्यक्ष सैफुल्लाह रहमानी, इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली और एआईएमपीएलबी के वकील शामिल हुए थे. इस बैठक में बोर्ड की ओर से लॉ कमीशन के सामने पेश किए जाने वाले डॉक्यूमेंट्स पर भी चर्चा हुई और उसे अंतिम रूप दिया गया.
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मध्य प्रदेश के भोपाल में बीजेपी के बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र किया. पीएम ने कहा कि देश के कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीतिक के लिए इसका विरोध कर रहे हैं. आखिर एक परिवार में दो कानून कैसे हो सकते हैं? उन्होंने आगे कहा, खुद सुप्रीम कोर्ट समान नागरिक संहिता लाने की बात कहता रहा है. इसके बाद भी कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं. पीएम ने अपनी स्पीच के दौरान पसमांदा मुसलमानों का भी मुद्दा उठाया और कहा कि सालों से इनका शोषण होता रहा है.