इस्तीफा वापस लेने के बाद भी सिद्धू के नहीं बदले तेवर, अपनी ही सरकार उठाए सवाल

नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस में चल रही रार थमने का नाम नहीं ले रही है. कैप्टन के सीएम पद से हटने और चन्नी के सीएम बनने के बाद कांग्रे नेतृत्व को यह महसूस होने लगा था कि पंजाब सब ऑल इज वेल होगा लेकिन जिस तरह का अडिय़ल रवैया सिद्धू ने अपनाया है उससे कांग्रेस की फजीहत चुनावी साल में हो ही है. ताजा घटनाक्रम के अनुसार नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से दिया गया अपना इस्तीफा वापस लेने के तुरंत बाद ही सीएम चरणजीत चन्नी सरकार पर हमलावर हो गए है. सिद्धू ने चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की 90 दिन की सरकार द्वारा किए गए कामों को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया है. सिद्धू ने पंजाब के दो प्रमुख चचिर्त मुद्दों- गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और ड्रग्स मामले को उठाते हुए सवाल किया कि चन्नी सरकार ने 50 दिनों में इन मामलों में क्या किया है? सिद्धू ड्रग्स पर एसटीएफ की रिपोर्ट को सामने लाने में हो रही देरी पर भी सवाल उठाया.
आपको बताते चलें कि सिद्धू ने इसी साल 28 सितंबर को पंजाब प्रमुख के पद से त्यागपत्र दे दिया था, लेकिन सिद्धू ने अब अपना इस्तीफा अब वापस ले लिया है. उन्होंने अपनी ही सरकार और सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को कटघरे में खड़ा कर दिया है. सिद्धू ने हमले करते हुए पूछा कि पिछले 50 दिनों में चन्नी सरकार ने सीएम बदलने के बाद से, ड्रग्स मामले में उच्च न्यायालय में बंद पड़ी एसटीएफ की रिपोर्ट को खुलवाने और गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों में अब तक क्या किया है? आखिर सरकार इन मसलों को निपटाने के लिए क्या कर रही है? सरकार की ओर से अभी तक लगता नहीं है कि इन मामलों को निपटाने की कोई पहल हुई है.
हमलावर सिद्धू ने कहा कि एसटीएफ की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने में देर क्यो हो रही हैं जब कि सीएम को जब बदला गया था तब यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा था. अब 44-50 दिन हो गए हैं, सरकार को बने हुए आपको कार्रवाई से और रिपोर्ट को सामने लाने से किसने रोका है? सिद्धू ने आगे कहा, कि क्या सरकार की दिलचस्पी लोगों को न्याय दिलाने और इंसाफ के लिए नहीं है. इसके साथ ही सिद्धू ने कहा कि अगर सरकार की हिम्मत रिपोर्ट सार्वजनिक करने की नहीं हा ेरही है तो वह रिपोर्ट मुझे दे दें मैं खुद ही जनता के सामने ले आऊंगा. मै किसी से नहीं डरता और न ही मुझे किसी से किसी बात का डर है.
नवजोत सिंह सिद्धू ने आगे कहा, ‘कांग्रेस नेतृत्व को भी इस पर कोई आपत्ति नहीं है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह पंजाब के लिए एआईसीसी के एजेंडे का हिस्सा था.’ उन्होंने कहा कि डीजीपी के मसले को एक महीने पहले ही सुलझा लिया जाना चाहिए था. लेकिन ये अभी तक अधर में लटका हुआ है. इसके साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, ‘मैंने अपना रिजाइन वापस ले लिया है और यह कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह पार्टी कार्यकर्ता के सम्मान की प्रतिष्ठïा का सवाल था.

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