सड़क पर किसान, मोदी सरकार परेशान
अन्नदाता पर पुलिस ने ढाया कहर
- शंभू बॉर्डर पर छोड़े गए आंसू गैस के गोले, अफरा-तफरी मची, रूमाल बांधकर भागते नजर आए किसान
- कांग्रेस व आप ने किया किसानों का समर्थन
- सरकार बोली- किसान के हित नहीं होंगे प्रभावित
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। अपनी जायज मांगों को लेकर नई दिल्ली की ओर पहुंच रहे किसानों पर मोदी सरकार की पुलिस ने जबरदस्त कहर बरपाया। दरअसल, न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर किसान बीजेपी सरकार से कई सालों से मांग कर रही है। इस बीच सोमवार को सरकार से उनकी बातचीत बेनतीजा रही। उधर इस मुददे पर सियासत भी गरमा गई। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए उसे तानाशाह करार दिया है। उधर सरकार ने कहा है कि किसानों का हित में जो होगा वही किया जाएगा। पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों ने आज सुबह दिल्ली की ओर मार्च शुरू कर दिया है। उनके साथ केंद्रीय मंत्रियों की पांच घंटे से अधिक की बैठक बेनतीजा रही। किसानों की मुख्य मांग फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई समाधान नहीं निकला है। किसानों ने कहा कि हम अपनी मांगों को पूरा करवाकर ही जाएंगे। पंजाब-हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों ने आज सुबह 10 बजे दिल्ली कूच किया। साल 2021 के प्रदर्शन की तरह ही इस बार भी किसान अपनी मांगों के लिए विरोध पर उतरे हैं। वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत अपनी और कई मांगों को स्वीकार कराने के लिए विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया। किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए राज्यों की सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। अम्बाला-पंजाब पर मौजूद शंभू बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए हैं। पूरा इलाका सफेद चादर में लिपट चुका है।
कंक्रीट के अवरोधक, लोहे की कीलों और कंटीली तारों से की बैरीकेडिंग
हरियाणा में प्रशासन ने कंक्रीट के अवरोधक, लोहे की कीलों और कंटीली तारों का इस्तेमाल कर अंबाला, जींद, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र और सिरसा में कई स्थानों पर पंजाब के साथ राज्य की सीमाओं पर सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी है। पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर कई स्थानों पर पानी की बौछारें करने वाली गाडिय़ों समेत दंगा रोधी वाहन भी तैनात किए गए हैं। हरियाणा सरकार ने भी 15 जिलों में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत पाबंदियां लागू की हैं जिसके तहत पांच या उससे अधिक लोगों के एकत्रित होने और ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ किसी भी प्रकार के प्रदर्शन पर रोक है।
केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसानों की बैठक बेनतीजा
चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसानों की बैठक हुई। लगभग आधी रात तक बैठक जारी रही। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसान नेताओं के साथ वार्ता का नेतृत्व किया था। रात 11 बजे के बाद दोनों पक्षों के बीच बिजली संशोधन कानून 2020 को रद्द करने, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को मुआवजा देने और किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर सहमति बनी थी। लेकिन तीन प्रमुख मांगों पर कोई सहमति नहीं बनी जिसमें सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, किसानों के कर्ज माफ करना और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना शामिल है।
ये है किसानों की मांग?
किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी के अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों व कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफ करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, लखीमपुरी खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ”न्याय”, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
किसानों की आवाज पर लगाम लगाना चाहती है सरकार : खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को किसानों के आंदोलन का समर्थन किया और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने देश के अन्नदाताओं से किए वादे तोड़ दिए। उन्होंने दावा किया कि सरकार अब किसानों की आवाज पर लगाम लगाने का प्रयास कर रही है। खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, कटीले तार, ड्रोन से आंसू गैस, कीले और बंदूकें, सबका है इंतजाम, तानाशाह मोदी सरकार ने किसानों की आवाज पर जो लगानी है लगाम ! उन्होंने कहा, याद है ना आंदोलनजीवी व परजीवी कहकर किया था बदनाम और 750 किसानों की ली थी जान। खरगे ने आरोप लगाया, 10 वर्षों में मोदी सरकार ने देश के अन्नदाताओं से किए गए अपने तीन वादे तोड़े हैं — 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी, स्वामीनाथन रिपोर्ट के मुताबिक लागत और 50 प्रतिशत एमएसपी लागू करना और एमएसपी को कानूनी दर्जा। अब समय आ गया है 62 करोड़ किसानों की आवाज उठाने का। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में आज कांग्रेस पार्टी किसान न्याय की आवाज उठाएगी। उन्होंने कहा, हमारा किसान आंदोलन को पूरा समर्थन है. न डरेंगे, न झुकेंगे !।
यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण : जयराम
कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना है कि राहुल गांधी अंबिकापुर में किसान संघों के साथ बैठक कर रहे हैं और आज पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान दिल्ली की ओर मार्च करेंगे, जबकि पीएम मोदी की सरकार उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश करने से रोकने की कोशिश कर रही है। राजधानी…यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
भारत सरकार किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए बाध्य : मुंडा
किसानों के मार्च पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, परामर्श की आवश्यकता रहेगी। इसके लिए हमें राज्यों से बात करने की आवश्यकता है। हमें चर्चा करने के लिए एक मंच और समाधान ढूंढने की जरूरत है। भारत सरकार किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए बाध्य है। जनता को परेशानी में नहीं डालना चाहिए, किसान यूनियन को इसे समझना चाहिए।
सीजेआई से की कार्रवाई करने की मांग
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को पत्र लिखकर दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश करने वाले किसानों पर उपद्रव पैदा करने और नागरिकों के दैनिक जीवन को परेशान करने का आरोप लगाते हुए स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने सीजेआई से अदालतों को निर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया कि अदालतों के समक्ष वकीलों की गैर-मौजूदगी के कारण कोई प्रतिकूल आदेश पारित न किया जाए।