फिल्मी गुस्सा और सियासी शक, उठा रहे हैं सवाल

- पलटने लगे एग्जिट पोल के नतीजे अब बिहार में तेजस्वी सरकार
- ढाई किलो का हाथ मीडिया को चुनौती
- धमेन्द्र की खबर और गलत एग्जिट पोल से लोगों केनिशाने पर आया मीडिया
- हेमा मालिनी के बाद सनी देओल का गुस्सा आया बाहर
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। धर्मेन्द्र की झूठी मौत की खबर उछालने वाली वही मीडिया अब बिहार चुनाव के नतीजों के एग्जिट पोल में अपने ही झूठ के मलबे तले दब गयी है। जैसे धर्मेन्द्र के जिंदा होने ने मीडिया को झटका दिया वैसे ही बिहार के ताजा एक्ज्टि पोल ने न्यूज चैनलों की स्क्रिप्ट उलट दी है। कल तक जो एग्जिट पोल एनडीए को बढ़त दे रहे थे आज वही तेजस्वी यादव की सरकार बनती बता रहे हैं। हेमा मालिनी के गुस्से के बाद आज सनी देओल का ढाई किलो का हाथ उठ गया है और इस बार किसी फिल्मी विलेन पर नहीं बल्कि उन न्यूज चैनलों पर उठा है जिन्होंने उनके पिता की मौत की अफवाह को ब्रेकिंग न्यूज बना दिया था। धर्मेन्द्र के नाम पर झूठ बेचने वाली पत्रकारिता और बिहार के नाम पर अनुमान बेचने वाली राजनीति दोनों ही इस दौर में एक जैसी हो चली हैं जहां सच्चाई की मौत भी एक इवेंट है और अफवाहें ही हेडलाइन।
मीडिया पर सनी देओल का गुस्सा सांतवेंआसमान पर
पिता की मौत की झूठी खबरें परोसने वाले मीडिया पर एक्टर और सांसद सनी देओल का ढाई किलो का हाथ उठ गया है और उन्होंने सीधे मीडिया को धमकाया है कि वह झूठी खबरें परोसना बंद करे नही तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सनी देओल सिर्फ अभिनेता या सांसद नहीं हैं वह उस दौर की आवाज हैं जब सिनेमा में ईमानदारी और संवाद का वजन होता था। उनका ढाई किलो का हाथ अब एक डायलॉग नहीं बल्कि मीडिया पर तमाचा बन चुका है। धर्मेन्द्र के प्रति झूठी संवेदना और बिहार के चुनाव में झूठे विश्लेषण दोनों ही एक ही बीमारी के लक्षण हैं, सत्य की जगह सनसनी। कई वरिष्ठ पत्रकारों ने भी माना है कि धर्मेन्द्र प्रकरण ने मीडिया को शर्मसार किया है। एक पूर्व संपादक ने कहा कि हम पहले मौत की खबर की पुष्टि करते थे लेकिन अब उसके व्यूज गिनते हैं।
बिहार चुनाव में भी मीडिया की जल्दबाजी दिखी
मीडिया की वही जल्दबाजी अब बिहार के एग्जिट पोल में भी दिख रही है। कुछ चैनलों ने तो बिना देर किये बिहार में एनडीए की स्पष्ठ बहुमत की सरकार बना के सीएम की शपथ भी करा दी। वहीं मतदान के बाद की धुंध छटने के बाद स्पष्ठ तस्वीर सामने आ रही है। बाकी जो नये सर्वे और पोल आ रहे हैं उनमें महागठबंधन की जीत दिखाई जा रही है। बिहार के पत्रकार इन सर्वों से नाराज है और कह रहे रहे हैं कि हम लोग यहां जमीन पर पसीना बहा रहे हैं और दिल्ली/मुंबई के स्टूडियो में बैठे लोग स्क्रीन पर सरकारें बना गिरा रहे हैं। यानी बिहार की राजनीति अब सिर्फ जनता के वोट से नहीं मीडिया की स्क्रिप्ट से भी तय होने लगी है। और यही कारण है कि जनता अब चैनलों को शंका की नजरों से देख रही है।
तेजस्वी का आत्मविश्वास एनडीए की चिंता
तेजस्वी यादव ने एक्जिट पोल पर कहा है कि हमने नतीजों की तैयारी की है न कि अंदाजों की। उनकी यह पंक्ति पूरे परिदृश्य का सार है। तेजस्वी के लिए यह चुनाव सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं विश्वसनीयता बनाम प्रचार की जंग है। वहीं एनडीए के भीतर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। जदयू के नेता चुप हैं भाजपा के चेहरे थके हुए दिख रहे हैं और लोजपा (रामविलास) अपने ही अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि इस बार बिहार का जनादेश सियासत से ज्यादा आवाज का है। लोग मीडिया की चमक दमक नहीं अपने दर्द का समाधान खोज रहे हैं।
थैक्यू बिहार वासियों शांतिपूर्ण मतदान के लिए
बिहार सरकार में मंत्री विजय कुमार चौधरी ने चुनाव प्रक्रिया के सफल और शांतिपूर्ण संचालन के लिए बिहार की जनता का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि बिहार की जनता के प्रति हमारी कृतज्ञता व्यक्त करने का क्षण है। दूसरे और अंतिम चरण का मतदान भी शांति और सौहार्द के वातावरण में संपन्न हुआ। इसके लिए हम सरकार की ओर से बिहार के मतदाताओं को तहे दिल से धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मंदिर जाकर ईश्वर के प्रति आभार प्रकट किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सबसे पहले हनुमान मंदिर पहुंचे और वहां शीश नवाया। इसके बाद उन्होंने गुरुद्वारा में मत्था टेका और अंत में पीर शाह की मजार पर जाकर प्रदेश में अमन-चैन और जनता के उज्जवल भविष्य की कामना की। विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जनता में यह जिज्ञासा रही कि मुख्यमंत्री चुनाव परिणाम से पहले देवालयों का रुख क्यों कर रहे हैं। सीएम नीतीश कुमार का यह दौरा राज्य में शांति और सफल चुनाव प्रक्रिया के प्रति उनका आभार व्यक्त करने का प्रतीक है।




