नए आपराधिक कानून पर ओवैसी से लेकर चिदंबरम तक जमकर भडक़े
नई दिल्ली। देश भर में तीन नए आपराधिक कानून एक जुलाई से लागू हो गए है। तीन नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी होने पर विपक्ष ने भी इन कानूनों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। इसी कड़ी में वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम, असद्दुदीन ओवैसी से लेकर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने सोमवार को सरकार की आलोचना की।
इस कड़ी में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि यह मौजूदा कानूनों को ध्वस्त करने तथा उन्हें बिना पर्याप्त चर्चा और बहस के तीन नए विधेयकों से बदलने का एक और मामला है। पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि दीर्घावधि में, तीनों कानूनों को संविधान और आपराधिक न्यायशास्त्र के आधुनिक सिद्धांतों के अनुरूप बनाने के लिए इनमें और बदलाव किए जाने चाहिए। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने क्रमश: ब्रिटिशकालीन भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया।
एक्स पर एक पोस्ट में चिदंबरम ने कहा, तथाकथित नए कानूनों में से 90-99 प्रतिशत कट, कॉपी और पेस्ट का काम है। जो काम मौजूदा तीन कानूनों में कुछ संशोधनों के साथ पूरा किया जा सकता था, उसे एक बेकार की कवायद में बदल दिया गया है। उन्होंने कहा, हां, नए कानूनों में कुछ सुधार हैं और हमने उनका स्वागत किया है। उन्हें संशोधन के रूप में पेश किया जा सकता था। दूसरी ओर, कई प्रतिगामी प्रावधान हैं। कुछ बदलाव प्रथम दृष्टया असंवैधानिक हैं।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि स्थायी समिति के सदस्य सांसदों ने प्रावधानों पर गहन अध्ययन किया तथा तीनों विधेयकों पर विस्तृत असहमति नोट लिखे। चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने असहमति नोट में की गई किसी भी आलोचना का न तो खंडन किया और न ही उसका उत्तर दिया तथा संसद में इस पर कोई सार्थक बहस नहीं हुई। उन्होंने कहा, कानून के विद्वानों, बार एसोसिएशनों, न्यायाधीशों और वकीलों ने अनेक लेखों और सेमिनारों में तीनों नए कानूनों में गंभीर कमियों की ओर इशारा किया है। सरकार में किसी ने भी इन सवालों का जवाब देने की परवाह नहीं की है।
चिदंबरम ने कहा, यह तीन मौजूदा कानूनों को खत्म करने और उन्हें बिना पर्याप्त चर्चा और बहस के तीन नए विधेयकों से बदलने का एक और मामला है। उन्होंने कहा कि इसका प्रारंभिक प्रभाव आपराधिक न्याय प्रशासन में अव्यवस्था पैदा करना होगा। चिदंबरम ने कहा, मध्यम अवधि में, विभिन्न न्यायालयों में कानूनों को लेकर अनेक चुनौतियां पेश की जाएंगी। दीर्घ अवधि में, तीनों कानूनों को संविधान और आपराधिक न्यायशास्त्र के आधुनिक सिद्धांतों के अनुरूप बनाने के लिए उनमें और बदलाव किए जाने चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जिन्होंने इन कानूनों का संचालन किया था, ने कहा था कि नए कानून न्याय प्रदान करने को प्राथमिकता देंगे, जबकि ब्रिटिश काल के कानूनों में दंडात्मक कार्रवाई को प्राथमिकता दी गई थी।
वहीं इस मामले पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह नए कानूनों से जुड़े ‘प्रमुख मुद्दों’ के समाधान के लिए कुछ नहीं कर रही है। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर, हैदराबाद के सांसद ने पिछले साल दिसंबर के अपने लोकसभा भाषण का एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने उन बिंदुओं को सामने रखा, जिन पर वह तीन नए कानूनों का विरोध कर रहे हैं। ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, तीन नए प्तआपराधिक कानून कल से लागू हो जाएंगे। इनके क्रियान्वयन में बड़ी समस्याओं के बावजूद सरकार ने इन्हें दूर करने के लिए कुछ नहीं किया है। ये वे मुद्दे थे जिन्हें मैंने इनके लागू होने का विरोध करने के लिए उठाया था। चार बार के लोकसभा सदस्य ने अपने संबोधन में कहा कि उनके अनुसार, इन कानूनों के प्रावधान ‘लोगों की नागरिक स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए खतरा’ हैं। उन्होंने कहा, ये पुलिस को किसी के भी खिलाफ कार्रवाई करने के लिए व्यापक शक्तियां प्रदान करते हैं।