अमेरिकी टैरिफ अटैक के बाद चारों ओर कोहराम

- शेयर बाजार धड़ाम, रुपये पर दबाव, नौकरियों पर संकट
- लोगों की चिंता अब क्या होगा?
- ट्रंप ने जैसा कहा वैसा किया, लगा दिया टैरिफ टैक्स
- आ गया पीएम मोदी की मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं की परीक्षा का समय
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। नये जमाने में नयी जंग का आग़ाज़ हो चुका है। अमेरिका की टैरिफ मिसाइल का रूख चीन था लेकिन भारत भी इसकी मार से अछूता नहीं रहा और जद में आ गया। अमेरिका ने चीन पर 54 फीसदी टैरिफ टैक्स लगाया है वहीं भारत पर 26 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। अमेरिका के पहले प्रहार में ही भारतीय शेयर बाजार धड़ाम हो गये। हालांकि अभी फार्मा सेक्टर में ट्रंप का कुछ बड़ा करने की धमकी अभी बाकी है। चीन ने जवाब के तौर पर अमेरिकन उत्पादों पर भी 54 परसेंट के टैक्स लगाने का एलान कर दिया है। अमेरिकन टैरिफ अटैक से वैश्विक मंदी के आसार बड़ गये हैं। यदि टैरिफ के चलते भारतीय निर्यात पर असर पड़ता है तो इससे विदेशी मुद्रा भंडार के साथ रूपये पर दबाव और नौकरियों पर संकट का खतरा मंडराने लगा है।
मेक इन इंडिया पर रहेगी नजर
ट्रेड वॉर के बीच अब वक्त आ गया मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं की परीक्षा का। विदेशी कंपनियां यदि चीन से हटती हैं तो भारत उनके लिए विकल्प बन सकता है। लेकिन क्या भारत इस आपदा को अवसर में बदलने के लिए तैयार है। यह अलग बहस है। लेकिन इतना तय है कि भारत आज भी श्रम कानून और लॉजिस्टिक्स जैसे मुद्दे से अभी भी जूझ रहा है।
देश के 99 फीसदी लोग शेयर बाजार की तबाही से हो रहे तबाह : अखिलेश
सपा प्रमुख अखिलेश यादव शेयर बाजार में गिरावट को लेकर देश की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने निवेशकों के प्रति अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने अपने पोस्ट में नोटबंदी और मंदी की मार की भी जिक्र किया है। सपा प्रमुख ने एक्स पर किए पोस्ट में लिखा है कि देश के शेयर बाजार में लाखों करोड़ों की गिरावट की ओर ध्यान देना बेहद जरूरी है। क्योंकि इससे उन आम लोगों की बचत और पूंजी डूब रही है जिनके पास कुछ अतिरिक्त धन निवेश करने के लिए उपलब्ध है, जिससे वो लोग सामान खरीदते हैं या सेवाएं और वाहन-भूमि इत्यादि। इनसे ही बाजार में खरीद-फरोख्त का पहिया घूमता है और साथ ही अर्थव्यवस्था का भी। अगर शेयर मार्केट में आम लोगों के पैसे डूबते हैं तो बाजार भी डूबता है और इकॉनमी भी। आज जब युवा वर्ग शेयर बाजार में अपनी जमा-पूंजी लगा रहा है तो वो भी बाजार की इस अनिश्चितता का भरपूर शिकार हो रहा है। देश के पूंजी बाजार के भविष्य के लिए ये एक बेहद खतरनाक स्थिति है। शेयर बाजार से युवाओं को जब हानि होगी तो वो शेयर व अन्य इंवेस्टमेंट से भी कतराएंगे, जो शेयर मार्केट के फ्यूचर के लिए पॉजिटिव सिग्नल नहीं होगा। अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट में नोटबंदी का जिक्र करते हुए लिखा है कि देश के आम लोगों के पास न तो पैसे हैं और न ही नौकरी-रोजगार। ऐसे में बेबस लोग अपनी कमाई के लिए बाजार की गतिविधियों और गतिशीलता के सहारे ही दो वक्त की रोटी कमाते हैं। दूसरी तरफ वो लोग हैं जिनके पास नोटबंदी और मंदी की मार के बाद न तो पैसे हैं और न ही नौकरी-रोजग़ार। भुखमरी और बेकारी झेल रहे, ऐसे बेरोजगार-बेबस लोग अपनी कमाई के लिए बाजार की गतिविधियों और गतिशीलता के सहारे ही दो वक्त की रोटी कमाते हैं। इसीलिए शेयर बाजार के गिरने का बहुत बुरा दूरगामी असर उनके जीवनयापन पर भी होता है। कड़वा सच ये है कि अगर 1त्न महाधनी लोगों को छोड़ दिया जाए तो देश के बाकी 99 प्रतिशत आम लोग अप्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष रूप में शेयर बाजार की तबाही से तबाह हो रहे हैं।
शुरू हो गयी जंग
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 26 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। यह टैरिफ 9 अप्रैल से प्रभावी होगा और भारत से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले हर सामान पर इसे वसूला जाएगा। टैरिफ युद्ध ने भारत के निर्यात को दोहरे दबाव में ला खड़ा किया। भारत अमेरिका को फार्मा, आईटी सर्विसेज़, टेक्सटाइल और ऑटो पाट्र्स जैसे कई क्षेत्रों में निर्यात करता है। टैरिफ टैक्स की मार से इन उत्पादों की कीमतें बढ़ जाती हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा में भारत पिछड़ सकता है। इसका सीधा असर भारत के एक्सपोर्ट सेक्टर और विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ेगा।
फार्मा सेक्टर पर भी आफत
देश का वाणिज्य मंत्रालय ने फार्मा निर्यातकों के साथ इस विषय पर मीटिंग करना शुरू कर दी है। हालांकि ट्रंप ने टैरिफ के पहले चरण में फार्मा सेक्टर को बाहर रखा है। लेकिन इस दिशा में कुछ बड़ा करने का एलान कर अमेरिका में फार्मास्यूटिकल आयात पर टैरिफ लगाने के संकेत दिये हैं। टैरिफ में बड़ी बढ़ोतरी से भारतीय दवा निर्माताओं के लाभ मार्जिन को नुकसान पहुंच सकता है। अमेरिका भारत के फार्मास्यूटिकल निर्यात के लिए एक प्रमुख बाजार है। अमेरिका में उपयोग होने वाली सभी जेनेरिक दवाओं की लगभग 40 प्रतिशत आपूर्ति भारतीय कंपनियों द्वारा की जाती है। अमेरिका को होने वाले सालाना भारतीय फार्मा निर्यात की वैल्यू करीब 9 अरब डॉलर है। वह भारतीय फार्मा कंपनियां काफी चिंतित है जो अपने कारोबार के लिए अमेरिकी बाजार पर काफी हद तक निर्भर हैं। टैरिफ एलान के बाद भारतीय दवा कंपनियों के शेयरों में काफी गिरावट दर्ज की गयी है। सरकारी प्रवक्ताओं के मुताबिक सरकार स्थिति का बारीकी से आकलन कर रही है और संभावित प्रभाव को समझने एवं जोखिम को कम करने के तरीकों का पता लगाने के लिए निर्यातकों के साथ मिलकर काम कर रही है।
नौकरियों पर मंडराया खतरा
यदि टैरिफ टैक्स के कारण भारत के एक्सपोर्ट घटते हैं तो जाहिर सी बात है? कि उद्योगों में उत्पादन घटेगा। जिसका नतीजा लोगों की नौकरी जाने के रूप में आने की संभावना है। टेक्सटाइल, फार्मा और स्मॉल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर इस आपदा का सबसे ज्यादा असर देखने को मिल सकता है।
टैरिफ एलान के बाद भारतीय शेयर बाजार धड़ाम
टैरिफ एलान के बाद भारतीय शेयर बाजार धड़ाम हो गये। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही 1 फीसदी से ज्यादा क्रैश हुए। ग्लोबल ट्रेड वार शुरू होने की आशंका ने निवेशकों को हतोउत्साहित कर दिया। इसके चलते बाजार में भारी बिकवाली शुरू हो गयी और देखते ही देखते सेंसेक्स 930 अंक टूट कर 75364.64 पर पहुंच गया। यह गिरावट सिर्फ भारतीय शेयर बाजार में नहीं बल्कि अमेरिकन बाजारों में भी देखने को मिली। ट्रंप के एलान के बाद यूएस के बाजारों में भारी बिकवाली हुई। डाओ करीब 4 फीसदी और नैस्डैक करीब 6 फीसदी गिरावट के साथ बंद हुए। कनाडा और मैक्सिको ने अमेरिका को जवाब देने की कसम खाई ऐसे में अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की संभावना ने अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है। इससे अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और कच्चे तेल की कीमतों में कमी आई है। एक्सपर्ट के मुताबिक यह कमी संभावित आर्थिक मंदी और मंदी के बढ़ते जोखिम को बढ़ाने के लिए काफी है।