…जनता से ही करवा दें उद्घाटन!

नए संसद भवन के उद्घाटन पर रार

  • विपक्ष ने लगाया भाजपा पर राष्ट्रपति के अपमान का आरोप
  • सभी सियासी दलों का कहीं पे निगाहें कही पें निशाना
  • स्पीकर के आसन के पास लगेगा सेंगोल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। भारत के नए संसद भवन को लेकर सियासी संग्राम जारी है। हालांकि, केंद्र सरकार इस समारोह को भव्य बनाने में जुटी हुई है, लेकिन विपक्षी दल इस उद्घाटन समारोह का विरोध कर रहे हैं। विवाद से इतर देखा जाए तो विपक्ष की मांग अनुचित नहीं है। संसद सांसदों के लिए बना है। सांसदों का संरक्षक लोक सभा, राज्य सभा अध्यक्ष होता है। जबकि संसद के दोनों सदनों व देश का संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है ऐसे में उनके द्वारा उद्घाटन करवाना सर्वथा उचित है। चूकि सरकार बीजेपी की है और सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं इसलिए संसद का उद्घाटन पीएम करना चाहते हैं। कुल मिलाकर उद्घाटन के बहाने सियासत जोरों पर है। ज्यादा अच्छा होगा की उद्घाटन राष्टï्रपति, उपराष्टï्रपति, प्रधानमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष व विपक्ष के नेता संयुक्त रुप से कर दें। ऐेसा करके देश के इस मंदिर को भारत की जनता को समर्पित कर एक मिसाल कायम कर सकते हैं। वहीं विवादों के बीच आमजन में यह भी चर्चा है कि संसद में जनता के प्रतिनिधि बैठते हैं ऐसे उसका उद्घाटन आम जन से भी करवाया जा सकता है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन होगा और इस दौरान सेंगोल को स्थापित किया जाएगा। ऐसे में भारत के राजदंड सेंगोल का अचानक नाम सामने आने के बाद इसे लेकर चर्चाएं होने लगी है कि आखिर सेंगोल क्या है, जिसे नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। दरअसल, राजदं सेंगोल भारत की स्वतंत्रता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रतीक है। जब अंग्रेजों ने भारत की आजादी का एलान किया था तो सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल का इस्तेमाल किया गया था। लॉर्ड माउंटबेटन ने 1947 में सत्ता के हस्तांतरण को लेकर नेहरू से सवाल पूछा कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए।इसके बाद नेहरू ने सी राजा गोपालचारी से राय ली। उन्होंने सेंगोल के बारे में जवाहर लाल नेहरू को जानकारी दी। इसके बाद सेंगोल को

तमिलनाडु से मंगाया गया और राजदंडलगेगा सेंगोल?

सेंगोल को स्पीकर के आसन के पास लगाया जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि इस पवित्र सेंगोल को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है। सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई हो ही नहीं सकता। इसलिए जब संसद भवन देश को समर्पण होगा, उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी बड़ी विनम्रता के साथ तमिलनाडु से आए सेंगोल को स्वीकार करेंगे और लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इसे स्थापित करेंगे।

चोल वंश से है रिश्ता

सेंगोल का इतिहास सदियों पुराना है, इसका रिश्ता चोल साम्राज्य से रहा है। इतिहासकारों की मानें तो चोल साम्राज्य में राजदंड सेंगोल का इस्तेमाल सत्ता के हस्तांतरण के लिए किया जाता था। उस दौर में जब सत्ता हस्तांतरित होती थी, तो मौजूदा राजा दूसरे राजा को सेंगोल सौंपता था। इस परंपरा की शुरूआत चोल साम्राज्य में हुई थी।तमिल में इसे सेंगोल कहा जाता है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है। सेंगोल संस्कृत शब्द संकु से लिया गया है, जिसका मतलब शंख है। सनातन धर्म में शंख को बहुत ही पवित्र माना जाता है। मंदिरों और घरों में आरती के दौरान शंख का इस्तेमाल आज भी किया जाता है।

इलाहाबाद के एक संग्रहालय में सेंगोल

सेंगोल को इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था और अब नए संसद भवन में ले जाया जाएगा। अमित शाह ने बताया कि यह सेंगोल वही है जो स्वतंत्रता के समय पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू को दिया गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 की रात लगभग 10:45 बजे तमिलनाडु के अधिनाम के माध्यम से सेंगोल को स्वीकार किया। जिसके बाद इसका इस्तेमाल सत्ता हस्तांतरण के लिए किया गया। 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस नए संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास में सेंगोल को स्थापित किया जाएगा। सेंगोल भारतीय परंपरा का प्रतीक है, जिसका इतिहास 1947 में हुए सत्ता के हस्तांतरण से जुड़ा हुआ है।

क्या होता है सेंगोल

केद्र्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर बताया कि नए भवन में सेंगोल की स्थापना की जाएगी। अमित शाह ने बताया कि संसद भवन के उद्घाटन के साथ ही एक ऐतिहासिक परपंरा भी पुनर्जीवित होगी। इसी परंपरा को सेंगोल कहा जाता है, ये युगों से जुड़ी परंपरा है। इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न होता है। नए संसद भवन में इसे स्पीकर के आसन के पास स्थापित किया जाएगा। संसद भवन में जिस सेंगोल की स्थापना होगी उसके शीर्ष पर नंदी विराजमान हैं। आखिर ये सेंगोल क्या होता है और इसका क्या महत्व है? आइए बताते हैं।

लोक सभा अध्यक्ष करें उद्घाटन : ओवैसी

वहीं असेवेैसी मुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को इसका उद्घाटन नहीं करना चाहिए। अगर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं करेंगे तो असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने विपक्ष द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि बहिष्कार तो होना ही था। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि भवन का निर्माण इतनी जल्दी पूरा हो जाएगा। सिर्फ अपना चेहरा बचाने के लिए बहिष्कार का नाटक कर रहे हैं। उन्होने कहा कि इस दिन वीर सावरकर की जयंती है। यह उनके लिए समारोह का विरोध या बहिष्कार करने का एक और कारण हो सकता है।

कांग्रेस सरकार के मुखिया कर चुकें है ऐसे उद्घाटन: हरदीप सिंह पुरी

नए संसद भवन के उद्घाटन पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगस्त 1975 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने संसद एनेक्सी का उद्घाटन किया और बाद में 1987 में पीएम राजीव गांधी ने संसद पुस्तकालय का उद्घाटन किया। अगर कांग्रेस सरकार के मुखिया उनका उद्घाटन कर सकते हैं, तो हमारी सरकार के मुखिया ऐसा क्यों नहीं कर सकते?

आजादी से जुड़ा है इतिहास

सेंगोल का इतिहास काफी पुराना है। आजाद भारत में इसका बड़ा महत्व है। 14 अगस्त 1947 में जब भारत की सत्ता का हस्तांतरण हुआ, तो वो इसी सेंगोल द्वारा हुआ था। एक तरह कहा जाए तो सेंगोल भारत की आजादी का प्रतीक है। उस समय सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। 1947 में जब लॉर्ड माउंट बेटन ने पंडित नेहरू से पूछा कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए। तो पंडित नेहरू ने इसके लिए सी राजा गोपालचारी से मशवरा मांगा। उन्होंने सेंगोल प्रक्रिया के बारे में बताया। इसके बाद इसे तमिलनाडु से मंगाया गया और आधी रात को पंडित नेहरु ने स्वीकार किया। सेंगोल को नए संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास लगाया जाएगा। अमित शाह ने कहा कि सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से उपयुक्त और पवित्र स्थान कोई और हो ही नहीं सकता इसलिए जिस दिन नए संसद भवन को देश को समर्पित किया जाएगा उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु से आए हुए अधीनम से सेंगोल को स्वीकार करेंगे और लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इसे स्थापित करेंगे।

अहंकार नहीं बल्कि संवैधानिक मूल्यों की ईंटों से बनी है संसद : राहुल

राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा है कि राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और उन्हें समारोह में बुलाना, यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने यह भी कहा कि संसद अहंकार की ईंटों से नहीं बल्कि संवैधानिक मूल्यों से बनी है।

राष्ट्रपति करें नए संसद भवन का उद्घाटन- भूपेश बघेल

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह के बयान पर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने पलटवार किया। उन्होंने कहा-संसद भवन ब्रिटिश कार्यकाल के पहले बना था और राष्ट्रपति भवन ब्रिटिश काल में बना हुआ है तो उसका उद्घाटन इंदिरा गांधी कैसे करती? अगर कोई उसके एक हिस्से का उद्घाटन करता है तो अलग बात है, लेकिन पूरे संसद का उद्घाटन करना अलग बात है। पहले जो बना था उसे नया बनाया गया है तो हमारी मांग थी कि उसका उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए।

ऐसा है नया संसद भवन

नई इमारत के भीतर, लोकसभा में 888 सदस्यों और राज्यसभा में 384 सदस्यों की बैठक की व्यवस्था की गई है। नए संसद भवन में लोकसभा को राष्टï्रीय पक्षी मोर के जैसा और राज्यसभा को राष्ट्रीय पुष्प कमल की तहर की तरह डिजाइन किया गया है। संयुक्त सत्र के दौरान 1272 सदस्य बैठ सकेंगे। लोकसभा और राज्यसभा कक्ष में हर बेंच पर एक साथ दो सदस्य बैठ सकेंगे। हर सीट पर डिजिटल सिस्टम और टच स्क्रीन लगी है। करीब 64,500 वर्गमीटर में फैली नई संसद में भूकंप से बचाव के इंतजाम हैं। इसमें रेनवाटर हार्वेस्टिंग का भी इंतजाम है। नई संसद का डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया। निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने किया। नए संसद भवन के निर्माण के बाद भी पुरानी इमारत का यूज होता रहेगा। नई इमारत में एक संविधान कक्ष है जहां देश की लोकतांत्रिक धरोहर को प्रदर्शित किया जाएगा। पुस्तकालय, डाइनिंग रूप और पार्किंग की भी व्यवस्था रहेगी।

 

 

 

 

 

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