महाकुंभ हादसे पर संसद में फिर घिरी सरकार
- अखिलेश ने मृतकों के लिए मौन की मांग की
- सपा समेत कई विपक्षी दलों नेे योगी सरकार से मांगा जवाब
- कई नेताओं ने दिया स्थगन का नोटिस
- सपा प्रमुख बोले- डिजिटल कुंभ कराने वाले मृतकों के आंकड़े नहीं दे रहे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र का आज चौथा दिन है। लोकसभा और राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण की चर्चा हो रही है। संसद में आज भी प्रयागराज महाकुंभ में मची भगदड़ को लेकर हंगामा हुुआ। सपा व अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर जमकर हमला बोला। कई नेताओं ने स्थगन प्रस्ताव का नोटिस भी दिया। सपा प्रमुख अखिलेश ने कहा कि सतयुग से लेकर कलयुग तक ये सनातन परंपरा रही है कि संत-महात्मा मुहूर्त के हिसाब से शाही स्नान करते हैं, उसमें नक्षत्रों के हिसाब से जो संयोग बनता है, वही शाही स्नान का मुहूर्त होता है, लेकिन भाजपा के सरकार में ये परंपरा टूट गई। महाकुंभ की व्यवस्था के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए मेरी मांग है कि सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए। महाकुंभ आपदा प्रबंधन, खोया-पाया केंद्र की जिम्मेदारी केंद्र को दी जाए, घायलों का इलाज, दवा-डॉक्टर, भोजन पानी का आंकड़ा संसद में पेश किया जाए. महाकुंभ हादसे के जिम्मेदार लोगों पर घोर दंडात्मक कार्रवाई की हो। जिन्होंने सच छिपाया है, उन्हें दंडित किया जाए, हम डबल इंजन की सरकार से पूछता हूं कि अगर अपराध बोध नहीं था तो आंकड़े दबाए, छिपाए और मिटाए क्यों गए हैं, साक्ष्य छिपाना भी अपराध है।
अब तक मुख्यमंत्री ने शोक नहीं जताया
सपा प्रमुख ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने शोक नहीं जताया। जब देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने शोक जताया तो 17 घंटे बाद (राज्य) सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया। ये वो लोग हैं जो आज भी सत्य को स्वीकार नहीं कर पाते। अपना हमला जारी रखते हुए अखिलेश ने कहा कि मुझे याद है इन्वेस्टमेंट मीट का सबसे बड़ा आयोजन उत्तर प्रदेश में हुआ था। इन्वेस्टमेंट मीट में न सिर्फ निवेशकों को आमंत्रित किया गया, बल्कि डिफेंस एक्सपो के कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। आश्वासन दिया गया कि 40 लाख करोड़ रुपये के एमओयू हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस डबल इंजन सरकार से जानना चाहता हूं कि जो 40 लाख करोड़ रुपये के एमओयू हुए हैं, उनमें से कितना जमीन पर ये सरकार ला पाई है? कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकार के डबल इंजन आपस में टकरा रहे हैं? अब जो खबर हम पढ़ रहे हैं वह यह है कि सिर्फ इंजन ही नहीं टकरा रहे हैं, डिब्बे भी टकराने लगे हैं।
छुपाने के लिए दबाव और कुछ मिठाइयां दी जा रही
अखिलेश ने कहा कि जब पता चला कि कुछ लोगों की जान चली गयी है, उनके शव मुर्दाघर और अस्पताल में पड़े हैं, तो सरकार ने अपने सरकारी हेलीकॉप्टर को फूलों से भर दिया और फूलों की पंखुडिय़ाँ बरसायीं। ये कैसी सनातनी परंपरा है? उन्होंने कहा कि भगवान जाने कितनी चप्पलें, कपड़े और साडिय़ां वहां पड़ी थीं और उन्होंने जेसीबी मशीन और ट्रैक्टर ट्रॉली से सब उठा लिया। किसी को नहीं पता कि उन्हें कहां फेंका गया। सुनने में आ रहा है कि सब कुछ छुपाने के लिए कुछ दबाव और कुछ मिठाइयां दी जा रही हैं ताकि उनकी खबर बाहर न आ सके।
सरकार बताए मौत के आंकड़े क्यों छिपाए : अखिलेश
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा में कहा कि महाकुंभ की व्यवस्था के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में हुई भगदड़ में मारे गए लोगों का सही आंकड़ा दिया जाए, आंकड़े छिपाने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई हो। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए अखिलेश ने कहा कि सरकार लगातार बजट के आंकड़े दे रही है तो कृपया महाकुंभ में मरने वालों का भी आंकड़ा दें। मेरी मांग है कि महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर स्पष्टीकरण देने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए। महाकुंभ आपदा प्रबंधन और खोया-पाया केंद्र की जिम्मेदारी सेना को दी जाए।सपा प्रमुख ने कहा कि महाकुंभ दुर्घटना में हुई मौतों, घायलों के इलाज, दवाओं, डॉक्टरों, भोजन, पानी, परिवहन की उपलब्धता का आंकड़ा संसद में पेश किया जाना चाहिए। महाकुंभ त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए और जिन्होंने सच्चाई छिपाई है उन्हें दंडित किया जाना चाहिए।
दिल्ली विस व मिल्कीपुर उपपुचाव में वोटिंग कल
- सियासी दलों ने मतदाताओं से की मतदान की अपील
- मिल्कीपुर में भाजपा व सपा का सीधा मुकाबला
- दिल्ली में आप, भाजपा व कांग्रेस में टक्कर
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। पांच फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार का शोर थम गया है और अब नेता-कार्यकर्ता घर-घर जाकर व्यक्तिगत प्रचार कर रहे हैं। दिल्ली का चुनाव सुखियों में जबर्दस्त छाया रहा।
इसके बावजूद उत्तर प्रदेश की एक विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव का हाई वोल्टेज प्रचार भी सुर्खियों में रहा। पांच फरवरी को जब दिल्ली के लोग वोट डालेंगे, तो उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा और तमिलनाडु की इरोड विधानसभा के उपचुनाव के लिए भी वोट डाले जाएंगे। मिल्कीपुर सीट बीजेपी के लिए ये सीट हमेशा से ही कड़ी चुनौती रही है। पिछले 33 साल में मिल्कीपुर विधानसभा सीट बीजेपी सिर्फ एक बार ही जीत पाई है। इसलिए ये सीट जीतना बीजेपी के लिए इस बार भी बड़ी चुनौती है। उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर आरक्षित विधानसभा सीट तो राज्य की सत्तारूढ़ बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के लिए नाक की लड़ाई बन चुकी है। अयोध्या जिले और फ़ैज़ाबाद लोकसभा सीट के तहत आने वाली मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर वैसे तो दस उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुक़ाबला बीजेपी के उम्मीदवार चंद्रभान पासवान और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अजीत प्रसाद के बीच है। अजीत प्रसाद इस सीट से पूर्व विधायक रहे अवधेश प्रसाद के बेटे हैं।
बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती
मिल्कीपुर सीट की ख़ास बात ये है कि बीजेपी के लिए ये सीट हमेशा से ही कड़ी चुनौती रही है। पिछले 33 साल में मिल्कीपुर विधानसभा सीट बीजेपी सिर्फ़ एक बार ही जीत पाई है इसलिए ये सीट जीतना बीजेपी के लिए इस बार भी बड़ी चुनौती है। फ़ैज़ाबाद के मौजूदा सांसद अवधेश प्रसाद ने 2022 में मिल्कीपुर सीट से बीजेपी उम्मीदवार गोरखनाथ को हराया था। उधर दलित महिला पर यौन हमला इसबार फिर चुनावी मुद्दा बना गया है।
दिल्ली की सीएम आतिशी के खिलाफ एफआईआर
विधानसभा चुनाव से ठीक एक दिन पहले, दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को दो मामले दर्ज किए – एक, दिल्ली की सीएम आतिशी के खिलाफ आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए और दूसरा मामला उनके समर्थकों के खिलाफ एक पुलिस अधिकारी पर कथित रूप से हमला करने के लिए। पुलिस के अनुसार सत्तारूढ़ आप के दो सदस्यों पर काम में बाधा डालने और हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।