गोमती रिवर फ्रंट घोटाला अखिलेश के करीब आते ही शिवपाल पर सरकार की निगाहें टेढ़ी, सीबीआई कर सकती है पूछताछ

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। मैनपुरी लोकसभा का उपचुनाव भाजपा और सपा के लिये प्रतिष्ठï का सवाल बना हुआ है। अखिलेश के नजदीक जाते ही शिवपाल सिंह यादव पर योगी सरकार ने नजरें तिरछी कर ली हैं। पहले उनकी सुरक्षा में कटौती और गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में जांच की आंच उन तक पहुंच गयी है। योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच कराई थी। इसमें भारी घपले की पुष्टि होने के बाद मामला सीबीआई के हवाले कर दिया गया था। सीबीआई कई लोगों की इस मामले में गिरफ्तारी कर चुकी है। वहीं अब तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव और दो आईएएस अफसर उसकी जांच के दायरे में आ गये हैं।
सीबीआई इस मामले में इनसे पूछताछ की तैयारी में है। उसने सरकार से नियमानुसार इसकी इजाजत मांगी है, जिससे वह अपनी जांच आगे बढ़ा सके। इसके बाद योगी सरकार ने सिंचाई विभाग से संबंधित रिकार्ड तलब किया है, इसके आधार पर सीबीआई की पूछताछ के मामले में फैसला किया जाएगा।

घपला सामने आने पर मामला सीबीआई के हवाले

योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में मामले की न्यायिक जांच कराई थी। इसमें भारी घपले की पुष्टि होने के बाद मामला सीबीआई के हवाले कर दिया गया था। सीबीआई कई लोगों की इस मामले में गिरफ्तारी कर चुकी है। वहीं अब तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव और दो आईएएस अफसर उसकी जांच के दायरे में आ गये हैं। जांच एजेंसी इनसे पूछताछ करना चाहती है, जिससे मामले में नये तथ्य सामने आ सकें।

इन तथ्यों की होगी पड़ताल

बताया जा रहा है कि जिन दो आईएएस अफसरों को प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी दी गई थी, उन्होंने टेंडर की शर्तों में बदलाव के लिए मौखिक या लिखित रूप से कोई आदेश तो नहीं दिया, इसकी पड़ताल की जाएगी। इसके साथ ही शिवपाल यादव की भूमिका को लेकर भी पता लगाया जा रहा है कि प्रोजेक्ट में इंजीनियरों को अतिरिक्त चार्ज देने में उनकी क्या भूमिका थी। बिना टेंडर काम देने या गुपचुप ढंग से टेंडर की शर्तें बदले जाने में भी उनकी भूमिका की पड़ताल हो रही है। इसके बाद इस पर सीबीआई को लेकर फैसला किया जाएगा।

अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट पर भ्रष्टाचार की काली छाया

गोमती रिवर फ्रंट अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था। यह घोटाला 1438 करोड़ का माना जा रहा। 2017 में योगी सरकार आने के बाद गोमती रिवरफ्रंट घोटाले की जांच शुरू की गई थी। प्रारंभिक जांच के बाद इस मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया गया। 30 नवंबर 2017 को सीबीआई ने पहली एफआईआर दर्ज की गई थी।
इसमें सिंचाई विभाग के 16 अभियंताओं समेत 189 लोगों को आरोपी बनाया गया, जिसमें पब्लिक सर्वेंट और प्राइवेट लोग शामिल हैं। आरोप है कि गोमती रिवर चैनलाइजेशन प्रोजेक्ट और गोमती रिवर फ्रंट डेवेलपमेंट में सिंचाई विभाग की तरफ से अनियमितता बरती गई थी। टेंडर देने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया गया। अभियंताओं ने निजी व्यक्तियों, फर्मों और उनकी कंपनियों से मिलीभगत कर फर्मों के फर्जी दस्तावेज तैयार कराए। ठेकों के लिए विज्ञापन या सूचनाएं नहीं दीं, ताकि अपनों को ठेके दिए जा सकें।

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