कुढ़नी में महागठबंधन और बीजेपी की दांव पर प्रतिष्ठा
बिहार में एकमात्र विधानसभा सीट पर आज डाले जा रहे हैं वोट
उपचुनाव में इस सीट पर दोनों के बीच है कड़ा मुकाबला
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुजफ्फरपुर। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कुढऩी विधानसभा उपचुनाव को बिहार की सियासत के लिए सेमीफाइनल माना जा रहा है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि कुढऩी का चुनाव परिणाम बिहार की सियासत को प्रभावित कर सकता है। यही वजह है कि एनडीए और महागठबंधन ने जीत हासिल करने के लिये पूरी ताकत झोंक दी है। कुढऩी में वोटिंग के दौरान ये जानना बेहद जरूरी है कि बिहार की सियासत को कुढऩी विधानसभा उपचुनाव का परिणाम कैसे प्रभावित कर सकता है।
दरअसल कुढऩी विधान सभा चुनाव में लगातार कैंप कर रहे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान ये बयान दिया था कि कुढऩी का चुनाव लोकसभा चुनाव के पहले सेमीफाइनल है। इसकी जीत हार से असर तो पड़ेगा ही। ललन सिंह के इसी बयान से समझा जा सकता है कि कुढऩी का परिणाम बिहार में तमाम राजनीतिक दलों के लिए क्या महत्व रखता है। कुढऩी में महागठबंधन ने जदयू की तरफ से मनोज कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है यही वजह है कि महागठबंधन के उम्मीदवार की जीत का दावा किया जा रहा है लेकिन अगर कुढऩी में महागठबंधन के कोर वोटर ने थोड़ा भी आलस दिखाया या बीजेपी की तरफ झुकाव दिखाया तो ये लोकसभा चुनाव के पहले महागठबंधन के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है, खासकर लव कुश और अति पिछड़ा वोटरों का।
इनका झुकाव बीजेपी को लोकसभा चुनाव में बेहद मजबूत बना सकता है क्योंकि बीजेपी के पास जो उसका वोट बैंक माना जाता है वो वैश्य, सवर्ण और अति पिछड़ा और कुशवाहा का है। अगर उसके साथ-साथ ये मजबूती से बीजेपी के साथ जुड़ गई तो फिर बीजेपी को रोकना आसान नहीं होगा।
ऐसा नहीं है कि दांव पर सिर्फ महागठबंधन का वोट बैंक ही है बल्कि एनडीए के लिए भी ये उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। महागठबंधन की नजर भी सवर्ण खासकर भूमिहार और राजपूत वोटरों पर मजबूती से टिकी हुई है और इन जातियों के बड़े नेताओ ने कुढऩी में कैंप कर रखा है।