गुजरात पानी में बह गया महिसागर नदी पर बना ब्रिज, 8 लोगों की मौत
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए सड़क एवं भवन विभाग के सचिव पीआर पटेलिया ने कहा, "हमें गंभीरा पुल के क्षतिग्रस्त होने की सूचना मिली है, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई।

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क: महिसागर नदी पर बना गंभीरा पुल अचानक से ढह गया।जिससे उसपर चल रहे 5 वाहन नदी में गिर गए। इस दर्दनाक हादसे में अब तक 8 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कुछ लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। जानकारी के मुतबाकि यह पुल वर्ष 1985 में बनाया गया था, और हाल के वर्षों में इसकी हालत जर्जर मानी जा रही थी। हादसे के बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम घटनास्थल पर भेजने और जांच शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए सड़क एवं भवन विभाग के सचिव पीआर पटेलिया ने कहा, “हमें गंभीरा पुल के क्षतिग्रस्त होने की सूचना मिली है, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। विशेषज्ञों की एक टीम को घटनास्थल पर भेज दिया गया है जो इसकी तकनीकी जांच करेगी।” इस हादसे के बाद राज्य सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 212 करोड़ रुपये की लागत से एक नया पुल निर्माण करने की मंजूरी दे दी है। प्रशासन द्वारा राहत और बचाव कार्य जारी है, जबकि पुल हादसे ने राज्य में बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और रखरखाव पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
चेतावनी के बाद भी पुल पर आवाजाही बंद नहीं हुई
इस पुल के गिरने से जो 5 वाहन नदी में गिरे हैं, उनमें से दो ट्रक पूरी तरह से नदी में समा गए, जबकि एक टैंकर आधा लटका रह गया. पुल के गिरते ही मौके पर अफरा-तफरी मच गई और बचाव कार्य तुरंत शुरू किया गया. बता दें कि यह पुल 1981 में बनकर 1985 में खोला गया था, लेकिन समय के साथ इसकी हालत बेहद जर्जर हो चुकी थी. स्थानीय विधायक चैतन्य सिंह झाला ने पहले ही इस पुल के लिए चेतावनी दी थी और नए पुल की मांग की थी. बावजूद इसके, पुल पर वाहनों की आवाजाही बंद नहीं की गई. अब सरकार ने 212 करोड़ रुपये की लागत से नए पुल के निर्माण को मंजूरी दे दी है और इसके लिए सर्वेक्षण भी कराया जा चुका है.
मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों की टीम को दिए जांच का आदेश
घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने तकनीकी विशेषज्ञों की टीम को घटनास्थल पर भेजकर जांच का आदेश दिया है. हादसे के तुरंत बाद अधिकारी सक्रिय हुए और नदी में गिरे वाहनों को हटाने का कार्य शुरू किया गया. साथ ही तैराकों ने शवों को बाहर निकालना शुरू किया. यह घटना एक बार फिर पुरानी व कमजोर अधोसंरचनाओं पर सवाल खड़े करती है. अगर समय रहते वाहनों की आवाजाही रोकी जाती और नए पुल का निर्माण शुरू होता, तो शायद यह त्रासदी टाली जा सकती थी. अब देखना होगा कि जांच रिपोर्ट में क्या सामने आता है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है.



