कांस्टेबल से लेफ्टिनेंट तक का संघर्षपूर्ण सफर पूरा किया गुरमुख सिंह ने

देहरादून में स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में बीते शनिवार को पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया, जिसमें कुल 491 कैडेट शामिल हुए।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: देहरादून में स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में बीते शनिवार को पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया, जिसमें कुल 491 कैडेट शामिल हुए। ये सभी कैडेट अब भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में शामिल होंगे।

इस साल की पासिंग आउट परेड में 32 वर्षीय गुरमुख सिंह की कहानी सबसे प्रेरणादायक रही। गुरमुख सिंह सेना में पहले कांस्टेबल के रूप में शामिल हुए थे और अब वे लेफ्टिनेंट बन गए हैं। उनका यह सफर संघर्षपूर्ण रहा, क्योंकि लेफ्टिनेंट बनने तक उन्हें लगातार छह बार असफलताओं का सामना करना पड़ा। गुरमुख सिंह के पिता भी सेना में सूबेदार मेजर थे, जिससे सैन्य जीवन उनके लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहा। सिपाही से लेफ्टिनेंट बनने की उनकी जिद और हौसला उनके संघर्ष और समर्पण की कहानी बयां करता है।

गुरमुख सिंह 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय सेना में कांस्टेबल के तौर पर शामिल हुए थे. सिपाही के पद पर नौकरी करते हुए उन्होंने लेफ्टिनेंट बनने का सपना देखा और कड़ी मेहतन कर उसे पूरा किया. लेफ्टिनेंट की वर्दी पहनने की उनमें ऐसी जिद थी कि लेह- लद्दाख चुनौतीपूर्ण पोस्टिंग पर नौकरी करते हुए भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और हौसले को कम नहीं होने दिया.

कांस्टेबल से ऐसे लेफ्टिनेंट बनें गुरमुख
अधिकारी बनने के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने 12वीं के बाद ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी की और फिर बीएड के साथ-साथ पीजी की पढ़ाई पूरी की. आईएमए की परीक्षा वह 6 बार लगातर असफल हुए लेकिन हार नहीं मानी. 7वें प्रयास में उन्हें एग्जाम क्रैक किया और सेना में लेफ्टिनेंट की वर्दी हासिल की. लेफ्टिनेंट गुरमुख सिंह को आर्मी एयर डिफेंस (एएडी) कोर में नियुक्त किया गया है.

पिता का भरोसा और खुद की मेहनत ने दिलाई लेफ्टिनेंट की वर्दी
गुरमुख सिंह ने कहा कि हर बार जब मैं असफल हुआ, तो मैंने अपने पिता को सूचित किया और उन्होंने कभी भी मुझ पर विश्वास नहीं खोया. उन्होंने हमेशा मुझे तब तक फिर से प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया, जब तक कि मैंने अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर लिया. उन्होंने बताया कि मैं विभिन्न सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात था. इस दौरान ऐसे भी दिन आए थे, जब लक्ष्य पर बिल्कुल भी ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता था, लेकिन जब भी समय मिलता था पढ़ाई करता था.

आर्मी कैडेट कॉलेज एग्जाम में तीन बार हुए असफल
गुरमुख तीन बार लगातार आर्मी कैडेट कॉलेज परीक्षा में में असफल हुए और विशेष कमीशन अधिकारी प्रवेश परीक्षा में दो बार. इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और तैयारी जारी रखी. 7वें प्रसाय नें वह मेरिट लिस्ट में स्थान बनने में सफल हुए. अब कमीशन प्राप्त होने के बाद सिंह ने कहा कि वह एक सैनिक के रूप में अपने वर्षों के अनुभव के आधार पर आगे बढ़कर नेतृत्व करने का इरादा रखते हैं.

पिता थे सेना में सूबेदार मेजर
परेड में उनके पिता सूबेदार मेजर जसवंत सिंह (सेवानिवृत्त) और मां कुलवंत कौर उपस्थित थे. उनके पिता ने कहा कि जिस दिन से वह सेना में शामिल हुए थे. उसी दिन से उन्होंने अधिकारी बनने की तैयारी शुरू कर दी है. आज उन्हें एक अधिकारी के रूप में देखना बहुत ही गर्व की बात है.

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