नागपंचमी पर यहां करें सर्पराज के दर्शन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
हिंदू धर्म में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाते हैं। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। भगवान शिव के गले में नागराज वासुकी लिपटे रहते हैं। इसके लिए उन्होंने कठोर तप किया था, जिसके बाद उनको शिव जी के पास रहने का आशीर्वाद मिला। और उनके आराध्य भगवान शिव की भी पूजा करते हैं। सावन का महीना वैसे भी शिव जी की पूजा के लिए होता है, इसमें उनके प्रतीक चिह्नों का भी महत्व बढ़ जाता है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने या सर्प को दूध पिलाने से जीवन में सौभाग्य और समृद्धि आती है। आज नाग पंचमी मनाई जा रही है। नाग पंचमी के मौके पर नाग देव के मंदिरों के दर्शन के लिए जा सकते हैं और यहां पूजा अर्चना की जा सकती है।
नागचंद्रेश्वर मंदिर
मध्य प्रदेश में दो ज्योतिर्लिंग मंदिर स्थित हैं। वहीं यहां नाग देवता का एक प्राचीन मंदिर भी है। नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। यह मंदिर के कपाट साल में एक बार नागपंचमी के दिन ही भक्तों के दर्शन के लिए खुलते हैं। मंदिर में भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नागराज तक्षक स्वंय मंदिर में मौजूद रहते हैं । पूरी दुनिया में यह एक मात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शयया पर विराजमान हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं।
कर्कोटक नागराज मंदिर
उज्जैन के महाकाल में कर्कोटक नाग मंदिर स्थित है, जहां पूजा करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। लेकिन कर्कोटक नागराज का सबसे प्राचीन मंदिर नैनीताल के पास है। भीमताल के कर्कोटक नाम की पहाड़ी के टॉप पर मंदिर बना है। मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण के मानसखंड में मिलता है। मंदिर का इतिहास लगभग 5 हजार साल से अधिक पुराना है। नाग देवता कर्कोटक नाग को समर्पित यह मंदिर अनगिनत वर्षों से आस्था और रहस्य का केंद्र रहा है। नाग या सर्प देवता, कर्कोटक के पास बारिश को नियंत्रित करने की शक्ति है और स्थानीय लोग उन्हें सांप के काटने से बचाने और सौभाग्य लाने के लिए पूजते हैं।
शेषनाग मंदिर
जम्मू कश्मीर में भी नाग देवता का प्राचीन मंदिर है। शेषनाग मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह नाग मंदिर पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में पटनीटॉप में स्थित है। इस मंदिर का इतिहास 600 साल पुराना है। कश्मीर का अनंतनाग क्षेत्र पहले नागवंशियों का गढ़ था। इस मंदिर में नागपंचमी का भव्य उत्सव होता है, जिसमें हजारों तीर्थयात्री शामिल होते हैं।
मन्नारशाला नाग मंदिर
केरल के अलेप्पी जिले में लगभग 40 किमी दूर मन्नारशाला नाग मंदिर स्थित है। इस मंदिर में एक या दो नहीं बल्कि 30 हजार नागों की प्रतिमाएं हैं। यहां नागराज के साथ उनकी जीवनसंगिनी नागायक्षी देवी विराजमान हैं। इस मंदिर के हर कोने के हर हिस्से में 30 हज़ार सापों की प्रतिमा स्थापित है। ये मंदिर लगभग 16 एकड़ के भूभाग में फैला हुआ है। मंदिर परिसर से ही लगा हुआ एक नम्बूदिरी का साधारण सा खानदानी घर है।