हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, अंतरिम रिहाई पर कही ये बात
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन की अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है।
4PM न्यूज़ नेटवर्क: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन की अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। आपको बता दें कि सोरेन ने चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि निचली अदालत मामले पर संज्ञान ले चुकी है। नियमित बेल याचिका भी खारिज हो चुकी है तो ऐसे में गिरफ्तारी की चुनौती पर सुनवाई का आधार नहीं बनता। हेमंत सोरेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तो ईडी की तरफ से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी।
आपको बता दें कि कपिल सिब्बल ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि यह 8.86 एकड़ जमीन का मामला है और इससे हेमंत सोरेन का कोई लेना-देना नहीं है। सभी रिकॉर्ड सही है तो ऐसे में कोई विवाद नहीं बनता है। वहीं एसवी राजू ने कहा कि ऐसा कहना गलत है कि इसमें विवाद नहीं बनता।
चुनाव के बीच हेमंत सोरेन को बड़ा झटका
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि यह तथ्य छिपाने के लिए हेमंत सोरेन से नाखुशी जताई कि उन्होंने निचली अदालत में जमानत याचिका दायर की थी। इस मामले में कोर्ट ने आगे कहा कि 4 अप्रैल को ट्रायल कोर्ट ने ED की चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया था। नियमित ज़मानत याचिका भी लंबित थी और इन बातों को याचिका में छुपाया गया।
सूत्रों के मुताबिक ED ने कहा कि चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक अधिकार और न ही कानूनी अधिकार है। वहीं पहले दिन की सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन के वकील सिब्बल ने कहा कि जिस जमीन की बात कही जा रही है उस पर हेमंत सोरेन का कब्जा नहीं है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने सारे तथ्य नहीं रखे। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जब सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया था उस दौरान कोर्ट को इस बात की जानकारी क्यों नहीं दी गई कि जमानत की अर्जी स्पेशल कोर्ट के सामने पेंडिंग है और निचली अदालत पहले ही चार्जशीट पर संज्ञान ले चुकी है।