हे राम! आपके नाम पर इतनी बड़ी लूट, कहां सोती रही योगी सरकार
अयोध्या में जमीन घोटाले पर योगी सरकार की फजीहत, विपक्ष हमलावर
- कांग्रेस, बसपा, आप समेत विभिन्न विपक्षी दलों ने भाजपा पर साधा निशाना
- नेता, अफसर व उनके रिश्तेदारों ने मंदिर के पांच किमी दायरे में खरीदीं जमीनें
- सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जमीन खरीद धांधली की जांच कराने की मांग
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही अयोध्या में जमीनों की लूट शुरू हो गयी। इस लूट में मंदिर के ट्रस्टी, नेता, अफसर और उनके रिश्तेदारों के शामिल होने के खुलासे के बाद प्रदेश की योगी सरकार की फजीहत हो गयी है। विपक्ष ने इस मामले को लेकर प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा है और इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराए जाने की मांग की है।
राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया गया था। मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट ने 70 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया। जैसे ही मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई ट्रस्ट पर जमीन घोटाले के आरोप लगे और उस समय भी विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा था। यह मामला शांत भी नहीं हुआ कि द इंडियन एक्सप्रेस ने ऐसे 14 नामों का खुलासा किया है जिन्होंने मंदिर के पांच किमी के दायरे में ताबड़तोड़ जमीनें खरीदीं। इसमें विधायक, अफसर और उनके रिश्तेदार सभी शामिल हैं।
राम के नाम पर जमीनों की हो रही इस लूट के खुलासे के बाद सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि प्रदेश सरकार ने आनन-फानन में इसकी जांच के आदेश दिए हैं लेकिन विपक्ष इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग कर रहा है। चुनाव के ठीक पहले अयोध्या में जमीन घोटाले के खुलासे से भाजपा में हडक़ंप है औैर इसका नुकसान उसे उठाना पड़ सकता है। यह सवाल भी उठ रहा है कि जिस समय जमीनों की लूट हो रही थी प्रदेश सरकार कहां सोई थी?
क्या है मामला
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने फरवरी 2020 में मंदिर निर्माण के लिए जमीन खरीदनी शुरू की। इसके लिए 70 एकड़ जमीन का अधिग्रहण शुरू हुआ और इस परियोजना ने रफ्तार पकड़ी। इसके साथ ही सरकारी अधिकारी, स्थानीय विधायक, नौकरशाहों के करीबी रिश्तेदार और स्थानीय राजस्व अधिकारी ने यहां खूब जमीनें खरीदीं। विधायक, महापौर, और राज्य ओबीसी आयोग के सदस्य ने अपने नाम पर जमीनें खरीदीं। वहीं संभागीय आयुक्त, उप-मंडल मजिस्ट्रेट, पुलिस उप महानिरीक्षक, सीओ, राज्य सूचना आयुक्त के रिश्तेदारों के नाम पर भी जमीनें खरीदी गईं। ऐसे 14 मामलों का खुलासा द इंडियन एक्सप्रेस ने नामों के साथ किया है। ये सारी जमीनें राम मंदिर के पांच किमी दायरे में खरीदी गयीं।
अयोध्या में हड़पी गयीं जमीनें, हो उच्चस्तरीय जांच: प्रियंका
नई दिल्ली। अयोध्या में जमीन की खरीद-फरोख्त मामले में यूपी कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी ने कहा कि अयोध्या में जमीन घोटाला हुआ। देश के लगभग हर घर से लोगों ने राम मंदिर ट्रस्ट को चंदा दिया लेकिन लोगों की आस्था से खिलवाड़ किया जा रहा है। दलितों की जमीन के टुकड़े, जिन्हें खरीदा नहीं जा सकता था, हड़प लिया गया। उन्होंने दावा किया कि जमीन के कुछ टुकड़े कम मूल्य के थे लेकिन ट्रस्ट को बहुत अधिक कीमत पर बेचे गए थे। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने कहा है कि वह जांच कराएगी लेकिन यह जांच जिलाधिकारी स्तर का अधिकारी करेगा। उन्होंने पूछा, जिस मामले में मेयर विटनेस हों, वहां कैसे सही जांच हो सकती है।
जब ट्रस्ट का गठन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ है तो इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट या उसके स्तर की जांच कराई जाए। प्रियंका ने आरोप लगाया कि भगवान राम के मंदिर के नाम पर लिए गए चंदे का इस्तेमाल भाजपा और आरएसएस के नेताओं, कार्यकर्ताओं और अधिकारियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया। उन्होंने दावा किया कि भाजपाई मेयर के भतीजे ने एक जमीन बीस लाख में खरीदी और ढाई करोड़ में ट्रस्ट को बेच दी। इस तरह राम मंदिर के नाम पर मिले चंदे की चोरी की गई।
दखल दे सुप्रीम कोर्ट : मायावती
लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के आस-पास की जमीन खरीद के घोटाले में बड़े लोगों का नाम आना गंभीर मामला है। अब तो इस मामले में उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। बेहतर होगा कि इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट दखल दे। सुप्रीम कोर्ट को केन्द्र तथा राज्य सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेने के लिए निर्देश देने चाहिए। रिटायर्ड जजों की कमेटी बनाकर जांच कराई जानी चाहिए अगर गड़बडिय़ां मिलती हैं तो सरकार को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो जांच: संजय सिंह
लखनऊ। आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी और सांसद संजय सिंह ने अयोध्या में जमीन खरीद के आरोपों को लेकर फिर योगी सरकार पर निशाना साधा है। संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में इस मामले की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने ट्वीट किया, जिस जमीन की जालसाजी में भाजपा के विधायक, मेयर, कमिश्नर, डीआईजी, डीएम, एडीएम, एसडीएम सब शामिल हैं, उसकी जांच आदित्यनाथ जी के अधिकारी नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एसआईटी गठित करके जांच कराई जाए और जालसाजों को जेल में डाला जाए।
जांच के आदेश
लखनऊ। अयोध्या में राम मंदिर के पांच किमी के दायरे में विधायक, महापौर और पुलिस-प्रशासन के कई अधिकारियों व कर्मचारियों के रिश्तेदारों के नाम पर जमीनें खरीदने के मामले की जांच के आदेश प्रदेश की योगी सरकार ने दिए हैं। मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव राजस्व मनोज कुमार सिंह को जांच कराने का आदेश दिया है। अपर मुख्य सचिव राजस्व ने विशेष सचिव राजस्व राधेश्याम मिश्रा को मामले की जांच कर पांच दिन में रिपोर्ट देने को कहा है।