हाईकोर्ट ने खत्म की अरुणाचल प्रदेश की भाजपा विधायक की सदस्यता
ईटानगर। अरुणाचल प्रदेश में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी को जोर का झटका लगा है। गुवाहाटी हाई कोर्ट की ईटानगर बेंच ने अपने एक फैसले में अरुणाचल प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी की विधायक दासंगलू पुल के चुनाव को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अवैध करार दे दिया।
हाई कोर्ट की ओर से उनके चुनाव को अवैध करार दिए जाने के पीछे की वजह चुनावी हलफनामे में संपत्तियों के बारे में दी गई जानकारी छुपाना बनी।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, प्रतिवादी कैंडिडेट (दासंगलू पुल) ने जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 33 के तहत अपना नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया था, और इस तरह से उम्मीदवार अपने नामांकन पत्र के खारिज होने के लिए जिम्मेदार है।
दासंगलू पुल 2019 के मई में हुए विधानसभा चुनाव में ह्युलियांग सीट से फिर से चुनी गई थीं। 45 साल की पुल ने इससे पहले यहां हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी। 2016 में अपने पति और पूर्व मुख्यमंत्री कलिखो पुल के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराया गया जिसमें दासंगलू पुल को जीत मिली थी।
हालांकि 2019 के चुनाव में दासंगलू पुल के हाथों चुनाव में शिकस्त का सामना करने वाले दासंगलु पुल से हारने वाले कांग्रेस उम्मीदवार लुपलुम किरी ने पुल की जीत को चुनौती दी और हाई कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट में उन्होंने दावा करते हुए कहा था कि दासंगलु पुल ने अपने चुनावी हलफनामे में पति की मुंबई में चार और अरुणाचल प्रदेश में दो संपत्तियों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
साथ ही लुपलुम किरी ने यह भी कहा कि मिस दासंगलू पुल का नामांकन उनकी ओर से आपत्ती जताए जाने के बावजूद भी स्वीकार कर लिया गया। पुल ने अपनी सफाई में कहा था कि उन्होंने अपने पति (कलिखो पुल) की इन संपत्तियों पर वह कोई दावा नहीं कर रही हैं।
हाई कोर्ट ने पिछले मंगलवार को दिए अपने अहम फैसले में यह भी कहा कि दसांगलू पुल के नामांकन पत्रों की अनुचित तरीके से हुई स्वीकृति ने चुनाव के परिणाम को प्रभावित किया।