हरियाणा में लगे राष्ट्रपति शासन : हुड्डा
- कांग्रेस ने राज्यपाल से मांगा मिलने का समय
- मुख्यमंत्री नायब सैनी से इस्तीफे की मांग
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
चंडीगढ़। तीन निर्दलीय विधायकों के भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने और कांग्रेस को समर्थन देने से अल्पमत में आई हरियाणा सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दलों ने किलेबंदी शुरू कर दी है। हरियाणा के तीनों विपक्षी दलों कांग्रेस, जजपा और इनेलो ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को अलग-अलग पत्र लिखा है। तीनों दलों ने सरकार को अल्पमत में बताते हुए नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री नायब सैनी से इस्तीफा मांगा है। साथ ही राज्यपाल से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगवाने की मांग रखी है।
दूसरी तरफ भाजपा ने भी सरकार बचाने के लिए जोड़-तोड़ शुरू कर दी है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंचायत राज्य मंत्री महिपाल ढांडा के पानीपत स्थित आवास पर जजपा के तीन विधायकों के साथ बैठक की। वीरवार दोपहर में करीब एक घंटे बंद कमरे में चली बैठक में एक-दूसरे को भरोसा और विश्वास भी दिया गया। कांग्रेस ने राज्यपाल से 10 मई को मिलने का समय मांगा है। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भिवानी में कहा कि कांग्रेस सभी विधायकों की परेड कराने को तैयार है। जजपा भी अपने 10 विधायकों को चंडीगढ़ लेकर पहुंचे। जजपा नेता दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल को पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है, साथ ही भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप भी लगाए हैं। इनेलो के अकेले विधायक अभय सिंह चौटाला ने बहुमत साबित कराने के लिए राज्यपाल से सत्र बुलाने की अपील की है।
पूंडरी से निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान राज्यपाल को सरकार से समर्थन वापसी का पत्र भेज चुके हैं और अब कांग्रेस को बाहर से समर्थन दे रहे हैं। इसके बाद से भाजपा के पास 43 विधायकों का समर्थन रह गया है, जबकि 88 विधायकों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 45 विधायकों का समर्थन जरूरी है।
सैनी सरकार ने बहुमत खो दिया : अभय
इनेलो के प्रधान महासचिव और ऐलनाबाद के विधायक अभय चौटाला ने राज्यपाल को पत्र लिखकर हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। पत्र में कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने स्पष्ट रूप से अपना बहुमत खो दिया है और उन्हें मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने का कोई कानूनी या नैतिक अधिकार नहीं है। भाजपा सरकार को तुरंत बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा सत्र बुलाया जाए।