कैसे बिहार चुनाव जीता NDA? 128 सीटों पर हुई धांधली का समझिए खेल!

दोस्तों, बिहार विधानसभा चुनाव के जो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं...उन्होंने देश के लोकतंत्र के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं...विपक्ष, खासकर इंडिया गठबंधन, अब इस नतीजे को मात्र हार-जीत के रूप में नहीं देख रहा है...

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों, बिहार विधानसभा चुनाव के जो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं…उन्होंने देश के लोकतंत्र के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं…विपक्ष, खासकर इंडिया गठबंधन, अब इस नतीजे को मात्र हार-जीत के रूप में नहीं देख रहा है…

बल्कि इसे एक सुनियोजित वोट चोरी और चुनावी धांधली के रूप में पेश कर रहा है…चुनावी प्रक्रिया में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और निर्वाचन आयोग की कथित मिलीभगत के जो सबूत सामने आ रहे हैं…उसे देखते हुए कहा तो ये तक जा रह है कि विपक्ष इतने गंभीर हैं कि अब विपक्ष ने इन परिणामों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी है और इससे भी बड़ा कदम….पूरी चुनावी प्रक्रिया के बहिष्कार पर विचार किया जा रहा है….

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार चुनाव के नतीजों पर जो प्रतिक्रिया दी…वो इस पूरे मामले की गंभीरता को दर्शाती है…उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि…मैं बिहार के उन करोड़ों मतदाताओं का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने महागठबंधन पर अपना विश्वास जताया। बिहार का यह परिणाम वाकई चौंकाने वाला है। हम एक ऐसे चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सके, जो शुरू से ही निष्पक्ष नहीं था। यह लड़ाई संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की है। कांग्रेस पार्टी और INDIA गठबंधन इस परिणाम की गहराई से समीक्षा करेंगे और लोकतंत्र को बचाने के अपने प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाएंगे।

राहुल गांधी का ये ट्वीट केवल एक हार स्वीकारना नहीं है…बल्कि देश की सर्वोच्च चुनावी संस्था, निर्वाचन आयोग, की निष्पक्षता पर सीधा और निर्णायक हमला है…जानकारी के मुताबिक, महागठबंधन के भीतर ये चर्चा मतदान से पहले ही शुरू हो गई थी कि क्या चुनावों का बहिष्कार कर देना चाहिए?….जिसकी वजह ये थी कि चुनाव आयोग द्वारा अपनाई गई संदिग्ध प्रक्रियाएँ…..जैसे कि मतदाता सूची में अचानक और बड़े पैमाने पर बदलाव और SIR प्रक्रिया का रहस्यमय तरीके से उपयोग…विपक्ष का आरोप है कि ये सभी बदलाव सीधे-सीधे बीजेपी को चुनावी जीत दिलाने के लिए किए गए थे…

राहुल गांधी का ये आरोप अब एक स्थापित नैरेटिव बन चुका है कि चुनाव आयोग का काम अब केवल बीजेपी को चुनाव जिताना रह गया है…बीजेपी जिस राज्य को चाहती है, चुनाव आयोग वो राज्य बीजेपी को जिता देता है….ये बात साफ है कि जहां चुनाव निष्पक्ष होता है…वहां झारखंड जैसा नतीजा आता है…लेकिन अब ये पैटर्न बदल रहा है………….बिहार के नतीजे चौंकाने वाले इसलिए नहीं हैं कि एनडीए जीत गया…बल्कि इसलिए हैं क्योंकि वो एक खास और पहले से देखा हुआ तरीका फिर से दोहराते हैं…ये पैटर्न पहले हरियाणा में दिखा और फिर महाराष्ट्र में……विपक्ष का दावा है कि ये एक पहले से प्लान किया हुआ वोट इंजीनियरिंग की प्रक्रिया है…जिसे हर राज्य में दोहराया जा रहा है और अब ये बिहार में अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गई है…

सबसे पहले हम हरियाणा विधानसभा चुनाव की बात करते हैं….जहां बीजेपी के अपने नेता पर्दे के पीछे ये स्वीकार कर रहे थे कि उनके लिए 10 सीटें जीतना भी मुश्किल है….एग्जिट पोल्स में कांग्रेस की बड़ी जीत दिखाई गई….लेकिन अचानक, वोटिंग के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने खुलेआम घोषणा कर दी कि….पूरा बंदोबस्त हो गया है… हमारे पास सारी व्यवस्थाएं हैं, आप चिंता मत करिए…..

जैसा कि आपने बयान में सुना कि कैसे सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा था कि हमारे पास सारी व्यवस्थाएं हैं, आप चिंता मत करिए…और जब नतीजे आए तो बीजेपी ने न केवल सरकार बनाई…बल्कि राज्य के इतिहास में अपना अच्छा प्रदर्शन भी किया….तब किसी को बंदोबस्त का मतलब समझ नहीं आया था…लेकिन अब बिहार और महाराष्ट्र के बाद ये साफ़ हो गया है कि ये किस तरह की व्यवस्था थी…लेकिन असली खेल तो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हुआ….महाराष्ट्र में जहां 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन हार गया था…वहीं विधानसभा चुनाव में उसने 81% से ज्यादा सीटें जीतकर सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए…ये आंकड़ा 1984 की प्रचंड कांग्रेस लहर के दौरान मिली सीटों से भी ज़्यादा था……

जोकि अब तक का सबसे अलग और नया मोड़ है….पुराने पैटर्न की अगर हम बात करें तो 2014-2024 तक लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर बीजेपी को ज़्यादा वोट मिलते थे…जबकि विधानसभा चुनावों में ये वोट शेयर घट जाता था…लेकिन 2024 के बाद नए पैटर्न में देखा गया कि…अब विधानसभा चुनावों में स्थानीय नेताओं के चेहरे पर, बीजेपी को लोकसभा चुनाव से भी ज़्यादा वोट मिलने लगे हैं……………ये एक ऐसी अजीब और तेज़ उलटफेर है, जिसका कोई साफ-साफ कारण समझ नहीं आता…लेकिन ये सीधे-सीधे चुनाव आयोग और बीजेपी की मिलीभगत की ओर इशारा करता है…..महाराष्ट्र और बिहार, दोनों ही राज्यों में NDA को 81% से ज्यादा सीटें मिलीं और दोनों जगह बीजेपी का स्ट्राइक रेट गठबंधन में सबसे ज्यादा था…ये साफ करता है कि महाराष्ट्र मॉडल को ही बिहार में भी लागू किया गया है…

विपक्ष के अनुसार, इस महाराष्ट्र मॉडल का मुख्य हथियार है वोटर लिस्ट में धांधली….पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विपक्ष ने आरोप लगाया था कि वोटर लिस्ट में बड़ी धांधली हुई है….हर विधानसभा सीट पर 10,000 से लेकर 25,000 तक फर्जी वोट जोड़ दिए गए थे…चुनाव प्रक्रिया शुरू होने की वजह से कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया और विपक्ष की शिकायतों को अनसुना कर दिया गया……..विपक्ष का दावा था कि करीब 105 सीटें ऐसी थीं जहां 25,000 से अधिक वोटों की हेराफेरी हुई थी और नतीजे सामने आए तो सभी की सभी सीटें बीजेपी और उसके सहयोगी जीत गए…ये कोई संयोग नहीं हो सकता…और अब, ये सब कुछ बिहार में दोहराया गया है……महागठबंधन का कहना है कि दूसरे राज्यों से बीजेपी समर्थकों को बिहार की वोटर लिस्ट में जोड़ा गया…जबकि बिहार के असली मतदाताओं के नाम काट दिए गए……इस धांधली का खुलासा अब हो रहा है….कहा तो ये तक जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने अपनी पूरी बिहार यूनिट को सबूत जुटाने के काम में लगा दिया है….

सबसे बड़ा आरोप ये है कि चुनाव आयोग ने SIR प्रक्रिया का इस्तेमाल करके ये बड़ा खेल किया है……कांग्रेस पार्टी ने उन 128 सीटों की सूची जारी की है….जहां एनडीए को मिली जीत का अंतर और वोटर लिस्ट से हटाए गए नामों की संख्या के बीच एक सीधा और संदिग्ध संबंध है….विपक्ष का दावा है कि ये 128 सीटें सीधे-सीधे चुनाव आयोग ने बीजेपी की झोली में डालने का काम किया है…केरल कांग्रेस ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि…वास्तविक जीवित मतदाताओं को एसआईआर के तहत मनमाने ढंग से हटाया गया है. चुनाव आयोग द्वारा जारी डेटासेट में एक भी अवैध अप्रवासी उन्हें नहीं मिला. कांग्रेस ने एसआईआर के नाम पर वोटर लिस्ट के शुद्धिकरण के दावे को छलावा बताया. केरल कांग्रेस ने ये भी लिखा, ‘एसआईआर को बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के अवैध प्रवासियों की पहचान करने और उन्हें हटाने का टूल माना जा रहा था. अब एसआईआर को सही से समझने की जरूरत है, वरना बीजेपी हर नागरिक का नाम मतदाता सूची से हटा देगी….

चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर खड़े हुए इन गंभीर सवालों के बीच…कथिततौर पर इंडिया गठबंधन अब दो निर्णायक कदमों पर विचार कर रहा है…पहला कि बिहार चुनाव के नतीजों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है…कांग्रेस और सहयोगी दल सबूतों को खंगाल रहे हैं ताकि ये साबित किया जा सके कि ये नतीजे वोटिंग के जरिए से नहीं, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में धांधली के जरिए हासिल किए गए हैं….वहीं दूसरा और सबसे बड़ा कदम है पूरे चुनावी प्रक्रिया का बहिष्कार…अगर विपक्ष को ये विश्वास हो जाता है कि देश की सबसे बड़ी चुनावी संस्था, निर्वाचन आयोग, अब सत्ताधारी दल के इशारों पर काम कर रही है और निष्पक्ष चुनाव की गारंटी खत्म हो चुकी है…तो भविष्य के चुनावों का बहिष्कार करना ही एकमात्र राजनीतिक विकल्प बचेगा…कथिततौर पर अगर चुनाव एक तमाशा बन गया है…तो उस तमाशे का हिस्सा बनने से इनकार करना ही लोकतंत्र बचाने की आखिरी लड़ाई होगी…

हालांकि, ये चिंता केवल बिहार तक सीमित नहीं है…जिस तरह से पीएम मोदी और बीजेपी के अन्य नेता आत्मविश्वास के साथ अब पश्चिम बंगाल में भी जीत का दावा कर रहे हैं…वो इस मॉडल के विस्तार की ओर संकेत करता है…पश्चिम बंगाल में भी SIR प्रक्रिया को जिस तरह से किया जा रहा है…उससे उम्मीद है कि अगर वहां भी महाराष्ट्र या बिहार जैसे नतीजे देखने को मिलते हैं….तो किसी को हैरान नहीं होना चाहिए….ये साफ है कि अगर इस वोट इंजीनियरिंग को रोका नहीं गया…तो देश के हर राज्य में इसी पैटर्न को दोहराया जाएगा….ये साफतौर इशारा करती है कि बिहार चुनाव के नतीजे केवल एक राजनीतिक हार नहीं हैं…वो भारतीय लोकतंत्र के आधार पर एक गंभीर प्रहार हैं…विपक्ष का सुप्रीम कोर्ट जाना और चुनाव बहिष्कार पर विचार करना….इस बात की पुष्टि करता है कि देश में निष्पक्ष चुनाव की संस्थागत गारंटी अब खतरे में है…ये लड़ाई अब केवल सीटों की नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को बचाने की है……

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