एक प्लॉट के चक्कर में कैसे फंस गए बीजेपी विधायक अनिल शर्मा, यूपी सरकार में रहे हैं मंत्री

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बीजेपी विधायक अनिल शर्मा एक प्लॉट के चक्कर में बुरी तरह फंस गए हैं. बुलंदशहर में स्पेशल एमपी-एमएलए अदालत ने भूमि धोखाधड़ी के एक मामले में विधायक अनिल शर्मा के खिलाफ आरोप तय कर दिया है. अनिल शर्मा पर आरोप हैं कि उन्होंने साल 2019 में एक निजी कंपनी के 980 वर्ग मीटर के प्लॉट पर स्वामित्व का दावा करने के लिए कथित तौर पर जाली दस्तावेज बनाए थे. कोर्ट ने शर्मा के खिलाफ धारा 420,468,471 के तहत आरोप तय किए हैं. कोर्ट ने आरोपी शर्मा को तलब किया है.
अनिल शर्मा शिकारपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक है. वह लगातार चौथी बार विधायक बने हैं. शर्मा यूपी सरकार में वन राज्य मंत्री भी रह चुके हैं. अधिवक्ता जावेद अख्तर ने बताया कि अनिल शर्मा के खिलाफ बुलंदशहर की कंपनी ‘वैष्णो इंफ्राहोम्स प्राइवेट लिमिटेड’ की ओर से बुलंदशहर के रहने वाले नीरज त्यागी ने शिकायत दर्ज की थी. अनिल शर्मा पर आरोप हैं कि उन्होंने कंपनी की जमीन को हड़पने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कराए थे.
नीरज त्यागी की शिकायत के आधार पर बीजेपी विधायक अनिल शर्मा और अन्य के खिलाफ अदालत में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज की गई थी. अधिवक्ता जावेद अख्तर ने कहा कि अनिल शर्मा ने साल 2019 में 980 वर्गमीटर जमीन के लिए जाली दस्तावेज तैयार कराए थे. जबकि ये जमीन जमीन वैष्णो इंफ्राहोम्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर रजिस्टर्ड थी.
एमपी-एमएलए कोर्ट ने गवाही और अदालती कार्यवाही के आधार पर अनिल शर्मा को दोषी पाया है और आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी) और 471 (धोखाधड़ी से वास्तविक दस्तावेजों का इस्तेमाल करना) के तहत उनको तलब किया है. कोर्ट अपना फैसला 22 नवंबर को सुनाएगा.
वहीं, अनिल शर्मा के वकील संदीप भारद्वाज ने कहा है कि विधायक के खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं और उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. वकील ने दावा किया कि शिकायतकर्ता नीरज त्यागी वैष्णो इंफ्राहोम्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े नहीं हैं, इसलिए वह ऐसी शिकायत दर्ज करने के लिए अधिकृत नहीं हैं. कोर्ट ने मामले में गवाहों को बुलाया था, लेकिन कोई पेश नहीं हुआ. हम आदेश के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील दायर करेंगे.

 

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