भए प्रगट कृपाला दीनदयाला…

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
चैत्र नवरात्रि का हर दिन सनातन धर्म में बहुत महत्व रखता है। लेकिन नवरात्रि का नवां दिन यानि रामनवमी का पवित्र दिन और भी विशेष हो जाता है। इस दिन भगवान राम की पूजा के साथ-साथ दुर्गा माता की भी पूजा की जाती है। हिंदु धर्म का अनुपम महाकाव्य रामायण वाल्मीकि द्वारा रचित है। त्रेतायुग की राम की कथा का इस महाकाव्य में वर्णन किया गया है। भारत के उत्तरी क्षेत्रों में नवरात्रि को ज्यादा महत्व दिया जाता है, लेकिन दक्षिण भारत में मात्र एक पर्व को मनाया जाता है। देवताओं और भक्तों को दुखों से मुक्त करने के लिए भगवान श्री विष्णु ने अपने आठवें अवतार के रूप ने मृत्यु लोक में जन्म लेकर रावण का नाश कर सभी देवताओं और भक्तों को दुखों व अत्याचारों से मुक्त किया। तब से लेकर आज तक यह दिन इस पर्व के नाम से मनाया जाता है।

रामनवमी का महत्व

रामनवमी के दिन मर्यादा पुरूषोत्तम राम का जन्म हुआ था जिनको भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। त्रेतायुग में अधर्म का नाश करने के लिए भगवान विष्णु ने यह अवतार लिया था। चैत्र शुक्ल पक्ष में नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र के समय में इनका जन्म पृथ्वी पर हुआ था। कर्क लग्न में राजा दशरत के घर में राजा राम ने रानी कौशल्या के गर्व से जन्म लिया था। रामनवमी के दिन को ही वसंत रात्रि का अंतिम दिन माना जाता है। सूर्य भगवान को मर्यादापुर्षोत्तम राम के पूर्वज के रूप में देखा जाता है इसलिए इस दिन सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन इस पर्व को रामनवमी के नाम से मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि का यह अंतिम दिन श्री राम को समर्पित है। माता दुर्गा को प्रसन्न करने हेतु इस दिन की गयी पूजा का विशेष महत्व है। रामनवमी का पर्व भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस बार नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल से हो रहा है।

पूजा विधि

रामनवमी के इस त्योहर पर लोग सुबह जल्दी उठ कर भगवान श्री राम की आराधना करना शुरू कर देते हैं। मंदिरों को सजाया जाता है। पूजा के समय आसन से उठना उचित नहीं माना जाता है, इसलिए पूर्ण पूजा सामग्री को पहले से ही भक्त अपने समीप रखते हैं। पूजा के प्रसाद में इस दिन खीर और फलों को दिया जाता है। रामचरितमानस के पाठ की इस दिन विशेष महत्ता है। इस पाठ को इस दिन करने से भक्त सभी कष्टों से मुक्त हो जातें हैं। यदि मंदिर जाना संभव न हो तो आप अपने घर में भी पूजा कर सकते है। पूजा के लिए सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी लें। उसपर लाल रंग का एक कपड़ा बिछाएं। इसके बाद राम परिवार जिसमें भगवान राम, लक्ष्मणजी, माता सीता और हनुमान जी हो ऐसी मूर्ति गंगाजल से शुद्ध करके स्थापित करें। इसके बाद सभी को चंदन या रोली से तिलक करें। फिर उन्हें अक्षत, फूल, आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद घी का दीपक जलाकर राम रक्षा स्त्रोत, श्रीराम चालीसा और रामायण की चौपाइयों का पाठ तरें। आप चाहें तो इस दिन सुंदर कांड के पाठ या हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।

शुभ मुहुर्त

पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की नवमी तिथि का आरंभ 16 अप्रैल के दिन मंगलवार को दोपहर 1 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ होगा और नवमी तिथि 17 जनवरी को दोपहर 3 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि में नवमी तिथि होने के कारण रामनवमी का पर्व 17 अप्रैल को मनाया जाएगा। 17 अप्रैल को पूरे दिन रवि योग भी रहने
वाला है।

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