बच्चा कर रहा बदतमीजी तो ऐसे सुधारें आदत

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
अभिभावक के लिए बच्चे को अच्छे संस्कार देना चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। जब तक बच्चा छोटा होता है, उसे समझाना और सिखाना आसान होता है लेकिन बड़े हो रहे बच्चे की विचार, व्यवहार में बदलाव आने लगते हैं। ऐसे में अक्सर बच्चे दूसरों का अनादर, गैरजिम्मेदारा बर्ताव, अशिष्ट बातें भी कर जाते हैं। बच्चे के बदतमीजी करने पर माता-पिता उसे डांटते हैं लेकिन इससे बच्चे का बर्ताव अधिक अशिष्ट हो सकता है। वह तुरंत तो चुप हो जाएगा लेकिन उनके बर्ताव में बदलाव नहीं आएगा। ऐसे में अगर आपका बच्चा भी अधिक गुस्सैल है और गुस्से में दूसरों से बदतमीजी से बात करता है तो उसे डांटे नहीं, बल्कि उनकी आदत में सुधार लाएं।

बच्चे पर चिल्लाएं नहीं

अगर बच्चा अशिष्ट व्यवहार करता है तो उसपर चीखें-चिल्लाएं नहीं। बच्चे को प्यार से समझाएं। बच्चे का गुस्सा शांत हो जाएगा तो वह शांति से बात करेगा और आपकी बात को समझेगा। आजकल बच्चों के जिद्दी होने की समस्या एक आम बात है। लेकिन इसके पीछे पैरेंट्स की भी कई कमियां हो सकती हैं। बच्चों के साथ कम बातचीत का ही नतीजा होता है कि हम उन पर उस वक्त अपना डिसीजन थोंपना चाहते हैं। उन पर चिल्लाने लगते हैं, डांटने लगते हैं। क्योंकि ऐसी स्थिति में पैरेंट्स के लिए उन्हें समझाना मुश्किल होता है।

बच्चे की मन की बात समझें

बच्चे के बर्ताव का कारण अक्सर आसपास का माहौल और उनको दिए जाने वाले संस्कार का हिस्सा हैं। बच्चे देखकर अधिक सीखते हैं। बच्चे के बुरे व्यवहार को ठीक करने के लिए उसके व्यवहार की वजह जानें। हो सकता है कि वह किसी बात से असंतुष्ट व नाखुश हो। बच्चे के मन को टटोलें और समझने का प्रयास करें कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है, ताकि उसकी परेशानी का हल निकालकर उसके व्यवहार में बदलाव लाया जा सके।

बहस से बचें

अक्सर बच्चा जिद में बहस करने लगता है। बहस करने की आदत बच्चे में आक्रामकता और गुस्सा बढ़ाती है और वह बहसबाजी में बदतमीजी करने लग जाता है। लेकिन बहस हमेशा दो लोगों के बीच होती है। अगर बच्चा आपसे बहस करे तो उस वक्त शांत हो जाएं। बच्चे से बहस करने से बचें और उनकी बात सुनें। इससे वह भी आपकी बातों को ध्यान से सुनेंगे और जिद कम करेंगे। कई बार बच्चों को बहस करता देखकर ज्यादातर पैरेंट्स बच्चों को डांट कर चुप करा देते हैं। हालांकि आपके इस बर्ताव का बच्चों पर बुरा असर पड़ सकता है और बच्चे गुस्सा करना शुरू कर देते हैं। इसलिए बच्चों को चुप कराने के बजाए उनकी पूरी बात सुनने के बाद ही रिएक्ट करना बेहतर रहता है। उसके बाद उन्हें बहस करने के साइड इफेक्ट से भी अवगत कराएं और उन्हें बताएं कि बहस करना एक गलत आदत है।

संगत पर ध्यान

बच्चे के आसपास का माहौल उसके व्यवहार का कारण है लेकिन अगर घर पर उसे अच्छा माहौल मिल रहा है, फिर भी बच्चा गलत बर्ताव करता है तो जरूर उसकी संगत खराब हो सकती है। बच्चे के दोस्त कैसे हैं, वह अपना वक्त किन लोगों के बीच और किस काम में अधिक बिताता है, टीवी या मोबाइल पर किस तरह के कार्यक्रम देखता है, इस पर नजर रखें, ताकि गलत संगत से उसे दूर कर पाएं।

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