भाजपा सांसद संजय सेठ का अवैध कब्जा नहीं दिखता पर गरीबों के घरों पर चला योगी सरकार का बुलडोजर!
- बिखरा सामान, बिलखते मासूम, बदहवास बुजुर्ग, सिसकती औरतें दिल को दहलाने वाला मंजर
- अकबरनगर में लखनऊ हाईकोर्ट ने ध्वस्तीकरण पर लगाई रोक
मो. शारिक/4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। बिखरा सामान, बिलखते मासूम, बदहवास बुजुर्ग, सिसकती औरतें कुछ ऐसा ही नजारा दिखा अकबर नगर में। दरअसल, आजकल राजधानी लखनऊ में कुकरैल सौंदर्यीकरण के चलते निमार्ण कार्य चल रहा है जिसकी वजह से जो लोग वहां काबिज हैं उन्हें वहां से हटाकर अन्य जगहों पर विस्थापित किया जा रहा है। हालांकि लोग प्रशासन की इस कार्यवाही का विरोध कर रहे हैं। वहीं इस कारवाई पर आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गए हैं। इस तरह की कार्रवाई पर योगी सरकार के काम करने के तरीके पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। जहां राजधानी में बड़़े-बड़े रसूखदारों ने अवैध कब्जा कर अतिक्रम किया है उनपर कोई बुलडोजर नहीं चलता है। जैसे भाजपा के राज्य सभा सांसद संजय सेठ के शालीमार बिल्डर्स ने कई जगहों पर अवैध निमार्ण कर रखा है पर एलडीए के कान पर जूं तक नहीं रेंक रही है, जबकि गरीबों को अन्यत्र बसाए बिना ही उजाड़ रही है।
इसी के तहत बहुत से व्यापपारी व निवासी हाईकोर्ट चले गए थे। अब कोर्ट ने प्रशासन की कार्रवाई पर 22 जनवरी तक रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अकबरनगर में दुकान व मकानों को ढहाने की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए अगले चार सप्ताह तक यथास्थिति बहाल रखने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से शहर के अकबरनगर निवासियों को बड़ी राहत मिली।
हाईकोर्ट के आदेश पर छाई खुशी
हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी लेकर अधिवक्ता अकबरनगर पहुंचे। उन्होंने लोगों को बताया कि चार सप्ताह तक कार्रवाई पर रोक लग गई है और 22 जनवरी को अगली सुनवाई होगी। आदेश की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। यही नहीं, बड़ी संख्या में लोग घरों से निकलकर कॉलोनी की गली में एकत्र हो गए। लोगों ने हाथ में तिरंगा लेकर मुख्य मार्ग पर निकलने की कोशिश की। हालांकि, पुलिस बल की सख्ती के कारण ये मुख्य मार्ग पर नहीं आ सके। कॉलोनी के भीतर लोगों ने पटाखे भी फोड़े। यही नहीं, ढोल नगाड़े बजाकर हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जताई।
पुनर्वास योजना में सबको जगह दी जाए
कोर्ट ने अकबर नगर एक व दो में एलडीए की ध्वस्तीकरण कारवाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने एलडीए को आदेश दिया कि वहां के लोगों को पुनर्वास योजना में आवेदन करने को समय दे। विस्थापित होने वालों के पुनर्वास की करवाई पूरी होने के बाद ही उनके खाली होने वाले परिसरों का कब्जा लिया जाए। इसके लिए 4 सप्ताह का समय देकर कोर्ट ने तबतक वहां ढहाने की करवाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने मामले में एलडीए व अन्य पक्षकारों को जवाब दाखिल करने का समय देकर अगली सुनवाई 22 जनवरी की नियत की है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि निवासियों के जीवन की स्वतंत्रता और जीविका के अधिकार का उल्लंघन न किया जाय।
एलडीए की बड़े लोगों पर मेहरबानी
हजारों लोग और आशियाना छोडक़र जाने का गम। हर तरफ चेहरे पर मायूसी। मानो रात भर सो नहीं पाए हों। जिला प्रशासन, एलडीए, नगर निगम और पुलिस विभाग के अफसर बुलडोजर लेकर अकबरनगर पहुंचे तो लोग घरों से बाहर निकल आए। घरों की महिलाएं बिलखने लगीं और बोझिल मन से सामान समेटने में लग गईं। दोपहर बाद बस्ती को हाईकोर्ट का फैसला आया। इसकी जानकारी स्थानीय लोगों सहित महिलाओं को हुई तो मायूसी दूर हुई और इस बार खुशी से उनकी आंखें छलक पड़ीं। अकबरनगर में सुबह से ही स्थानीय व्यापारी दुकानों के बाहर डटे थे। दुकानों के कर्मचारी भी मौजूद थे। प्रशासन ने सामान हटाने का दबाव बनाया, जिसके बाद दुकानें खुलने लगीं। यही नहीं बस्तियों से भी लोग सामान निकालने लगे। बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ अकबरनगर में जुटी रही। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस, पीएसी बल और सीआरपीएफ के जवान तैनात किए गए थे।