सदियों में कोई होता है मुलायम जैसा नेता

जमीन से जुड़ी राजनीति करते थे नेताजी

  • हर कोई सराहता था उनके कार्यों को

संजय शर्मा


लखनऊ। साल था 1996। नेताजी रक्षा मंत्री थे, मायावती मुख्यमंत्री और मैं बदायूं जिले के एक अखबार का रिपोर्टर। टाटा फर्टिलाइजर की फैक्ट्री के सामने ग्रामीणों पर लाठीचार्ज किया गया था। इसमें कई ग्रामीण घायल हो गए थे। मैंने फोन पर इसकी सूचना नेताजी को दी। नेताजी ने कहा कि मुझे कल इस फैक्ट्री के सामने गुन्नौर में मिलना। अगले दिन मैं उनसे मिला। वे ग्रामीणों से मिले और मुझसे कहा, मेरे साथ दिल्ली चलो और इस पूरे मामले को विस्तार से मुझे लिखकर दो। मैं इस मामले में ग्रामीणों को न्याय दिलाऊंगा। ये मेरी नेताजी के साथ पहली और यादगार मुलाकात थी। उसके बाद मेरा-उनका एक पारिवारिक रिश्ता कायम हो गया।
वे रक्षामंत्री थे तो मैंने उनके साथ दर्जनों यात्राएं कीं और उनकी ऊर्जा देखकर मैं हैरान हो जाता था। वे रात के डेढ़ बजे तक लोगों से बातचीत करते रहते थे और सुबह पांच बजे अगर मैं उनके साथ हूं तो उनके सुरक्षाकर्मी दरवाजा खटखटा दिया करते थे कि नेताजी टहलने को बुला रहे हैं। उन्होंने मुझे खुद राजनीति में आने और चुनाव लडऩे का न्योता भी दिया पर मैंने हाथ जोडक़र कहा कि राजनीति मेरे बस की बात नहीं, मुझे पत्रकारिता ही करनी है। मैं उन पलों का साक्षी रहा जब रक्षा मंत्रालय के साउथ ब्लाक की अंग्रेजी की नेम प्लेट को हटाकर उन्होंने इसमें हिंदी में भी लिखने को कहा था। हिंदी को स्थापित करने के लिए उन्होंने शानदार काम किया।
आंवला लोक सभा चुनाव में एक रैली को कवर करने के लिए मैं उनके साथ जा रहा था, हेलीकॉप्टर लैंड हो रहा था तभी अचानक झटके साथ पायलट ने उसे ऊपर उठा दिया। नेताजी और मैं लगभग कुर्सी पर लडख़ड़ा गए। तब पायलट ने बताया कि नीचे हाई पावर टेंशन लाइन गुजर रही है व हेलीकॉप्टर ब्लास्ट होते-होते बचा है। यह सुरक्षा की गंभीर चूक थी। नाराज नेताजी ने पायलट से कहा कि किसी भी खेत में हेलीकॉप्टर उतार दो। पायलट झिझका मगर नेताजी की जिद पर खेत में हेलीकॉप्टर उतारा गया और मंच पर आते ही नेताजी ने इस सुरक्षा को लेकर जो भाषण दिया उसने दो घंटे में पूरे लोक सभा क्षेत्र का नजारा ही बदल दिया और पार्टी जीत गयी।
रक्षामंत्री के रूप में उनकी ईमानदारी को देश का हर बड़ा राजनेता सराहता है। उनके दौर के रक्षा सौदों पर कभी कोई सवाल नहीं खड़ा हुआ। मैंने अखिलेश यादव की शादी के समय उनके भीतर की परेशानियां भी देखीं और अखिलेश यादव के प्रति उनका अगाध प्रेम भी देखा है। वे अखिलेश यादव को एक मजबूत और पढ़ा-लिखा राजनेता बनाना चाहते थे। उनका धरती पुत्र नाम सच में सार्थक था क्योंकि उन्होंने हमेशा धरती से जुड़ी राजनीति की। जिस तरह आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनको याद करते-करते रो पड़े वह यह दर्शाता है कि विपक्ष के नेता उनका कितना सम्मान करते थे। सदियों में कोई ऐसा नेता पैदा होता जैसे मुलायम सिंह यादव थे।

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