गुजरात उपचुनाव में वोटरों ने किया किनारा, कडी-विसावदर पर किसकी होगी जीत?

गुजरात में कडी और विसावदर विधानसभा सीटों पर 57.90 फीसदी और 56.89 फीसदी मतदान हुआ... दोनों सीटों पर बीजेपी...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात में 19 जून 2025 को विसावदर और कडी विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है……. ये उपचुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण थे….. क्योंकि गुजरात भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है……. जहां बीजेपी 1995 से सत्ता में है…… लेकिन इस बार मतदान का ठंडा माहौल, कम मतदान प्रतिशत और विपक्षी दलों की मजबूत चुनौती ने बीजेपी की राह को मुश्किल बना दिया……. क्या बीजेपी का किला सचमुच डगमगा रहा है? कौन मारेगा बाजी? आइए, इस उपचुनाव की पूरी कहानी को हम समझते है…..

दोस्तों गुजरात की दो विधानसभा सीटों विसावदर और कडी पर उपचुनाव इसलिए कराए गए……. क्योंकि ये सीटें अलग-अलग कारणों से खाली हो गई थीं…… विसावदर सीट दिसंबर 2023 से खाली थी……. जब आम आदमी पार्टी के विधायक भूपेंद्र भयानी ने इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था……. वहीं दूसरी ओर कडी सीट  अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है…….. फरवरी 2025 में बीजेपी विधायक करसन सोलंकी के निधन के बाद खाली हुई थी……

वहीं इन उपचुनावों में बीजेपी, कांग्रेस, और आम आदमी पार्टी ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे…… विसावदर में बीजेपी ने किरीट पटेल, कांग्रेस ने नितिन रणपरिया और आप ने गोपाल इटालिया को मैदान में उतारा…….. कडी में बीजेपी ने राजेंद्र चावड़ा, कांग्रेस ने रमेश चावड़ा…… और आप ने जगदीश चावड़ा को टिकट दिया…….

आपको बता दें कि 19 जून 2025 को हुए मतदान में दोनों सीटों पर वोटर टर्नआउट उम्मीद से काफी कम रहा……. विसावदर में सुबह 11 बजे तक केवल 28.15% और कडी में 23.85% मतदान हुआ…….. पूरे दिन के मतदान के बाद भी विसावदर में लगभग 58% और कडी में 60% से कम वोटिंग दर्ज की गई……. यह कम मतदान कई सवाल खड़े करता है….. क्या मतदाताओं का उत्साह कम हो गया……… क्या लोग राजनीतिक दलों से नाराज हैं…… या फिर गर्मी और मानसून का असर मतदान पर पड़ा…….

वहीं कम मतदान का एक कारण स्थानीय मुद्दों पर वोटरों की उदासीनता हो सकता है……. विसावदर में किसानों के मुद्दे और पाटीदार समुदाय का प्रभाव अहम रहा……. जबकि कडी में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की राय निर्णायक मानी जा रही थी……. इसके बावजूद, मतदाताओं की कम भागीदारी ने सभी दलों के लिए अनिश्चितता बढ़ा दी…… कम वोटिंग का मतलब है कि जो लोग वोट डालने आए…….. उनकी पसंद ही नतीजे तय करेगी……

गुजरात में बीजेपी का दबदबा लंबे समय से कायम है……. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 182 में से 156 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया था…… लेकिन विसावदर सीट बीजेपी के लिए पिछले 18 साल से चुनौती बनी हुई है……. 2022 में इस सीट पर आप के भूपेंद्र भयानी ने बीजेपी के उम्मीदवार को हराया था……. इस बार भी बीजेपी ने किरीट पटेल जैसे अनुभवी नेता को उतारा…….. जो जूनागढ़ में पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष और सहकारी क्षेत्र के बड़े नेता हैं……. लेकिन आप के गोपाल इटालिया और कांग्रेस के नितिन रणपरिया ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया……..

विसावदर में पाटीदार समुदाय का प्रभाव बहुत ज्यादा है…….. इस सीट पर करीब 1.30 लाख लेऊवा पटेल वोटर हैं…… जो कुल मतदाताओं का बड़ा हिस्सा हैं…… 2022 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के असर के कारण बीजेपी को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था……. इस बार भी किसानों के मुद्दों और स्थानीय असंतोष ने बीजेपी की राह मुश्किल की………. आप के गोपाल इटालिया ने स्थानीय मुद्दों को जोर-शोर से उठाया…….. जिससे बीजेपी को कड़ी टक्कर मिली…….

कडी सीट पर बीजेपी को थोड़ा सहज माहौल मिला……. क्योंकि यह उनकी परंपरागत सीट रही है…….. लेकिन कांग्रेस के रमेश चावड़ा 2012 में इस सीट से जीत चुके हैं…… उन्होंने मजबूत चुनौती पेश की……… आप के जगदीश चावड़ा ने भी अनुसूचित जाति के वोटरों को लुभाने की कोशिश की……… बीजेपी ने इस सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी……. लेकिन कम मतदान ने उनके लिए जोखिम बढ़ा दिया……

आप ने इस उपचुनाव को अपनी स्थिति मजबूत करने के मौके के रूप में देखा……. 2022 के विधानसभा चुनाव में आप ने गुजरात में 5 सीटें जीतकर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल किया था…….. विसावदर में आप के गोपाल इटालिया ने किसानों के मुद्दों और बीजेपी की नीतियों की आलोचना पर जोर दिया…….. आप ने यह भी दावा किया कि बीजेपी और कांग्रेस की “मेल-मिलाप” की राजनीति से लोग तंग आ चुके हैं……… कुछ एक्स पोस्ट्स में आप कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि विसावदर में उनकी जीत पक्की है…… और भारी जनसमर्थन का दावा किया गया……

हालांकि, आप को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कुछ एक्स पोस्ट्स में आरोप लगाए गए कि बीजेपी ने विसावदर में कमजोर उम्मीदवार उतारकर और प्रचार में ढील देकर आप की जीत को आसान बनाया। ये दावे कितने सही हैं, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन इनसे राजनीतिक हलकों में चर्चा जरूर तेज हुई।

वहीं कांग्रेस ने इस उपचुनाव को बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने के अवसर के रूप में देखा……. कडी में रमेश चावड़ा को टिकट देकर कांग्रेस ने अनुसूचित जाति के वोटरों को लुभाने की कोशिश की…… विसावदर में नितिन रणपरिया ने स्थानीय होने का फायदा उठाया……. और “स्वाभिमान” की लड़ाई का नारा दिया…….. कांग्रेस ने बीजेपी पर बूथ कैप्चरिंग और फर्जी वोटिंग के आरोप भी लगाए…….. कुछ एक्स पोस्ट्स में दावा किया गया कि विसावदर में मतदान के दौरान सीसीटीवी लाइव स्ट्रीमिंग बंद कर दी गई…….. जिससे धांधली की आशंका जताई गई……

आपको बता दें कि उपचुनाव के दौरान कई विवाद भी सामने आए…….. आप और कांग्रेस ने बीजेपी पर बूथ कैप्चरिंग और फर्जी वोटिंग के आरोप लगाए……… कुछ एक्स पोस्ट्स में दावा किया गया कि विसावदर में पोलिंग बूथ पर सीसीटीवी लाइव फुटेज अचानक बंद कर दी गई…….. जिससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठे…….. एक पोस्ट में यह भी कहा गया कि बीजेपी उम्मीदवार ने नियमों का उल्लंघन करते हुए पार्टी के प्रतीक के साथ फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर डाला……..

वहीं दूसरी ओर, एक एक्स पोस्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि बीजेपी ने जानबूझकर विसावदर में कमजोर प्रचार किया……. और आप को जीतने में मदद की…… ये दावे कितने सही हैं……. यह जांच का विषय है…… लेकिन इनसे चुनावी माहौल में तनाव जरूर बढ़ा…… बता दें कि 23 जून 2025 को मतगणना होनी है……. और इसके नतीजे ही बताएंगे कि बाजी किसके हाथ लगेगी……..

विसावदर सीट त्रिकोणीय मुकाबले का गवाह बनी…….. आप के गोपाल इटालिया को स्थानीय मुद्दों और पाटीदार समुदाय के समर्थन का फायदा मिल सकता है…….. बीजेपी के किरीट पटेल को संगठन की ताकत……. और जयेश रादड़िया जैसे नेताओं का समर्थन है……. कांग्रेस के नितिन रणपरिया ने मुकाबले को और रोचक बना दिया……. लेकिन कम मतदान के कारण नतीजे अनिश्चित हैं………. अगर आप इस सीट को बरकरार रख पाती है…….. तो यह उनके लिए बड़ी जीत होगी……

कडी सीट पर बीजेपी को थोड़ा फायदा है……. क्योंकि यह उनकी परंपरागत सीट रही है……. लेकिन कांग्रेस के रमेश चावड़ा ने अनुसूचित जाति के वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी……… आप के जगदीश चावड़ा ने भी मुकाबले को रोचक बनाया……. वहीं कम मतदान यहां भी नतीजों को प्रभावित कर सकता है…… आपको बता दें कि बीजेपी के लिए ये उपचुनाव आसान नहीं थे…….. विसावदर में पिछले 18 साल से जीत की तलाश और आप-कांग्रेस की मजबूत चुनौती ने पार्टी को बैकफुट पर ला दिया…….. इसके अलावा, किसानों के मुद्दे, पाटीदार समुदाय का असंतोष…….. और स्थानीय नेताओं के बीच आपसी मतभेद ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाईं……

वहीं कडी में बीजेपी को संगठन की ताकत का भरोसा है……. लेकिन कम मतदान और विपक्ष के आरोपों ने माहौल को कठिन बना दिया……. अगर बीजेपी इन दोनों सीटों पर जीत हासिल करती है……… तो यह उनके गढ़ को और मजबूत करेगा…….. लेकिन अगर आप या कांग्रेस बाजी मार लेती है……. तो यह बीजेपी के लिए बड़ा झटका होगा…. वहीं ये उपचुनाव गुजरात की राजनीति के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकते हैं…… आप अगर विसावदर में जीत बरकरार रखती है………. तो यह उनकी स्थिति को और मजबूत करेगा……. कांग्रेस के लिए ये उपचुनाव अपनी खोई जमीन वापस पाने का मौका हैं……. बीजेपी के लिए यह अपनी बादशाहत कायम रखने की चुनौती है…….

वहीं कम मतदान और विवादों ने इस उपचुनाव को और भी रोचक बना दिया है…….. नतीजे न केवल स्थानीय राजनीति……… बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए भी माहौल तय करेंगे…….. क्या गुजरात में बदलाव की लहर शुरू हो रही है…….. या बीजेपी अपने किले को और मजबूत करेगी? इसका जवाब 23 जून को मिलेगा…….

 

 

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