मोदी राज में देश का बुरा हाल!, शेयर बाजार में हाहाकार, निवेशकों के 92 लाख करोड़ डूबे  

निवेशक ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज पहुंचकर भले ही 'बुल' को महाकुंभ 2025 में 'शाही स्नान' करवा दिया हो...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः निवेशकों ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज पहुंचकर भले ही ‘बुल’ को महाकुंभ दो हजार पच्चीस में ‘शाही स्नान’ करवा दिया हो…. मगर अट्ठाइ फरवरी दो हजार पच्चीस को हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन सेंसेक्स एक हजार एक सौ चौदह दशमलव तीन, तीन अंक गिरकर तिहत्तर हजार एक सौ अट्ठानबे दशमलव एक जीरो अंक पर बंद हुआ…. निफ्टी चार सौ बीस दशमलव तीन पांच अंक टूटकर बाइस हजार एक सौ चैबीस दशमलव सात जीरो अंक पर बंद हुआ….  जिससे निवेशकों का सारा पैसा सीधे बैकुंठ पहुंच गया…. और बानबे लाख करोड़ डूब गया…. मोदी और शाह के दावे की पोल खुल गई….  वहीं भारतीय शेयर बाजार क्रैश होने का अंदाजा इस बात से लगा लो कि महज आधे घंटे में ही BSE में लिस्टेकड कंपनियों की मार्केट वैल्यू करीब आठ दशमलव आठ पांच लाख करोड़ रुपए कम हो गई…… निफ्टी ने तो लगातार गिरावट के मामले में पिछले उनतीस सालों का नया रिकॉर्ड बना लिया है…..

आपको बता दें कि शुक्रवार को बाज़ार खुलते ही बीएसई के तीस शेयरों वाले सेंसेक्स….. और एनएसई के पचास शेयरों वाले निफ्टी इंडेक्स में भारी गिरावट देखने को मिली…… वहीं सेंसेक्स में एक समय में चौदह सौ पॉइंट तक की गिरावट आ गई थी…. हालांकि बीच-बीच में कुछ सुधार भी दिखा….. सेंसेक्स साढ़े ग्यारह बजे तक लगभग एक हजार पॉइंट यानी एक दशमलव दो आठ फ़ीसदी गिरकर तिहत्तर हजार छह सौ साछ पर पहुंच गया था….. और एक बजते-बजते ये चौदह सौ अंकों तक टूट गया….. उधर इस दौरान निफ्टी दो सौ बयासी प्वाइंट यानी एक दशमलव दो पांच फीसदी गिरकर तिहत्तर हजार छह सौ साठ अंक पर पहुंच गया….. बता दें कि बैंकिंग और आईटी सेक्टर के बड़े शेयरों में गिरावट की वजह से बाज़ार पर दबाव बना……. वहीं स्मॉल, मिडकैप शेयरों के दाम सबसे ज़्यादा गिरे…..

बता दें कि शुक्रवार को भारत में जीडीपी वृद्धि पर आधिकारिक आंकड़े भी जारी हुए…… कुछ जानकार गिरावट को इससे जोड़ कर भी देख रहे हैं….. आपको बता दें कि इकोनॉमिक टाइम्स ने शेयर बाज़ार में शुक्रवार को आई इस भारी गिरावट के पीछे पाँच वजहें गिनाई हैं…… इनमें जीडीपी के आंकड़े आने से पहले घबराहट…… टैरिफ़ के मुद्दे पर ट्रंप का अस्पष्ट रुख….. आईटी सेक्टर के शेयरों पर दबाव…… डॉलर का चढ़ना और विदेशी संस्थागत निवेश यानी एफ़आईआई की बिकवाली का जारी रहना शामिल है….. वहीं गुरुवार यानी सत्ताइस फ़रवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि कनाडा…. और मेक्सिको से आने वाले उत्पादों पर पच्चीस फ़ीसदी टैरिफ़ दो अप्रैल नहीं बल्कि चार मार्च से प्रभावी हो जाएंगे…… ट्रंप ने चीन से आने वाले उत्पादों पर भी दस फ़ीसदी अतिरिक्त शुल्क लगाने की बात कही…..  ट्रंप के इन बयानों ने दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच ट्रेड वॉर के तेज़ होने की आशंकाओं को हवा दे दी…..

आपको बता दें कि शुक्रवार को लगभग सभी सेक्टरों के शेयर लाल निशान पर रहे….. लेकिन जिनमें भारी गिरावट देखी गई….. उनमें आईटी, ऑटो, मीडिया और टेलीकॉम सेक्टर शामिल हैं….. इन सभी सेक्टरों में दो से तीन फ़ीसदी तक की गिरावट आई….. वहीं बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक भी दो फ़ीसदी तक गिरे…… सेंसेक्स में सबसे ज़्यादा घाटा इंडस-इंड बैंक को हुआ….. जिसके शेयर चार दशमलव चार चार फीसदी तक गिर गए…… इसके बाद एमएंडएम और एचसीएल टेक ने सबसे ज़्यादा नुकसान झेला…… इनके अलावा इन्फ़ोसिस, टीसीएस, भारती एयरटेल, टाटा मोटर्स….. और टाइटन के शेयर भी लाल निशान पर रहे….. आपको बता दें कि एक जनवरी से अब तक सभी सेक्टरों के शेयरों में कम से कम बीस से पच्चीस फ़ीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है…… इनमें बैंक, आईटी, डिफेंस, ऑटो, पावर, एफएमसीजी, रियलिटी, एनबीएफसी, फर्टिलाइजर, शुगर जैसे सेक्टर हैं…… दरअसल इतने सारे सेक्टरों में गिरावट की सबसे बड़ी वजह ये है कि इकोनॉमी में जो बूस्ट दिखना चाहिए वो नहीं दिखा है……

दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से टैरिफ़ लगाने के ऐलान से बाज़ार में नकारात्मकता….. आई और इसका असर शेयरों में गिरावट के तौर पर देखने को मिला….. इसके अलावा कंपनियों की पिछली तीन तिमाहियों से कमाई घटती दिख रही है….. इसका असर शेयर बाज़ार पड़ा है….. चीन की मेटल और निवेश पॉलिसी का भी अंतरराष्ट्रीय बाज़ार पर निगेटिव असर पड़ा है….. इस वजह से भारतीय शेयर ब़ाजार गिरा है….. वहीं दुनिया भर में जियोपॉलिटिकल चिंताएं अभी भी कम होती नहीं दिखाई देती….. रूस-यूक्रेन के मोर्चे पर अनिश्चितता बनी हुई है….. इस वजह से कच्चे तेल के दाम को लेकर भी आशंकाएं बरकरार हैं….. इस वजह से भारतीय बाज़ारों में गिरावट देखने को मिली है…..

आपको बता दें कि फरवरी के आखिरी कारोबारी दिन भी शेयर मार्केट में गिरावट आई है….. शेयर बाजार में लगातार पांचवें महीने गिरावट आई है….. साल उन्नीस सौ छियानबे में औपचारिक शुरुआत के बाद यह पहला मौका है….. जब निफ्टी में लगातार पांच महीने गिरावट आई है….. सितंबर के आखिर से बाजार में गिरावट का दौरा है…. और इस दौरान निवेशकों के बानबे लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं…… अगर इतिहास पर नजर डालें तो निफ्टी में चार या उससे ज्यादा महीनों तक गिरावट सिर्फ छह बार ही हुई है…… सबसे लंबी गिरावट सितंबर उन्नीस सौ चौरानबे से अप्रैल उन्नीस सौ पन्चानबे के बीच देखी गई थी…… तब निफ्टी लगातार आठ महीनों तक गिरा था….. और इकतीस दशमलव चार फीसदी तक नीचे आया था…..  लेकिन यह निफ्टी के आधिकारिक शुरुआत से पहले की बात है…… निफ्टी की आधिकारिक शुरुआत बाइस अप्रैल उन्नीस सौ छियानबे को हुई थी…… इससे पहले के निफ्टी के आंकड़े बाद में गणना करके निकाले गए हैं….. निफ्टी की शुरुआत के बाद सबसे बुरी गिरावट जुलाई से नवंबर उन्नीस सौ छियानबे के बीच देखी गई….. तब पांच महीनों तक लगातार गिरावट के बाद निफ्टी छब्बीस फीसदी नीचे आ गया था….. अभी जो गिरावट चल रही है….. वह पिछले पांच महीनों में ग्यारह दशमलव छह आठ फीसदी की रही है….. यह पिछली गिरावटों की तुलना में कम है….. ज्यादा पिछली गिरावटें दोहरें अंकों में रही हैं…..

वहीं सितंबर में जब बाजार अपने चरम पर था….. तब से अब तक निवेशकों की वेल्थ में भारी गिरावट आई है…… बीएसई लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप पचासी लाख करोड़ रुपये घटकर तीन सौ तिरानबे लाख करोड़ रुपये रह गया है….. अपने उच्चतम स्तर से निफ्टी चौदह फीसदी गिर गया है…… जबकि निफ्टी नेक्स्ट पचास लगभग पच्चीस फीसदी नीचे आया है….. स्मॉलकैप और माइक्रोकैप शेयरों में और भी ज्यादा गिरावट आई है…… ये शेयर चौबीस से पच्चीस फीसदी तक गिर गए हैं….. इससे ये शेयर बियर मार्केट में चले गए हैं….. बियर मार्केट का मतलब होता है….. जब बाजार में लगातार गिरावट हो रही हो…..

वहीं निफ्टी अपने उच्चतम स्तर से चौदह फीसदी नीचे है….. और बाजार के अन्य सूचकांक भी नीचे आ गए हैं…… ट्रेडर्स और एनालिस्ट्स भविष्य को लेकर चिंतित हैं….. सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह गिरावट का अंत है…… या फिर और गिरावट आने वाली है….. Emkay Global का मानना है कि इस गिरावट से शेयरों का मूल्यांकन कम हो गया है….. इसलिए बाइस हजार पांच सौ के नीचे निफ्टी ज्यादा आकर्षक लग रहा है…… उसका कहना है कि RBI के नरम रुख के कारण वित्तीय शेयरों में निवेश करना अच्छा रहेगा….. लेकिन इस मौके का इस्तेमाल अपने निवेश को कम करने के लिए करें….. क्योंकि शेयरों का मूल्यांकन अभी भी उनके मध्यम अवधि के ग्रोथ के अनुरूप नहीं है…… ब्रोकरेज के पसंदीदा सेक्टर कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, हेल्थकेयर और टेलिकॉम हैं…..

आपको बता दें कि Kotak Institutional Equities का मानना है कि इस साल निफ्टी एक सीमा में ही रहेगा….. ब्रोकरेज के मुताबिक मार्च दो हजार छब्बीस के अनुमानित P/E के हिसाब से निफ्टी अभी भी MSCI EM इंडेक्स से नब्बे फीसदी ज्यादा पर कारोबार कर रहा है….. कमाई में वृद्धि के अनुमान में कमी आ सकती है….. अल्पावधि में कोई खास तेजी की उम्मीद नहीं है….. हालांकि, मध्यम अवधि में अच्छी वृद्धि की संभावनाएं…. और वित्त वर्ष छब्बीस की दूसरी छमाही में बेहतर नकदी की स्थिति गिरावट को सीमित कर सकती है….. आपको बता दें कि अक्टूबर दो हजार चौबीस से विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयरों और बॉन्ड से बीस अरब डॉलर से ज्यादा निकाल लिए हैं…… यह हाल के इतिहास में सबसे बड़ी निकासी में से एक है….. Prabhudas Lilladher ने चेतावनी दी है कि वैश्विक अनिश्चितता…… घरेलू मांग में कमी और लगातार FDI की निकासी से मुद्रा….. और FPI प्रवाह में अस्थिरता बढ़ सकती है…… हालांकि, उनका मानना है कि FII की निकासी चार से नौ महीनों के अंदर अपने चरम पर पहुंच जाती है….. उम्मीद है कि वित्त वर्ष छब्बीस में बढ़ते पूंजीगत व्यय….. और संभावित कर कटौती के कारण भारत की विकास दर में सुधार होगा…..

हालांकि मौजूदा गिरावट सबसे लंबी मासिक गिरावट है….. लेकिन यह पिछली गिरावटों की तुलना में कम गंभीर है….. साल उन्नीस सौ चौरानबे से पनचानबे में इकतीस दशमलव चार की गिरावट….. और उन्नीस सौ छियानबे में छब्बीस फीसदी की गिरावट दर्शाती है कि पिछले बियर मार्केट कितने बुरे थे…… साल दो हजार आठ के वित्तीय संकट और दो हजार बीस में COVID-19 के कारण आई गिरावट भीमौजूदा गिरावट से ज्यादा बड़ी थी….. वहीं विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार निकासी और अल्पावधि के जोखिमों के बावजूद, ऐतिहासिक पैटर्न बताते हैं कि FII की बिकवाली कुछ तिमाहियों में कम हो जाती है….. बेहतर राजकोषीय नीतियों, बुनियादी ढांचे पर खर्च और उपभोक्ता मांग में संभावित सुधार के साथ….. बाजार के भागीदार नकदी के रुझान…. और व्यापक आर्थिक कारकों पर नजर रखेंगे….. यह देखना होगा कि क्या निफ्टी की गिरावट का अंत निकट है…..

 

 

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