कर्नाटक में बढ़ी मुश्किलों ने भाजपा की साउथ में एंट्री पर लगाया ब्रेक !
बेंगलुरु। लोकसभा चुनावों में अब बिल्कुल भी वक्त बाकी नहीं रह गया है। क्योंकि पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन पत्र मिलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यानी देश में चुनावी रणभेरी अब आधिकारिक रूप से बज चुकी है। यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियां भी अब अपनी योजनाओं को अंतिम रूप देने के प्रयास में जुट गई हैं। इस बीच केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा एक बार फिर देश की सत्ता पर राज करने की फिराक में लगी है। भाजपा जीत की हैट्रिक लगाकर लगातार तीसरी बार सत्ता के सिंघासन पर आसीन होना चाहती है। जिसके लिए बीजेपी ने अबकी बार 400 पार का अपना लक्ष्य भी निर्धारित किया है। अब अपने इस लक्ष्य को पाने के लिए भाजपा पूरी ताकत से जुट गई है। पीएम मोदी खुद लगातार चुनावी सभाएं कर रहे हैं और लोगों को संबोधित करके तरह-तरह के प्रलोभन उन्हें दे रहे हैं।
हालांकि, 400 पार का लक्ष्य इतना आसान नहीं है। ये बात कहीं न कहीं पीएम मोदी और भाजपा भी जानते हैं। इसलिए अपने इस लक्ष्य को पाने के लिए भाजपा साउथ पर काफी फोकस कर रही है। क्योंकि बीजेपी जानती है कि अगर इस मुश्किल लक्ष्य को पाना है तो दक्षिण के दुर्ग को हासिल करना होगा। हालांकि, भाजपा के लिए दक्षिण का किला भेदना इतना आसान नहीं है। क्योंकि पिछले 10 साल में नरेंद्र मोदी के केंद्र की राजनीति में आने के बाद से बीजेपी ने उत्तर भारत में तो अपना डंका बजाया है और शानदार तरीके से भगवा लहराया है। लेकिन दक्षिण को भेदना मोदी के लिए भी मुश्किल रहा है। यही वजह रही कि इन 10 सालों में दक्षिण में भाजपा के पैर जमाने में मोदी भी विफल ही रहे हैं।
हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दक्षिण में 29 सीटें हासिल की थीं। इस दौरान उसके लिए दक्षिण का प्रवेश द्वार बना था कर्नाटक। जहां 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त बीजेपी की ही सरकार भी थी। जिसका फायदा पार्टी को लोकसभा चुनावों में भी मिला। और भाजपा ने कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से 25 पर अपना सीधा कब्जा जमा लिया। इसके अलावा 4 सीटें पार्टी ने तेलंगाना में हासिल की थीं। जिसके बाद ये माना जाने लगा था कि कर्नाटक के जरिए भाजपा दक्षिण में प्रवेश कर सकेगी। लेकिन अब पांच साल बाद फिरसे लोकसभा का चुनाव आया है, तो भाजपा की हालत कर्नाटक में पहले से काफी बदतर नजर आ रही है।
क्योंकि जिस कर्नाटक को भाजपा अपने लिए दक्षिण का प्रवेश द्वार मान रही थी। वो ही कर्नाटक को खुद जीतना भाजपा के लिए अब मुश्किल हो गया है। क्योंकि 2023 के कर्नाटक विधानसभा में मिली पार्टी को हार के बाद प्रदेश में भाजपा की स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है। यही कारण है कि अब जब लोकसभा चुनाव सर पर हैं तो पार्टी के अंदर बगावत और नाराजगी साफ नजर आ रही है। दरअसल, ये नाराजगी और ये बगावत पार्टी द्वारा अपने 20 उम्मीदवारों के ऐलान के बाद देखने को मिल रही है। इसी बगावत व नाराजगी ने प्रदेश में भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। दरअसल, भाजपा 400 पार का जो अपना लक्ष्य लेकर चल रही है। उस लक्ष्य को पाने के लिए भाजपा के लिए कर्नाटक सबसे अहम राज्य है। यहां पार्टी सत्ता में भी रह चुकी है और राज्य के 28 में से 25 सांसद बीजेपी के ही हैं। हालांकि, राज्य में सत्ता से बाहर होने के बाद बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ चुकी हैं।
राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा की बगावत ने भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। यहां बीजेपी के नेता ही पार्टी की राह में रोड़ा बन रहे हैं। इतना ही नहीं प्रदेश में लगातार पार्टी के अंदर बढ़ रही बगावत को देखते हुए भाजपा के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी की उच्चस्तरीय बैठक की गोपनीय बातों को सार्वजनिक किया जा रहा है। इससे लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति कमजोर हो रही हैं और संगठन में असंतोष बढ़ रहा है। तभी ये कहा जा रहा है कि बीजेपी के ये नेता ‘विभीषण’ बनकर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। दक्षिण भारत में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति पहले से कमजोर है। यहां के अधिकतर राज्यों में वाम दलों और कांग्रेस का कब्जा है। बीजेपी यहां अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में कर्नाटक ही एक ऐसा राज्य है, जहां बीजेपी को लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटें मिलने के आसार हैं। लेकिन पार्टी की अंदरूनी कलह बीजेपी का खेल खराब कर सकती हैं। पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के लिए 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
कर्नाटक में जेडीएस के साथ गठबंधन करके बीजेपी ने इसकी पूरी तैयारी भी कर ली है, लेकिन अब पार्टी के नेता ही मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। कर्नाटक में बीजेपी सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे केएस ईश्वरप्पा खुलकर बगावत कर चुके हैं। उन्होंने शिवमोगा सीट पर पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। वह पीएम मोदी की रैली में भी नहीं शामिल हुए। इससे उनके मंसूबे साफ हो चुके हैं। उनके अलावा भी कुछ नेता पार्टी में ‘विभीषण’ की भूमिका निभा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में चुनावी रणनीति और टिकट बंटवारे को लेकर अहम चर्चा हुई थी। इस बैठक में कर्नाटक बीजेपी के 4-5 वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए थे। प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयन ने राज्य में पार्टी की स्थिति को लेकर रिपोर्ट और पीएम मोदी, अमित शाह के सामने अपना पक्ष रखा। हालांकि, इन गोपनीय बातों को लीक कर दिया गया। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि बीएस येदियुरप्पा और बीवाई विजयन कुछ नेताओं का समर्थन कर रहे हैं और कुछ के खिलाफ हैं। इससे पार्टी की मुश्किलें बढ़ रही हैं।
भाजपा आलाकमान की तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदेश में बीजेपी के लिए मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। इसीलिए अभी तक पार्टी यहां पर सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार भी अभी तक घोषित नहीं कर पाई है। एक ओर जहां पार्टी के अपने ही नेता भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं और अंदरूनी कलह से पार्टी के लिए आगे की राह कठिन बना रहे हैं। तो वहीं अब दूसरी ओर प्रदेश में पार्टी के सहयोगी दल जनता दल सेक्युलर की ओर से भी नाराजगी की खबरें सामने आने लगी हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक में सीट बंटवारे के मुद्दे पर जेडीएस ने नाराजगी जताई है। सीट बंटवारे के मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए जेडीस के प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि क्षेत्रीय पार्टी को तीन से चार सीटें मिलेंगी।
दरअसल, ऐसा बताया जा रहा कि भाजपा जेडीएस को दो सीट देना चाह रही है। जेडीएस पिछले साल ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हो गई थी और अब पार्टी ने भाजपा के साथ चुनावी गठबंधन किया है। वहीं जेडीएस को तीन सीटों मांड्या, हासन और कोलार से चुनाव लड़ने की उम्मीद है। वहीं, देवेगौड़ा के दामाद डॉ. सी एन मंजूनाथ को भाजपा के टिकट पर बेंगलुरु ग्रामीण से उम्मीदवार बनाया गया है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा कोलार सीट जेडीएस को देने के लिए तैयार नहीं है, जिस पर जेडीएस ने नाराजगी जताई है। यही वजह है कि जेडीएस और भाजपा के बीच भी सीट बंटवारे को लेकर तनातनी बनी हुई है।
हालांकि, इस पूरे मामले पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने विश्वास जताया कि इस मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा और जेडीएस के बीच हर मुद्दे पर चर्चा हो रही है और जल्द ही इन चर्चाओं का सुखद परिणाम मिलेगा। बीजेपी अध्यक्ष विजयेंद्र ने कहा कि मेरी हमारे राष्ट्रीय नेताओं के साथ बातचीत हुई। जिसके बाद मैंने पूर्व प्रधानमंत्री (एच डी देवेगौड़ा) से फोन पर बात की और फिर एच डी कुमारस्वामी के साथ भी जानकारी साझा की। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष विजयेंद्र ने बताया कि उन्हें विश्वास है कि सबकुछ ठीक होगा और जो भी फैसला होगा वह जेडीएस को भी स्वीकार होगा।
वहीं पिछले कई दिनों से भाजपा नेता डीवी सदानंद गौड़ा के कांग्रेस के संपर्क में होने और कांग्रेस में जाने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विजयेंद्र ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि सबकुछ ठीक होगा और वह भाजपा में बने रहेंगे। बता दें कि गौड़ा उत्तर बंगलूरू सीट से टिकट नहीं दिए जाने से नाराज हैं। और उनके कांग्रेस में जाने की चर्चाएं पिछले कई दिनों से चर्चा में बनी हुई हैं।
फिलहाल भाजपा भले सब कुछ ठीक होने की बात कहे लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखकर ये लग रहा है कि कर्नाटक में भाजपा की हालत काफी खराब बनी हुई है। ऐसे में दक्षिण में प्रवेश के लिए भाजपा जिस कर्नाटक को अपना एंट्री गेट समझ रही थी उसमें भी अब ताला लग जाने से बीजेपी की हालत खराब है। और अब उसके साउथ में एंट्री पर भी ताला लटकता दिख रहा है। जिससे 400 पार का बीजेपी का सपना भी चकनाचूर होता नजर आ रहा है।